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पर्यटन गांव के रूप में विकसित हो रहा रांसी, होम स्टे योजना से बदल सकती है गांव की तस्वीर

Ransi village is becoming tourist village रांसी गांव धीरे धीरे पर्यटन गांव के रूप में विकसित हो रहा है. यहां के युवा होटल, ढाबों व टेंट व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे हैं. जिससे यहां के लोगों के सामने रोजगार के अवसर भी खुल रहे हैं. इसके साथ ही इससे यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को भी सुविधाएं मिल रही हैं.

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पर्यटन गांव के रूप में विकसित हो रहा रांसी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 15, 2023, 3:37 PM IST

रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार मदमहेश्वर यात्रा का अहम पड़ाव व भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रांसी गांव धीरे-धीरे पर्यटन गांव के रूप में विकसित होने लगा है. स्थानीय युवाओं के रांसी गांव में धीरे-धीरे होटल, ढाबों व टेंट व्यवसाय को बढ़ावा देने से गांव का चहुंमुखी विकास होने लगा है. जिससे क्षेत्रीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं. इसके साथ ही मदमहेश्वर घाटी के पर्यटक स्थलों में सैर करने वाले सैलानियों, पर्यटकों व सैलानियों को सुख, सुविधा भी उपलब्ध हो रही हैं. आने वाले समय में यदि रांसी गांव में पर्यटन व्यवसाय में इसी प्रकार वृद्धि हुई तो भविष्य में रांसी गांव मदमहेश्वर घाटी का पर्यटन गांव घोषित हो सकता है.

Rudraprayag district Ransi is developing as tourist village
रांसी गांव

मदमहेश्वर घाटी की खूबसूरत वादियों में बसे रांसी गांव को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है. रांसी गांव को चन्द्र कल्याणी भगवती राकेश्वरी की तपस्थली के रूप में विशिष्ट पहचान मिली है. रांसी गांव में वर्ष भर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पौराणिक व धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन युगों से होता रहता है. बैशाखी पर्व पर रांसी गांव में पांच दिनों तक मनाया जाता है. ग्रामीणों के सामूहिक पहल पर पांच दिनों तक कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. सावन महीने में भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा का आयोजन भी रांसी गांव से ही किया जाता है, जबकि सावन व भाद्रपद दो महीने तक पौराणिक जागरों के माध्यम से उत्तराखण्ड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर चैखम्बा हिमालय तक 33 कोटि देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करने की परम्परा रांसी गांव में युगों से चली आ रही है.

पढे़ं- 15 साल बाद रांसी गांव में हुआ पांडव नृत्य

प्रत्येक 12 वर्ष में भगवती राकेश्वरी की दिवारा यात्रा, वन्याथ, नारेण जागर सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन रांसी गांव में समय-समय किया जाता है. रांसी गांव हिमालयी घुमक्कडों का केन्द्र बिन्दु युगों से रहा है. इसलिए रांसी गांव के दर्जनों युवा गाइड व पोर्टर व्यवसाय से भी जुड़े हुए हैं. विगत कई वर्षों से रांसी गांव धीरे-धीरे पर्यटन गांव के रूप में विकसित होने से भविष्य में इस गांव में तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय की अपार संभावनाएं हैं.

Rudraprayag district Ransi is developing as tourist village
रांसी गांव में होते हैं कई धार्मिक आयोजन

पढे़ं- भगवती राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागरों का हुआ समापन, दो महीने तक दिखी अदभुत परंपरा

रांसी गांव की प्रधान कुन्ती नेगी ने कहा रांसी गांव में होटल, ढाबों का निर्माण निरन्तर होने से युवाओं के सामने स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होने के साथ गांव को विशिष्ट पहचान मिल रही है.राकेश्वरी मंदिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने कहा यदि प्रदेश सरकार रांसी गांव को पर्यटन गांव घोषित करने तथा पर्यटन विभाग होम स्टे योजना को बढ़ावा देने की पहल करता है तो रांसी गांव की तकदीर व तस्वीर एक साथ बदल सकती है.बदरी केदार मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने कहा रांसी गांव मनणामाई व मदमहेश्वर धाम पैदल ट्रेकों का मुख्य केन्द्र बिन्दु है. इसलिए भविष्य में रांसी गांव में तीर्थाटन, पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं.

रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार मदमहेश्वर यात्रा का अहम पड़ाव व भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रांसी गांव धीरे-धीरे पर्यटन गांव के रूप में विकसित होने लगा है. स्थानीय युवाओं के रांसी गांव में धीरे-धीरे होटल, ढाबों व टेंट व्यवसाय को बढ़ावा देने से गांव का चहुंमुखी विकास होने लगा है. जिससे क्षेत्रीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं. इसके साथ ही मदमहेश्वर घाटी के पर्यटक स्थलों में सैर करने वाले सैलानियों, पर्यटकों व सैलानियों को सुख, सुविधा भी उपलब्ध हो रही हैं. आने वाले समय में यदि रांसी गांव में पर्यटन व्यवसाय में इसी प्रकार वृद्धि हुई तो भविष्य में रांसी गांव मदमहेश्वर घाटी का पर्यटन गांव घोषित हो सकता है.

Rudraprayag district Ransi is developing as tourist village
रांसी गांव

मदमहेश्वर घाटी की खूबसूरत वादियों में बसे रांसी गांव को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है. रांसी गांव को चन्द्र कल्याणी भगवती राकेश्वरी की तपस्थली के रूप में विशिष्ट पहचान मिली है. रांसी गांव में वर्ष भर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पौराणिक व धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन युगों से होता रहता है. बैशाखी पर्व पर रांसी गांव में पांच दिनों तक मनाया जाता है. ग्रामीणों के सामूहिक पहल पर पांच दिनों तक कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. सावन महीने में भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा का आयोजन भी रांसी गांव से ही किया जाता है, जबकि सावन व भाद्रपद दो महीने तक पौराणिक जागरों के माध्यम से उत्तराखण्ड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर चैखम्बा हिमालय तक 33 कोटि देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करने की परम्परा रांसी गांव में युगों से चली आ रही है.

पढे़ं- 15 साल बाद रांसी गांव में हुआ पांडव नृत्य

प्रत्येक 12 वर्ष में भगवती राकेश्वरी की दिवारा यात्रा, वन्याथ, नारेण जागर सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन रांसी गांव में समय-समय किया जाता है. रांसी गांव हिमालयी घुमक्कडों का केन्द्र बिन्दु युगों से रहा है. इसलिए रांसी गांव के दर्जनों युवा गाइड व पोर्टर व्यवसाय से भी जुड़े हुए हैं. विगत कई वर्षों से रांसी गांव धीरे-धीरे पर्यटन गांव के रूप में विकसित होने से भविष्य में इस गांव में तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय की अपार संभावनाएं हैं.

Rudraprayag district Ransi is developing as tourist village
रांसी गांव में होते हैं कई धार्मिक आयोजन

पढे़ं- भगवती राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागरों का हुआ समापन, दो महीने तक दिखी अदभुत परंपरा

रांसी गांव की प्रधान कुन्ती नेगी ने कहा रांसी गांव में होटल, ढाबों का निर्माण निरन्तर होने से युवाओं के सामने स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होने के साथ गांव को विशिष्ट पहचान मिल रही है.राकेश्वरी मंदिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने कहा यदि प्रदेश सरकार रांसी गांव को पर्यटन गांव घोषित करने तथा पर्यटन विभाग होम स्टे योजना को बढ़ावा देने की पहल करता है तो रांसी गांव की तकदीर व तस्वीर एक साथ बदल सकती है.बदरी केदार मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने कहा रांसी गांव मनणामाई व मदमहेश्वर धाम पैदल ट्रेकों का मुख्य केन्द्र बिन्दु है. इसलिए भविष्य में रांसी गांव में तीर्थाटन, पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं.

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