रुद्रप्रयाग: प्रदेश में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है. केदार धाम में स्थित भगवान केदार के दर्शन से पहले यहां एक अहम परंपरा निभाई जाती है. इस मंदिर में भगवान केदार की आरती तब तक नहीं की जाती, जब तक भैरवनाथ मंदिर के कपाट नहीं खोले जाते.
स्थानीय लोग भगवान भैरवनाथ को केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक के रूप में पूजते हैं. स्थानीय लोग भैरव बाबा को भगवान केदारनाथ का अग्रवीर भी मानते हैं. जब तक केदारनाथ स्थित भैरव मंदिर के कपाट नहीं खुलते हैं, तब तक भगवान केदारनाथ की रात्रि की आरती नहीं होती है. साथ ही भगवान केदारनाथ को बाल भोग भी नहीं चढ़ाया जाता है.
9 मई को पूरे विधि-विधान के साथ भगवान केदारनाथ के कपाट खुल चुके हैं. मंदिर समिति और केदारनाथ के पुजारियों के निर्देशन में केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक भगवान भैरवनाथ के कपाट भी खोले गए. भैरवनाथ केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक हैं. कहा जाता है कि सम्पूर्ण केदारनाथ की रक्षा भगवान भैरव करते हैं. केदारनाथ के कपाट बंद करने से पहले भगवान भैरव मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं.
ग्रीष्मकाल के 6 माह प्रवास के बाद जब भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ के लिए रवाना होती है तो इससे एक दिन पहले शाम के समय शीतकालीन मंदिर ऊखीमठ में भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि भगवान भैरवनाथ के कपाट खुलने से पूर्व भगवान केदारनाथ की आरती नहीं की जाती है. साथ ही केदारनाथ को बाल भोग भी नहीं लगाया जाता है. जब केदारनाथ के कपाट बंद होते हैं तो भैरवनाथ को केदारनाथ की रक्षा की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है.