रुद्रप्रयागः पंच केदरों में तीसरे केदार के रूप में विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए 6 नवंबर को सुबह साढ़े ग्यारह बजे पौराणिक परंपराओं के अनुसार बंद कर दिये जायेंगे. कपाट बंद होने के बाद देश-विदेश के श्रद्धालु तीसरे केदार के दर्शन तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में करेंगे. डोली अपने प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी, जिसको लेकर मंदिर समिति और प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है.
भगवान तुंगनाथ का मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, जो 3,460 मीटर की ऊंचाई पर है और पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है जो कि एक हजार वर्ष पुराना माना जाता है. यहां भगवान शिव की भुजाओं की पूजा-अर्चना की जाती है. केदारनाथ धाम के बाद सबसे अधिक तीर्थ यात्री भगवान तुंगनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पांडवों से रुष्ट थे. तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है. मंदिर चोपता मार्ग से तीन किलोमीटर दूर स्थित है. कहा यह भी जाता है कि पार्वती माता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी.
ये भी पढ़ेंः 19 साल बाद भी नहीं बन पाया सपनों का उत्तराखंड!, लगातार खाली हो रही तिबारी डंडियाली
वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि 10 मई से शुरू हुई तृतीय केदार की यात्रा में अब तक 16 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. कपाट बंद करने की सभी तैयारियां जोरों पर हैं. मंदिर को करीब दो कुंतल फूलों से सजाया जा रहा है. आठ नवंबर को भगवान तुंगनाथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होंगे. वहां भी मंदिर की साज-सज्जा के साथ अन्य तैयारियां की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने को लेकर मंदिर समिति और प्रशासन तैयारियों में जुटा है.