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आज बंद होंगे तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट, अब मक्कूमठ में कर सकेंगे बाबा के दर्शन - रुद्रप्रयाग ताजा खबर

Tungnath Dham Kapat Closed दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिरों में से एक तुंगनाथ धाम के कपाट आज विधि विधान से बंद कर दिए जाएंगे. अब अगले 6 महीने तक मक्कूमठ में बाबा तुंगनाथ के दर्शन कर सकेंगे. बीती 26 अप्रैल को तुंगनाथ धाम के कपाट खोले गए थे. जो आज यानी 1 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.

Tungnath Dham Kapat Closed
तुंगनाथ धाम के कपाट बंद
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 1, 2023, 6:01 AM IST

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. शुभ लगन के अनुसार वेद ऋचाओं और विधि विधान से भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होंगे. जिसे लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. अभी तक बाबा तुंगनाथ धाम के दरबार में 1 लाख 33 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. वहीं, कपाट बंद होने के साक्षी बनने को लेकर हजारों श्रद्धालु बाबा के धाम पहुंचे हैं.

आज बंद होंगे तुंगनाथ धाम के कपाटः बता दें कि तुंगनाथ धाम में इस बार क्षमता से ज्यादा तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है. इससे पहले तुंगनाथ धाम में दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या 27 हजार तक सिमटकर रह जाती थी, लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड टूटा है. मंदिर समिति के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होगी. जो विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए और सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य कर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी.

3 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी डोलीः उन्होंने बताया कि 2 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली बनियाकुंड, दुगलबिट्टा, मक्कू बैंड होते हुए हूण्हू और वनातोली पहुंचेगी. जहां पर ग्रामीणों की ओर से भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को अर्घ्य अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाएगी. इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंचेगी. पोस्ती ने बताया कि 3 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी.
ये भी पढ़ेंः विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तुंगनाथ धाम में आया झुकाव, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का खुलासा

मक्कूमठ में होगी भगवान तुंगनाथ की पूजाः वहीं, 4 नवंबर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू होगी. डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ आगमन पर भोज का आयोजन किया जाएगा. जिसकी सभी तैयारियां कर दी गई है. भगवान तुंगनाथ की चारों चरणों की दिवारा यात्रा के बाद पांचवें चरण में भोज के आयोजन की परंपरा है. भगवान तुंगनाथ के चार चरणों की दिवारा यात्रा पहले ही संपन्न हो चुकी है.

अब तक पहुंचे यात्रियों की संख्याः डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि भोज को भव्य रूप देने की सामूहिक पहल की जा रही है. भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ को करीब 20 क्विंटल विभिन्न प्रजाति के पुष्पों से सजाया गया है. वहीं, प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि तुंगनाथ धाम में अभी तक 64,403 पुरुष, 45621 महिलाएं, 21811 नौनिहाल और 1594 साधु संतों समेत 1 लाख 33 हजार 429 तीर्थयात्री आशीर्वाद ले चुके हैं.

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. शुभ लगन के अनुसार वेद ऋचाओं और विधि विधान से भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होंगे. जिसे लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. अभी तक बाबा तुंगनाथ धाम के दरबार में 1 लाख 33 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. वहीं, कपाट बंद होने के साक्षी बनने को लेकर हजारों श्रद्धालु बाबा के धाम पहुंचे हैं.

आज बंद होंगे तुंगनाथ धाम के कपाटः बता दें कि तुंगनाथ धाम में इस बार क्षमता से ज्यादा तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है. इससे पहले तुंगनाथ धाम में दर्शन करने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या 27 हजार तक सिमटकर रह जाती थी, लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड टूटा है. मंदिर समिति के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होगी. जो विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए और सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य कर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी.

3 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी डोलीः उन्होंने बताया कि 2 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली बनियाकुंड, दुगलबिट्टा, मक्कू बैंड होते हुए हूण्हू और वनातोली पहुंचेगी. जहां पर ग्रामीणों की ओर से भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को अर्घ्य अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाएगी. इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंचेगी. पोस्ती ने बताया कि 3 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी.
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मक्कूमठ में होगी भगवान तुंगनाथ की पूजाः वहीं, 4 नवंबर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू होगी. डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ आगमन पर भोज का आयोजन किया जाएगा. जिसकी सभी तैयारियां कर दी गई है. भगवान तुंगनाथ की चारों चरणों की दिवारा यात्रा के बाद पांचवें चरण में भोज के आयोजन की परंपरा है. भगवान तुंगनाथ के चार चरणों की दिवारा यात्रा पहले ही संपन्न हो चुकी है.

अब तक पहुंचे यात्रियों की संख्याः डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि भोज को भव्य रूप देने की सामूहिक पहल की जा रही है. भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ को करीब 20 क्विंटल विभिन्न प्रजाति के पुष्पों से सजाया गया है. वहीं, प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि तुंगनाथ धाम में अभी तक 64,403 पुरुष, 45621 महिलाएं, 21811 नौनिहाल और 1594 साधु संतों समेत 1 लाख 33 हजार 429 तीर्थयात्री आशीर्वाद ले चुके हैं.

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