रुद्रप्रयागः भले ही तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट पिछले माह शीतकाल के छह माह के लिये बंद हो गये हों, लेकिन बावजूद इसके तुंगनाथ धाम में पर्यटकों की आवाजाही जारी है. धाम पहुंचने वाले पर्यटकों पर किसी की रोक-टोक नहीं है. तुंगनाथ पहुंच रहे पर्यटक पैदल मार्ग और बुग्यालों में गंदगी कर रहे हैं. जिससे हिमालय के ईको सिस्टम को नुकसान भी पहुंच रहा है.
तुंगनाथ धाम तृतीय केदार होने के साथ-साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. शीतकाल में तुंगनाथ में भारी बर्फबारी होती है. बर्फबारी का लुत्फ उठाने के लिये भारी संख्या में बिना किसी रोक-टोक के पर्यटक तुंगनाथ में पहुंच रहे हैं. पर्यटक तुंगनाथ के अलावा चन्द्रशिला तक जाते हैं. पर्यटकों की आवाजाही पर किसी की रोक नहीं है. पर्यटक लंबा समय तुंगनाथ के बुग्यालों में गुजारते हैं और वहां गदंगी करके चले आते हैं.
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पिछले वर्ष गंदगी करने वाले पर्यटकों पर अर्थदंड वसूलने की बात कही गई थी. साथ ही यह भी कहा गया था कि पर्यटक जो भी सामान अपने साथ ले जाएगा, उसे वापस ले जाएंगे. लेकिन इसकी देख-रेख करने वाला भी कोई नहीं हैं.
पर्यावरण विज्ञान के छात्र देवराघवेन्द्र बद्री का कहना है कि तुंगनाथ और चोपता के पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. प्लास्टिक कूड़े कचरे से वन्य जीवों को भी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में हिमालय के इको सिस्टम पर असर पड़ रहा है. एनजीटी के नियमों का कोई पालन नहीं किया जा रहा है. सैलानी पर्यटक स्थलों में घूमने फिरने आते हैं और गंदगी करके चले जाते हैं. वे कहते हैं इस संबंध में वन विभाग और पुलिस प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए.
वहीं, जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि कपाट बंद होने के बाद भी पर्यटक तुंगनाथ पहुंच रहे हैं और यहां पर गंदगी फैला रहे हैं. इसके लिए वन विभाग को निर्देश जायेंगे और समस्या को दूर किया जायेगा.
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जानिए क्या है भगवान तुंगनाथ की महिमा
पांच हजार वर्ष पुराने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था. महाभारत युद्ध में पांडवों ने अपने चचेरे भाईयों और गुरू का वध किया था. जिसके बाद आत्मग्लानि से बचने लिए व्यास ऋषि की सलाह से पांडव भगवान शिव की स्तुति करने लगे, ताकि उन्हें इस श्राप से मुक्ति मिल सके. लेकिन शिव उनके इस कृत्य से नाराज थे. उन्हें माफ नहीं करना चाहते थे. ऐसे में पांडवों ने शिव के दर्शन पाने के लिए उनका पीछा किया तो वे गुप्तकाशी में गुप्त हो गये.
लेकिन पांडवों ने उन्हें पहचान लिया और वहां भी उनका पीछा किया. तत्पश्चात शिव ने केदारनाथ में विशालकाय बैल का रूप धारण कर लिया. लेकिन पांडवों ने शिव को पहचान कर स्पर्श करने का प्रयास किया. तत्पश्चात शिव ने अपने शरीर के पांच भाग किये जो कि पंचकेदार के रूप में जाने जाते है. जिसमें तृतीय केदार के रूप में तुंगनाथ भगवान की पूजा की जाती है. यहां पर भगवान शिव के हदय एवं बाहु भाग की पूजा होती है.