रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड की यात्रा पर निकले देश के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव आज (1 अक्टूबर) सुबह केदारनाथ धाम पहुंचे. यहां पहुंचने पर उन्होंने बाबा के जयकारे लगाए. सद्गुरु ने मंदिर के बाहर से ही बाबा के दर्शन किए. इस दौरान उन्हें देखने के लिए भक्तों का जमावड़ा लग गया.
मंदिर के बाहर से ही किया प्रणाम: बता दें कि, प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव उत्तराखंड की यात्रा पर निकले हैं. वे आज सुबह हेली सेवा के जरिए केदारनाथ धाम पहुंचे. आज से ही बाबा केदारनाथ धाम के लिए पांच हेली कपंनियों ने सेवाएं शुरू की हैं. केदारनाथ हेलीपैड पर पहुंचने के बाद आध्यात्मिक गुरु धीरे-धीरे पैदल चलकर बाबा केदार के दरबार में पहुंचे. उनके साथ उनके शिष्य भी मौजूद थे. उन्होंने केदारनाथ मंदिर के बाहर से भोलेनाथ को हाथ जोड़े और बाबा के जयकारे लगाए. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बाबा के दरबार में पहुंचे भक्तों ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव से मुलाकात की. मंदिर परिसर में चारों ओर से भक्तों ने उन्हें घेर लिया.
बाबा केदारनाथ के चरणों में है स्वर्ग: आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने भक्तों से कहा कि वे देवभूमि उत्तराखंड की यात्रा पर निकले हैं. केदारनाथ भगवान के दर्शन के बाद वे बदरीनाथ धाम भी जायेंगे. भगवान केदारनाथ के दरबार में आकर उन्हें परम आनंद की अनुभूति हुई है. बाबा के दरबार में आकर पुण्य मिलता है. जो भक्त यहां आते हैं, उन पर भगवान शिव की कृपा बरसती है. उन्होंने भक्तों से कहा कि धरती में अगर स्वर्ग है तो वह बाबा केदारनाथ के चरणों में है. उन्होंने कहा कि वे देशवासियों को यही संदेश देने के लिए उत्तराखंड आए हुए हैं कि चारधामों की यात्रा शुरू हो गई है और श्रद्धालुओं को चारधामों की यात्रा पर आना चाहिए. इससे उनके जीवन का मकसद सफल होगा.
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अब बदरीनाथ जाएंगे सद्गुरु जग्गी वासुदेव: सद्गुरु ने अपने भक्तों के साथ मुलाकात भी की. उन्हें अपना आशीर्वाद दिया और कहा कि उन्हें उत्तराखंड के मौसम और यहां की प्रकृति से बेहद लगाव रहा है. बता दें कि जग्गी वासुदेव अपनी पसंदीदा बाइक पर राइड कर रहे हैं. बदरीनाथ धाम की यात्रा पर भी वे बाइक के जरिये निकलेंगे. राइडिंग के दौरान सद्गुरु सारे सेफ्टी उपकरण पहन रहे हैं. इस दौरान उनके आराम के लिए करोड़ों रुपये की लागत की वैनिटी वैन भी उनके साथ चल रही है.
कौन हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव
जग्गी वासुदेव का जन्म 5 सितम्बर 1957 को कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ. उनके पिता एक डॉक्टर थे. इन्हें 'सद्गुरु' भी कहा जाता है. ये ईशा फाउंडेशन नामक लाभ रहित मानव सेवी संस्थान के संस्थापक हैं. ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है. साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है.
जग्गी वासुदेव ने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. सद्गुरु का आश्रम कोयंबटूर शहर से करीब 40 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य योग का प्रचार-प्रसार कर उसे लोगों के लिए सुलभ बनाना है. सद्गुरु के अनुयायी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मानते हैं जो लोगों के जीवन में प्रकाश भरने का और उनको नई दिशा दिखाने का काम करता है.