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ट्राउट मछली उत्पादन से बदल रही काश्तकारों की किस्मत, मत्स्य विभाग भी बढ़ा रहा मदद के हाथ - नील क्रांति योजना

दुनिया की बेहतरीन मछली के रूप में जानी जाने वाली ट्राउट प्रजातियों का ठिकाना शीतल जल है. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों की जलधाराएं और वातावरण इसके लिए मुफीद है. जानिए कैसे ठंडे और निर्मल जल से किसानों की किस्मत जुड़ी हुई है?

trout fish farming in rudraprayag
ट्राउट मछली उत्पादन
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Published : Jan 15, 2022, 6:29 PM IST

रुद्रप्रयागः यूरोपीय देशों में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली ट्राउट फिश का पालन अब उत्तराखंड में स्वरोजगार की दिशा को नया आयाम देता दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले और ठंडे इलाकों में ट्राउट फिश के पालन के लिए मुफीद है. यही वजह है कि किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है. जखोली ब्लॉक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड (प्रजनक) बैंक विधिवत शुरू हो गया है.

मत्स्य विभाग ने डेनमार्क से 6 लाख ट्राउट आइडओवा (अंडे) मंगाकर उनसे शीड तैयार की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जनवरी महीने के अंत में शीड को मांग के अनुसार किसानों को वितरित किए जाएंगे. इससे जहां पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को ट्राउट मछली उत्पादन से रोजगार भी मुहैया होगा. वर्तमान में रुद्रप्रयाग जिले में 45 किसान ट्राउट मछली का उत्पादन कर रोजगार से जुड़े हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी में हो रहा ट्राउट का उत्पादन, बारसू के काश्तकार को पहली बार दिए गए आईड एग

बता दें कि मत्स्य विभाग रुद्रप्रयाग जिले में ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है. जर्मन प्रजाति की ट्राउट मछली उत्पादन भविष्य में जनपद के किसानों की आर्थिकी का जरिया बनेगा. जखोली ब्लॉक के धारकुडी में लगभग 13 नाली भूमि पर ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक का निर्माण किया गया है. केंद्र सरकार से स्वीकृत 2 करोड़ 62 लाख से निर्माणदायी संस्था पेयजल निर्माण निगम श्रीनगर गढ़वाल ने मार्च 2020 में निर्माण कार्य की कार्रवाई शुरू की थी. इसी साल सितंबर माह से धारकुडी में निर्माणदायी संस्था ने निर्माण कार्य शुरू किया था.

क्षेत्र में बिल्डिंग वर्क का कार्य होने के साथ हैचरी का निर्माण पूरा हो गया है. ट्राउट मछलियों के लिए 25 मीटर लंबा एवं 2 मीटर मीटर चौडे़ 10 तालाब भी तैयार किए गए हैं. जहां प्रजनन के बाद मछली के बच्चों को रखा जाएगा. बीते साल चार दिसंबर से मस्त्य ब्रुड बैंक धारकुडी में विभाग ने डेनमार्क से छह लाख ट्राउट मछलियों के आइडओवा (अंडे) मंगाकर हैचरी के माध्यम से फिंगरलिंग तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ेंः रैणी आपदा के बाद अलकनंदा नदी में मछलियां हुईं खत्म, मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट

केंद्र सरकार की नील क्रांति योजना के तहत जर्मन प्रजाति की ट्राउट मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है. चार हजार फीट से अधिक ऊंचाई क्षेत्र इसके उत्पादन के लिए अनुकूल रहता है. ट्राउट मछली के लिए 5 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान बहुत अच्छा रहता है. ट्राउट मछलियों की कीमत अन्य मछलियों से कई गुना अधिक रहती है.

यह मछलियां 600 से 1000 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. यह मछली स्वास्थ्य के लिए लाभकारी व गुणकारी मानी जाती है. आगामी जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में अंडे से बने शीड को किसानों को वितरित किए जाएंगे. रुद्रप्रयाग जिले के साथ ही उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून समेत अन्य जनपदों के किसानों को मांग के अनुसार ट्राउट मछलियों के बच्चे दिए जाएंगे.

रुद्रप्रयाग जनपद में जिला योजना के तहत ट्राउट मछलियां वितरित की जाएंगी. जिले में जखोली ब्लॉक के धारकुडी निवासी कमल सिंह, ऊखीमठ ब्लॉक के गैड बस्ती निवासी वीरपाल सिंह एवं अगस्त्यमुनि ब्लॉक के लदोली निवासी दिनेश चौधरी समेत 45 किसान ट्राउट मछली उत्पादन में बेहतर कार्य कर रहे हैं.

यह किसान अभी तक साढे़ 4 कुंतल तक मछलियां बेच चुके हैं. स्थानीय स्तर पर लगभग 600 रुपए किलो के हिसाब से मछलियां बेची जा रही है. इससे उनकी आर्थिकी में काफी इजाफा हुआ है. वहीं, जिला प्रभारी मत्स्त्य विभाग रुद्रप्रयाग संजय सिंह बुटोला ने बताया कि जखोली ब्लॉक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है.

ये भी पढ़ेंः ट्राउट फिश की विदेशों में भारी डिमांड, हुकुम सिंह राणा स्वरोजगार को दे रहे नया आयाम

विभाग ने डेनमार्क से लगभग 6 लाख ट्राउट आइडओवा (अंडे) खरीदकर इनसे फिंगरलिंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया है. जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में किसानों की मांग के अनुसार ट्राउट के फिंगरलिंग वितरित किए जाएंगे. किसानों को उच्च कोटी की मछली उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ताकि उनकी आर्थिकी में सुधार होने के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा.

औषधीय गुणों से भरपूर ट्राउट मछलीः ट्राउट मछली औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही यह मछली अपने टेस्ट के लिए जानी जाती है. इसे मीठे पानी में पाला जाता है, जिसके लिए किसी पोखर या तालाब की भी मदद ली जा सकती है. इस मछली की खासियत ऐसी है कि देश-विदेश के फाइव स्टार होटलों में भी भारी मांग है.

औषधीय गुण होने के कारण भी लोग इसे चाव से खरीदते हैं. इससे मछली पालन करने वाले लोगों को अच्छी कमाई होती है. इस मछली की डिमांड बहुत है, लेकिन सप्लाई सीमित है. इस कारण यह हमेशा महंगे रेट पर बिकती है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में इसका उत्पादन किया जाता है. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों की जलधाराओं में यह मछली मिलता है.

दाने पर भी लाखों में होता है खर्चः एक टैंक या रेसवे में 3-4 हजार ट्राउट का पालन होता है और 2-3 लाख रुपए दाने पर खर्च हो जाते हैं. इस हिसाब से प्रति टैंक डेढ़ से 2 लाख रुपए की इनकम हो जाती है. टैंक में बराबर पानी की सप्लाई चाहिए, इसके लिए पहाड़ी इलाके होने से इसमें मदद मिल जाती है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके के नदी-नालों में साल भर ठंडा पानी मिलता रहता है, इसलिए पानी की कोई दिक्कत नहीं आती.

ट्राउट मछ्ली के अंडे से अच्छी कमाईः मछली के अलावा ट्राउट मछली का अंडा भी जुटाया जाता है. ये अंडे विदेशों में रिसर्च के लिए जाते हैं और इस पर अच्छी कमाई हो जाती है. मछली का सीड भी अच्छी दर पर बिक जाता है. छोटे किसान मछली पालन के लिए इसे खरीदते हैं. बाकी राज्यों में भी इसकी सप्लाई की जाती है.

ये भी पढ़ेंः ट्राउट और महाशीर मछली साबित होगी गेमचेंजर, उत्पादन बढ़ाने में जुटी सरकार

ट्राउट मछली की ब्रीडिंग का खास सीजन नवंबर से लेकर फरवरी तक होता है. मछलियों के तैयार होने पर नर और मादा की पहचान की जाती है. मादा मछली से अंडे निकाले जाते हैं. इसके बाद मादा मछली का मिल्ट निकाला जाता है और अंडे के साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है. एक मादा मछली एक बार में 1 हजार से लेकर 2 हजार तक अंडे देती है. 2 से 3 साल की मछली ही अंडे देने के लिए मैच्योर होती है.

ट्राउट मछली हृदय कैंसर रोगियों के लिए रामबाणः जानकार बताते हैं कि ट्राउट मछली दिल के मरीजों के लिए रामबाण का काम करती है. ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फाइटीएसिड नामक तत्व होता है, जो बहुत दुर्लभ पोषक तत्व है. इसके ट्राउड मछली हृदय रोगियों के लिए रामबाण है. साथ ही यह मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और कोलस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करती है.

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रुद्रप्रयागः यूरोपीय देशों में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली ट्राउट फिश का पालन अब उत्तराखंड में स्वरोजगार की दिशा को नया आयाम देता दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले और ठंडे इलाकों में ट्राउट फिश के पालन के लिए मुफीद है. यही वजह है कि किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है. जखोली ब्लॉक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड (प्रजनक) बैंक विधिवत शुरू हो गया है.

मत्स्य विभाग ने डेनमार्क से 6 लाख ट्राउट आइडओवा (अंडे) मंगाकर उनसे शीड तैयार की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जनवरी महीने के अंत में शीड को मांग के अनुसार किसानों को वितरित किए जाएंगे. इससे जहां पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को ट्राउट मछली उत्पादन से रोजगार भी मुहैया होगा. वर्तमान में रुद्रप्रयाग जिले में 45 किसान ट्राउट मछली का उत्पादन कर रोजगार से जुड़े हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी में हो रहा ट्राउट का उत्पादन, बारसू के काश्तकार को पहली बार दिए गए आईड एग

बता दें कि मत्स्य विभाग रुद्रप्रयाग जिले में ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है. जर्मन प्रजाति की ट्राउट मछली उत्पादन भविष्य में जनपद के किसानों की आर्थिकी का जरिया बनेगा. जखोली ब्लॉक के धारकुडी में लगभग 13 नाली भूमि पर ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक का निर्माण किया गया है. केंद्र सरकार से स्वीकृत 2 करोड़ 62 लाख से निर्माणदायी संस्था पेयजल निर्माण निगम श्रीनगर गढ़वाल ने मार्च 2020 में निर्माण कार्य की कार्रवाई शुरू की थी. इसी साल सितंबर माह से धारकुडी में निर्माणदायी संस्था ने निर्माण कार्य शुरू किया था.

क्षेत्र में बिल्डिंग वर्क का कार्य होने के साथ हैचरी का निर्माण पूरा हो गया है. ट्राउट मछलियों के लिए 25 मीटर लंबा एवं 2 मीटर मीटर चौडे़ 10 तालाब भी तैयार किए गए हैं. जहां प्रजनन के बाद मछली के बच्चों को रखा जाएगा. बीते साल चार दिसंबर से मस्त्य ब्रुड बैंक धारकुडी में विभाग ने डेनमार्क से छह लाख ट्राउट मछलियों के आइडओवा (अंडे) मंगाकर हैचरी के माध्यम से फिंगरलिंग तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ेंः रैणी आपदा के बाद अलकनंदा नदी में मछलियां हुईं खत्म, मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट

केंद्र सरकार की नील क्रांति योजना के तहत जर्मन प्रजाति की ट्राउट मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है. चार हजार फीट से अधिक ऊंचाई क्षेत्र इसके उत्पादन के लिए अनुकूल रहता है. ट्राउट मछली के लिए 5 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान बहुत अच्छा रहता है. ट्राउट मछलियों की कीमत अन्य मछलियों से कई गुना अधिक रहती है.

यह मछलियां 600 से 1000 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. यह मछली स्वास्थ्य के लिए लाभकारी व गुणकारी मानी जाती है. आगामी जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में अंडे से बने शीड को किसानों को वितरित किए जाएंगे. रुद्रप्रयाग जिले के साथ ही उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून समेत अन्य जनपदों के किसानों को मांग के अनुसार ट्राउट मछलियों के बच्चे दिए जाएंगे.

रुद्रप्रयाग जनपद में जिला योजना के तहत ट्राउट मछलियां वितरित की जाएंगी. जिले में जखोली ब्लॉक के धारकुडी निवासी कमल सिंह, ऊखीमठ ब्लॉक के गैड बस्ती निवासी वीरपाल सिंह एवं अगस्त्यमुनि ब्लॉक के लदोली निवासी दिनेश चौधरी समेत 45 किसान ट्राउट मछली उत्पादन में बेहतर कार्य कर रहे हैं.

यह किसान अभी तक साढे़ 4 कुंतल तक मछलियां बेच चुके हैं. स्थानीय स्तर पर लगभग 600 रुपए किलो के हिसाब से मछलियां बेची जा रही है. इससे उनकी आर्थिकी में काफी इजाफा हुआ है. वहीं, जिला प्रभारी मत्स्त्य विभाग रुद्रप्रयाग संजय सिंह बुटोला ने बताया कि जखोली ब्लॉक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है.

ये भी पढ़ेंः ट्राउट फिश की विदेशों में भारी डिमांड, हुकुम सिंह राणा स्वरोजगार को दे रहे नया आयाम

विभाग ने डेनमार्क से लगभग 6 लाख ट्राउट आइडओवा (अंडे) खरीदकर इनसे फिंगरलिंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया है. जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में किसानों की मांग के अनुसार ट्राउट के फिंगरलिंग वितरित किए जाएंगे. किसानों को उच्च कोटी की मछली उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ताकि उनकी आर्थिकी में सुधार होने के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा.

औषधीय गुणों से भरपूर ट्राउट मछलीः ट्राउट मछली औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही यह मछली अपने टेस्ट के लिए जानी जाती है. इसे मीठे पानी में पाला जाता है, जिसके लिए किसी पोखर या तालाब की भी मदद ली जा सकती है. इस मछली की खासियत ऐसी है कि देश-विदेश के फाइव स्टार होटलों में भी भारी मांग है.

औषधीय गुण होने के कारण भी लोग इसे चाव से खरीदते हैं. इससे मछली पालन करने वाले लोगों को अच्छी कमाई होती है. इस मछली की डिमांड बहुत है, लेकिन सप्लाई सीमित है. इस कारण यह हमेशा महंगे रेट पर बिकती है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में इसका उत्पादन किया जाता है. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों की जलधाराओं में यह मछली मिलता है.

दाने पर भी लाखों में होता है खर्चः एक टैंक या रेसवे में 3-4 हजार ट्राउट का पालन होता है और 2-3 लाख रुपए दाने पर खर्च हो जाते हैं. इस हिसाब से प्रति टैंक डेढ़ से 2 लाख रुपए की इनकम हो जाती है. टैंक में बराबर पानी की सप्लाई चाहिए, इसके लिए पहाड़ी इलाके होने से इसमें मदद मिल जाती है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके के नदी-नालों में साल भर ठंडा पानी मिलता रहता है, इसलिए पानी की कोई दिक्कत नहीं आती.

ट्राउट मछ्ली के अंडे से अच्छी कमाईः मछली के अलावा ट्राउट मछली का अंडा भी जुटाया जाता है. ये अंडे विदेशों में रिसर्च के लिए जाते हैं और इस पर अच्छी कमाई हो जाती है. मछली का सीड भी अच्छी दर पर बिक जाता है. छोटे किसान मछली पालन के लिए इसे खरीदते हैं. बाकी राज्यों में भी इसकी सप्लाई की जाती है.

ये भी पढ़ेंः ट्राउट और महाशीर मछली साबित होगी गेमचेंजर, उत्पादन बढ़ाने में जुटी सरकार

ट्राउट मछली की ब्रीडिंग का खास सीजन नवंबर से लेकर फरवरी तक होता है. मछलियों के तैयार होने पर नर और मादा की पहचान की जाती है. मादा मछली से अंडे निकाले जाते हैं. इसके बाद मादा मछली का मिल्ट निकाला जाता है और अंडे के साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है. एक मादा मछली एक बार में 1 हजार से लेकर 2 हजार तक अंडे देती है. 2 से 3 साल की मछली ही अंडे देने के लिए मैच्योर होती है.

ट्राउट मछली हृदय कैंसर रोगियों के लिए रामबाणः जानकार बताते हैं कि ट्राउट मछली दिल के मरीजों के लिए रामबाण का काम करती है. ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फाइटीएसिड नामक तत्व होता है, जो बहुत दुर्लभ पोषक तत्व है. इसके ट्राउड मछली हृदय रोगियों के लिए रामबाण है. साथ ही यह मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और कोलस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करती है.

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