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Rudraprayag Tyunkhar Village: रोज जान पर खेलकर सफर करते हैं त्यूंखर गांव के लोग, चढ़ाई में फूलती है सांस

प्रदेश के कई गांवों में आपदा के बाद भी कार्य नहीं हुआ है. इस कारण लोगों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खस्ताहाल मार्गों पर लोग जान हथेली पर रखकर आवाजाही कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीरें रुद्रप्रयाग जिले के त्यूंखर गांव से सामने आई है. इन तस्वीरों से अधिकारियों के दावों की हवा निकाल जाएगी.

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Published : Jan 25, 2023, 12:39 PM IST

रोज जान पर खेलकर सफर करते हैं त्यूंखर गांव के लोग

रुद्रप्रयाग: विकासखंड जखोली के ग्राम पंचायत त्यूंखर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग आपदा से क्षतिग्रस्त होने के छह माह बाद भी ठीक नहीं किया गया है. जिस कारण ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पैदल मार्ग के मुडिया आगर तोक में एक बड़ा हिस्सा ढहने के बाद बच्चों और बीमार लोगों को आने-जाने में दिक्कतें हो रही हैं. प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

लोगों को करना पड़ रहा परेशानियों का सामना: पिछले वर्ष बरसाती सीजन में विकासखण्ड जखोली के ग्राम सभा त्यूंखर में भारी नुकसान हुआ था. नुकसान का जायजा लेने के लिए जिला प्रशासन की टीम भी पहुंची. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी क्षेत्र का दौरा करके ग्रामीणों को आश्वस्त किया. मगर लम्बा समय गुजर जाने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है. पैदल मार्ग को भी दुरुस्त नहीं किया जा रहा है. जिस कारण ग्रामीण जनता के साथ ही स्कूली बच्चों और मरीजों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
पढ़ें-Almora News: सोबन सिंह जीना के पैतृक गांव में समस्याओं का अंबार, सांसद भी गोद लेने के बाद भूले!

क्या कह रहे ग्रामीण: ग्रामीण शूरवीर सिंह राणा, साहब सिंह पंवार, बुद्धा देवी, विनीता देवी ने बताया कि क्षेत्र में आपदा को आये छह माह का समय बीत गया है. आपदा में त्यूंखर गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग मुडिया आगर तोक में ध्वस्त हो गया था. इसके साथ ही क्षेत्र में काफी कुछ नुकसान हुआ. उस समय जिला प्रशासन की टीम भी गांव में पहुंची और नुकसान का जायजा लिया. इसके साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी आए और आश्वासन देकर चले गए. ग्रामीणों ने कहा कि आपदा के छह माह बाद भी पैदल मार्ग को सही नहीं करवाया गया है. पैदल मार्ग के सही नहीं होने से बुजुर्ग ग्रामीणों, महिलाओं एवं स्कूली बच्चों के साथ मरीजों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
पढ़ें-Organic Farming: 2025 तक उत्तराखंड को बनाना है 50% तक ऑर्गेनिक, कृषि मंत्री ने बताई प्लॉनिंग

कब निकलेगा हल: हर समय आने-जाने में ग्रामीण जनता को पहाड़ी से गिरने का भय बना रहता है. त्यूंखर गांव में 65 के करीब परिवार निवास करते हैं, जबकि यह मार्ग भरदार पट्टी के भी कई गांवों को जोड़ता है. ग्रामीणों ने कहा कि स्कूली बच्चे इस रास्ते से प्राथमिक स्कूल त्यूंखर को जाते हैं, जबकि ग्रामीण लोग रोजमर्रा की आवश्यक सामग्री को इसी रास्ते से पीठ पर ढोकर लाते हैं. चारापत्ती के लिए जाने वाली महिलाएं भी इसी रास्ते से होकर आती-जाती हैं. ऐसे में हर समय ग्रामीण जनता को भय बना रहता है. ग्रामीणों ने कहा कि सबसे ज्यादा समस्या मरीजों को ले जाने में होती है. कभी-कभार तो हल्का सा पांव फिसलने पर सांसें अटक जाती हैं.

क्या कह रहे जिम्मेदार: ग्रामीणों ने कहा कि अब तक किसी भी स्तर से पैदल मार्ग की कोई सुध नहीं ली गई है. ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी हुई है. जिला प्रशासन की टीम ने आपदाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण भी किया. साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी गांव में पहुंचे थे, लेकिन आज तक इस समस्या का हल नहीं हो पाया है. उन्होंने जल्द से जल्द पैदल मार्ग को दुरुस्त करने की मांग की है. वहीं मामले में डीएम मयूर दीक्षित ने कहा कि आपदा में क्षतिग्रस्त हुए त्यूंखर गांव को जोड़ने वाले पैदल मार्ग को दुरुस्त करवाया जायेगा, जिससे ग्रामीणों को समस्या का सामना ना करना पड़े.

रोज जान पर खेलकर सफर करते हैं त्यूंखर गांव के लोग

रुद्रप्रयाग: विकासखंड जखोली के ग्राम पंचायत त्यूंखर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग आपदा से क्षतिग्रस्त होने के छह माह बाद भी ठीक नहीं किया गया है. जिस कारण ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पैदल मार्ग के मुडिया आगर तोक में एक बड़ा हिस्सा ढहने के बाद बच्चों और बीमार लोगों को आने-जाने में दिक्कतें हो रही हैं. प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

लोगों को करना पड़ रहा परेशानियों का सामना: पिछले वर्ष बरसाती सीजन में विकासखण्ड जखोली के ग्राम सभा त्यूंखर में भारी नुकसान हुआ था. नुकसान का जायजा लेने के लिए जिला प्रशासन की टीम भी पहुंची. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी क्षेत्र का दौरा करके ग्रामीणों को आश्वस्त किया. मगर लम्बा समय गुजर जाने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है. पैदल मार्ग को भी दुरुस्त नहीं किया जा रहा है. जिस कारण ग्रामीण जनता के साथ ही स्कूली बच्चों और मरीजों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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क्या कह रहे ग्रामीण: ग्रामीण शूरवीर सिंह राणा, साहब सिंह पंवार, बुद्धा देवी, विनीता देवी ने बताया कि क्षेत्र में आपदा को आये छह माह का समय बीत गया है. आपदा में त्यूंखर गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग मुडिया आगर तोक में ध्वस्त हो गया था. इसके साथ ही क्षेत्र में काफी कुछ नुकसान हुआ. उस समय जिला प्रशासन की टीम भी गांव में पहुंची और नुकसान का जायजा लिया. इसके साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी आए और आश्वासन देकर चले गए. ग्रामीणों ने कहा कि आपदा के छह माह बाद भी पैदल मार्ग को सही नहीं करवाया गया है. पैदल मार्ग के सही नहीं होने से बुजुर्ग ग्रामीणों, महिलाओं एवं स्कूली बच्चों के साथ मरीजों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
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कब निकलेगा हल: हर समय आने-जाने में ग्रामीण जनता को पहाड़ी से गिरने का भय बना रहता है. त्यूंखर गांव में 65 के करीब परिवार निवास करते हैं, जबकि यह मार्ग भरदार पट्टी के भी कई गांवों को जोड़ता है. ग्रामीणों ने कहा कि स्कूली बच्चे इस रास्ते से प्राथमिक स्कूल त्यूंखर को जाते हैं, जबकि ग्रामीण लोग रोजमर्रा की आवश्यक सामग्री को इसी रास्ते से पीठ पर ढोकर लाते हैं. चारापत्ती के लिए जाने वाली महिलाएं भी इसी रास्ते से होकर आती-जाती हैं. ऐसे में हर समय ग्रामीण जनता को भय बना रहता है. ग्रामीणों ने कहा कि सबसे ज्यादा समस्या मरीजों को ले जाने में होती है. कभी-कभार तो हल्का सा पांव फिसलने पर सांसें अटक जाती हैं.

क्या कह रहे जिम्मेदार: ग्रामीणों ने कहा कि अब तक किसी भी स्तर से पैदल मार्ग की कोई सुध नहीं ली गई है. ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी हुई है. जिला प्रशासन की टीम ने आपदाग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण भी किया. साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी गांव में पहुंचे थे, लेकिन आज तक इस समस्या का हल नहीं हो पाया है. उन्होंने जल्द से जल्द पैदल मार्ग को दुरुस्त करने की मांग की है. वहीं मामले में डीएम मयूर दीक्षित ने कहा कि आपदा में क्षतिग्रस्त हुए त्यूंखर गांव को जोड़ने वाले पैदल मार्ग को दुरुस्त करवाया जायेगा, जिससे ग्रामीणों को समस्या का सामना ना करना पड़े.

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