रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा शुरू होते ही पैदल मार्ग श्रद्धालुओं की परेशानी का सबब बन गया है. इस बार पैदल मार्ग इतना खतरनाक है कि श्रद्धालुओं के लिए धाम के दर्शन कर सकुशल वापस लौटना किसी चुनौती से कम नहीं है. शनिवार को केदारनाथ से दर्शन कर लौट रही एक पंजाब की 29 वर्षीय महिला श्रद्धालु की हिमखंड के चपेट में आने से मौत हो गई. इसके अलावा लिनचौली में दो श्रद्धालु यात्रा के दौरान चोटिल भी हुए. इन बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ग्लेशियरों पर प्रशासन ने अब अतिरिक्त जवान तैनात कर दिये हैं.
दरअसल, इस बार कैदारनाथ की यात्रा के पैदल मार्ग गौरीकुंड-केदार तक करीब 14 किलोमीटर यानी रामबाड़ा से केदारपुरी तक 5 बड़े ग्लेशियर हैं. इनमें से कुछ की ऊंचाई 15 फीट तक है. केदारनाथ यात्रा की इस कठिन चढ़ाई की वजह से श्रद्धालु थकान के कारण आधे रास्ते में ही रुक रहे हैं, जिस वजह से रोज पैदल मार्ग में श्रद्धालुओं का अपने परिजन से बिछड़ने के मामले भी सामने आ रहे हैं.
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शनिवार को भी बारिश होने के कारण एक महिला अपने परिजनों से बिछड़ गई थी, जिसके बाद SDRF के जवानों ने महिला को सकुशल परिजन से मिलवाया. वहीं, शनिवार रात 12 बजे कुछ यात्री थकान के कारण आधे रास्ते में ही ठंड के कारण रुक गये थे, जिन्हें लिनचौली लाया गया. इसके अलावा कर्नाटक से आई एक महिला तीर्थ यात्री शनिवार को गंभीर बीमार हो गई, जिन्हें स्ट्रेचर के माध्यम से चिकित्सालय पहुंचाया गया.
क्यों है इस साल पैदल मार्ग खतरनाक
साल 2019 की यात्रा के लिए ग्लेशियर को काटकर बीच से रास्ता तैयार किया गया है. गर्मी के कारण ग्लेशियर लगातार पिघलकर टूट रहे हैं और मार्ग में कीचड़ भी हो रही है, जो श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का सबब बन गया है. यही कारण है कि हिमखंड के गिरने की वजह से पंजाब से आई एक श्रद्धालु की भी पैदल यात्रा के दौरान मौत हो गई. ग्लेशियर पिघलने और टूटने की वजह से बर्फ हटाने के लिए पीडब्ल्यूडी के वर्कर काम पर लगे हुए हैं. जनहानि होने के बाद अब प्रशासन ने अतिरिक्त जवानों को श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया है.
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घोड़ा-खच्चर संचालकों की दादागिरी
पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चर संचालकों की दादागिरी भी देखने को मिल रही है. संचालक मनमर्जी से घोड़े-खच्चरों को हांक रहे हैं, जिस कारण यात्रियों के घोड़े-खच्चरों से नीचे गिरने के मामले भी सामने आए हैं. एक तीर्थ यात्री तो लिनचौली में खच्चर से गिरने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गया. जिसे प्राथमिक उपचार के बाद कंडी से गौरीकुंड पहुंचाया गया. आने-जाने वाले घोड़े-खच्चर एक साथ पैदल मार्ग पर आवाजाही कर रहे हैं, जिससे पैदल चलने वाले यात्रियों को भी दिक्कतें आ रही हैं. पिछले यात्रा सीजन में भी इस प्रकार की समस्याएं सामने आई थीं.