रुद्रप्रयाग: भुकुंट भैरव के यज्ञ को लेकर पुरोहित तैयारियों में जुट गए हैं. तीर्थ पुरोहितों की ओर से रविवार को केदारपुरी के रक्षक भुकुंट भैरव के यज्ञ और पूजा-अर्चना कि जाएगी. आषाढ़ माह की संक्रांति पर भुकुंट भैरव के यज्ञ और पूजा-अर्चना की परंपरा तीर्थ पुरोहितों द्वारा अनादिकाल से चली आ रही है. धाम के तीर्थ पुरोहित इस मौके पर यज्ञ में जगत कल्याण, क्षेत्र की सुरक्षा व समृद्धि के लिए आहुतियां देते हैं.
दरअसल, तीर्थ पुरोहित आषाढ़ माह की संक्रांति पूजा की तैयारियों के लिए केदारनाथ धाम में जुट गए हैं. इस यज्ञ को सफल बनाने के लिए क्षेत्र के लोग आर्थिक मदद करते हैं. धाम में यह पूजा पुरोहितों की ओर से विश्व कल्याण व क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अनादिकाल होती आ रही है. इस बार कोरोना के चलते 21 तीर्थ पुरोहित ही यज्ञ में सम्मिलित होंगे.
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बता दें, हिमालय की गोद में बसे भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने से पहले श्रीगणेश भैरव पूजन की जाती है. परंपरा के अनुसार भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम रवाना होने से पूर्व केदारपुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा का विधान है. लोक मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान भैरवनाथ की पूजा के बाद ही भैरवनाथ केदारपुरी को प्रस्थान करते हैं.
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वहीं, केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार देश में जहां-जहां भगवान शिव के सिद्ध मंदिर हैं, वहां काल भैरवजी के मंदिर भी हैं. इन मंदिरों के दर्शन किए बिना भगवान शिव के दर्शन करना अधूरा माना जाता है. केदारनाथ में भी भुकुंट भैरवनाथ का मंदिर है. शीतकाल में धाम के कपाट बंद होने पर भैरवनाथ ही केदारनाथ धाम की रखवाली करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि विगत वर्ष की भांति इस बार भी धाम के तीर्थ पुरोहित आषाढ़ माह की संक्रांति पर भगवान भैरवनाथ की पूजा-अर्चना करेंगे.