रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट शनिवार (30 अक्टूबर) को शुभ लग्नानुसार शीतकाल के लिए पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के अनुसार बंद कर दिये जाएंगे. कपाट बंद करने को लेकर देवस्थानम बोर्ड ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. कपाट बंद होने के पावन अवसर पर शिरकत करने वाले श्रद्धालु भगवान तुंगनाथ के धाम पहुंच चुके हैं.
तुंगनाथ धाम के प्रबंधक बलवीर नेगी ने बताया कि शनिवार 30 अक्टूबर को विद्वान आचार्य, हक-हकूकधारी व वेदपाठी भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा अर्चना कर जलाभिषेक करेंगे और फिर आरती की जाएगी. सुबह 10 बजे भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को चंदन, भस्म, भृगराज, पुष्प, अक्षत्र से समाधि दी जाएगी और शुभ लग्नानुसार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जाएंगे.
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उन्होंने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. 31 अक्टूबर को चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुंड, दुगलविट्टा, पवधार, मक्कूबैंड, डूण्डू, वनातोली होते अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंचेगी.
एक नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भनकुंड से रवाना होगी और शुभ लग्नानुसार अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय तीर्थ तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होगी. भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचने पर एक दिवसीय तुंगनाथ महोत्सव का आयोजन किया जाएगा.