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तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट हुए बंद, अब मक्कूमठ में दर्शन देंगे भोलेनाथ - तुंगनाथ पर्वत

भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए रीति-रिवाज से आज बंद कर दिए गए. कपाट बंद होने से पहले भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष-पूजा अर्चना की गई.

भगवान तुंगनाथ
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Published : Nov 6, 2019, 8:02 AM IST

Updated : Nov 6, 2019, 5:47 PM IST

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में तीसरे केदार के रूप में विश्वविख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए आज पूरे रीति-रिवाज से बंद कर दिये गए. कपाट बंद होने के बाद श्रद्धालु तीसरे केदार के दर्शन तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में करेंगे.

भगवान तुंगनाथ
चोपता के लिए निकली भगवान तुंगनाथ की डोली.

भगवान की डोली अपने प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. कपाट बंद होने से पहले भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष-पूजा अर्चना की गई. इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली तुंगनाथ मंदिर की परिक्रमा की और तुंगनाथ से शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए रवाना हुई.

बंद हुए भगवान तुंगनाथ के कपाट.

भगवान तुंगनाथ का मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, जो 3,460 मीटर की ऊंचाई पर है और पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है जो कि 1,000 वर्ष पुराना माना जाता है. यहां भगवान शिव की भुजाओं की पूजा-अर्चना की जाती है. केदारनाथ धाम के बाद सबसे अधिक तीर्थयात्री भगवान तुंगनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

भगवान तुंगनाथ
फूलों से सजाया गया मंदिर.

यह भी पढ़ेंः शहीदों के नाम पर हो सड़क और स्कूलों का नामकरण, भेजा प्रस्ताव

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पांडवों से रुष्ट थे. तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है. मंदिर चोपता मार्ग से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. कहा यह भी जाता है कि पार्वती माता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी.

भगवान तुंगनाथ
भगवान तुंगनाथ की डोली.

मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डाॅ. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष में 16 हजार से अधिक श्रद्धालु बाबा तुंगनाथ के दरबार में पहुंचे, जिससे मंदिर समिति को लाखों की आय अर्जित हुई है, जबकि यात्रा मार्ग पर व्यापारियों को रोजगार मिला है. उन्होंने बताया कि चोपता से बाबा तुंगनाथ की दूरी तीन किमी है. घोड़ा-खच्चर, पालकी व डंडी-कंडी मजदूरों की आय में भी वृद्धि हुई है. इस यात्रा वर्ष में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से स्थानीय व्यापारियों के चेहरों पर मुस्कान देखने को मिली है.

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में तीसरे केदार के रूप में विश्वविख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए आज पूरे रीति-रिवाज से बंद कर दिये गए. कपाट बंद होने के बाद श्रद्धालु तीसरे केदार के दर्शन तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में करेंगे.

भगवान तुंगनाथ
चोपता के लिए निकली भगवान तुंगनाथ की डोली.

भगवान की डोली अपने प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. कपाट बंद होने से पहले भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष-पूजा अर्चना की गई. इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली तुंगनाथ मंदिर की परिक्रमा की और तुंगनाथ से शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए रवाना हुई.

बंद हुए भगवान तुंगनाथ के कपाट.

भगवान तुंगनाथ का मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, जो 3,460 मीटर की ऊंचाई पर है और पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है जो कि 1,000 वर्ष पुराना माना जाता है. यहां भगवान शिव की भुजाओं की पूजा-अर्चना की जाती है. केदारनाथ धाम के बाद सबसे अधिक तीर्थयात्री भगवान तुंगनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

भगवान तुंगनाथ
फूलों से सजाया गया मंदिर.

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ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पांडवों से रुष्ट थे. तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है. मंदिर चोपता मार्ग से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. कहा यह भी जाता है कि पार्वती माता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी.

भगवान तुंगनाथ
भगवान तुंगनाथ की डोली.

मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डाॅ. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष में 16 हजार से अधिक श्रद्धालु बाबा तुंगनाथ के दरबार में पहुंचे, जिससे मंदिर समिति को लाखों की आय अर्जित हुई है, जबकि यात्रा मार्ग पर व्यापारियों को रोजगार मिला है. उन्होंने बताया कि चोपता से बाबा तुंगनाथ की दूरी तीन किमी है. घोड़ा-खच्चर, पालकी व डंडी-कंडी मजदूरों की आय में भी वृद्धि हुई है. इस यात्रा वर्ष में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से स्थानीय व्यापारियों के चेहरों पर मुस्कान देखने को मिली है.

Last Updated : Nov 6, 2019, 5:47 PM IST
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