रुद्रप्रयागः केदारनाथ हाईवे पर जगह-जगह डेंजर जोन बने हुए हैं. जो हादसों को दावत दे रहे हैं. इतना ही नहीं ये डेंजर जोन कई लोगों की जान भी लील चुकी है, लेकिन अब इन डेंजर जोनों का स्थाई ट्रीटमेंट किया जाएगा. इनका ट्रीटमेंट टीएचडीसी वैज्ञानिक विधि से करेगा. ऐसे में रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड और तुंगनाथ घाटी को चमोली जिले से जोड़ने वाले कुंड-ऊखीमठ-चोपता-गोपेश्वर-चमोली हाईवे के भूस्खलन एवं भू-धंसाव जोन से निजात मिल जाएगी.
दरअसल, रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसबाड़ा भूस्खलन जोन सबसे ज्यादा संवेदनशील है. 16/17 जून 2013 की आपदा के बाद से हाईवे पर खाट गांव के पास भू धंसाव जोन नासूर बन चुका है. यहां पर ठीक नीचे बह रही मंदाकिनी नदी के तेज बहाव से हो रहे कटाव हो रहा है. जिसका असर ऊपर की तरफ होने से जमीन धंस रही है. बीते सात सालों में 50 मीटर प्रभावित हिस्से में 40 मीटर (चौड़ाई में) से अधिक जमीन भू-धंसाव की भेंट चढ़ चुकी है.
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एनएच विभाग ने ऊपरी तरफ से जमीन को काटकर सड़क बनाई है, लेकिन हालत नाजुक हैं. ऑलवेदर रोड परियोजना में भी गौरीकुंड राजमार्ग के चौड़ीकरण से भटवाड़ीसैंण, मेदनपुर, नारायणकोटी, चंडिकाधार और रामपुर में नए भूस्खलन जोन बने हैं, जो बीते दो साल से परेशानी का सबब बने हुए हैं. आने वाले समय में इन डेंजर जोन से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी.
अब टीएचडीसी हाईवे पर भूस्खलन व भूधंसाव जोन की स्थाई मरम्मत करेगा. टीएचडीसी नई तकनीक से प्रभावित स्थानों का ट्रीटमेंट कर मिट्टी की परत को मजबूत करेगा, जिससे भूस्खलन व भू-धंसाव नहीं होगा. टीएचडीसी के वैज्ञानिक हाईवे के प्रभावित क्षेत्रों का प्रारंभिक सर्वेक्षण कर चुके हैं. विशेषज्ञ, एनएच के अधिकारियों के साथ प्रभावित हिस्सों का जिओ सर्वेक्षण कर सुधारीकरण कार्य की योजना तैयार की जाएगी.
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दूसरी तरफ कुंड-ऊखीमठ-चोपता-मंडल-चमोली हाईवे पर पापड़ी व ताला में भी भू-धंसाव जोन का स्थाई ट्रीटमेंट होगा. एनएच के अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि टीएचडीसी के विशेषज्ञों ने दोनों हाईवे के डेंजर जोन का सर्वेक्षण कर हालतों का जायजा लिया है. जिओ सर्वे से डेंजर जोन की सही स्थिति का पता लगेगा, जिसके आधार पर स्थाई ट्रीटमेंट किया जाएगा.