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विधि-विधान से खुले द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट

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Published : May 24, 2021, 5:04 PM IST

मद्महेश्वर धाम के कपाट पूरे विधि-विधान से आज से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये हैं.

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विधि-विधान से खुले द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट लग्नानुसार पौराणिक परंपराओं और जय शंकर, जय बाबा मद्महेश्वर के उद्घोषों के साथ विधि-विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं. कोविड कर्फ्यू कारण देवस्थानम् बोर्ड के अधिकारी, हक-हकूकधारी, तहसील एवं पुलिस प्रशासन ही इस पल के साक्षी बनें. इस दौरान कोरोना कर्फ्यू के नियमों का सख्ती से पालन किया गया. कपाट खुलने एवं डोली के धाम पहुंचने तक सोशल दूरी का विशेष ध्यान रखा गया.

विधि-विधान से खुले द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट

सोमवार को मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव लिंग ने गौंडार गांव में भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों का रुद्राभिषेक कर आरती उतारी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में सुसज्जित कर डोली का विशेष श्रृंगार कर फिर से डोली की आरती उतारी गई. सुबह ठीक 6 बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना हुई. ग्रामीणों ने घरों से ही पुष्प अक्षत्र अर्पित कर हाथ जोड़कर भगवान की डोली को कैलाश के लिए विदा किया.

पढ़ें- नगर पालिका मुनि की रेती के अध्यक्ष ने सौंपी कृषि मंत्री को 1 लाख पैरासिटामोल टैबलेट

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचटटी होते हुए देव दर्शनी बुग्यालों में पहुंच कर विश्राम किया.

पढ़ें- खुशखबरीः कोरोना काल में उत्तराखंड प्रवासियों को भी मिलेगा सस्ता राशन

लोक मान्यताओं के अनुसार देव डोलियों को कैलाशी मखमली बुग्याल अति प्रिय लगते हैं. ठीक 10 बजकर 45 मिनट पर मद्महेश्वर धाम के भंडारी मदन सिंह पंवार एवं विशाम्बर पंवार ने मद्महेश्वर धाम से शंख ध्वनि देकर डोली के धाम आगमन का आमंत्रण दिया. जिसके बाद भगवान मद्महेश्वर की डोली के साथ चल रहे श्रद्धालुओं ने भी शंख ध्वनि देकर निमंत्रण को स्वीकार किया. डोली धाम के लिए रवाना हुई. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर ग्यारह बजे सिंह लग्न में भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये. इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की समाधि को जागृत किया गया. पंडित राजन सेमवाल ने हवन कर विश्व शांति की कामना की.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट लग्नानुसार पौराणिक परंपराओं और जय शंकर, जय बाबा मद्महेश्वर के उद्घोषों के साथ विधि-विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं. कोविड कर्फ्यू कारण देवस्थानम् बोर्ड के अधिकारी, हक-हकूकधारी, तहसील एवं पुलिस प्रशासन ही इस पल के साक्षी बनें. इस दौरान कोरोना कर्फ्यू के नियमों का सख्ती से पालन किया गया. कपाट खुलने एवं डोली के धाम पहुंचने तक सोशल दूरी का विशेष ध्यान रखा गया.

विधि-विधान से खुले द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट

सोमवार को मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव लिंग ने गौंडार गांव में भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों का रुद्राभिषेक कर आरती उतारी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में सुसज्जित कर डोली का विशेष श्रृंगार कर फिर से डोली की आरती उतारी गई. सुबह ठीक 6 बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना हुई. ग्रामीणों ने घरों से ही पुष्प अक्षत्र अर्पित कर हाथ जोड़कर भगवान की डोली को कैलाश के लिए विदा किया.

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भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचटटी होते हुए देव दर्शनी बुग्यालों में पहुंच कर विश्राम किया.

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लोक मान्यताओं के अनुसार देव डोलियों को कैलाशी मखमली बुग्याल अति प्रिय लगते हैं. ठीक 10 बजकर 45 मिनट पर मद्महेश्वर धाम के भंडारी मदन सिंह पंवार एवं विशाम्बर पंवार ने मद्महेश्वर धाम से शंख ध्वनि देकर डोली के धाम आगमन का आमंत्रण दिया. जिसके बाद भगवान मद्महेश्वर की डोली के साथ चल रहे श्रद्धालुओं ने भी शंख ध्वनि देकर निमंत्रण को स्वीकार किया. डोली धाम के लिए रवाना हुई. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर ग्यारह बजे सिंह लग्न में भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये. इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की समाधि को जागृत किया गया. पंडित राजन सेमवाल ने हवन कर विश्व शांति की कामना की.

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