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रुद्रप्रयाग: जर्जर हालत में पंचमुखी शिवलिंग महादेव मंदिर, जीर्णोद्धार की मांग

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Published : Aug 5, 2020, 4:40 PM IST

रुद्रप्रयाग जिले में स्थित पंचमुखी शिवलिंग महादेव मंदिर की जर्जर हालत को देखते हुए महंत ने शासन ने मंदिर के निर्माण की मांग की है.

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महंत ने पंचमुखी शिवलिंग महादेव मंदिर के शासन से जीर्णोद्धार की मांग की

रुद्रप्रयाग: जिले की बच्छणस्यूं पट्टी के अंतर्गत महड़गांव स्थित पंचमुखी शिवलिंग महादेव का मंदिर जर्जर हालत में है. दरअसल 5200 साल पहले पांडवों ने पंचमुखी मंदिर का निर्माण किया था. इसके साथ ही पांडव मंदिरों के समूह का भी निर्माण करा रहे थे. लेकिन किसी कारणवश उन्होंने मंदिर के निर्माण कार्य को आधा-अधूरा ही छोड़ दिया. जिसके बाद से मंदिर समूहों के साथ ही पंचमुखी मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व विभाग और प्रशासन ने भी कोई भी कार्रवाई अब तक नहीं की, जिसकी वजह से मंदिर समूह नीचे की ओर झुक गया है. मंदिर के मंहत ने शासन से जल्द से जल्द मंदिर समूहों के जीर्णोद्धार की मांग की है. जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच सकें.

मान्यता है कि नेपाल के बाद पंचमुखी शिवलिंग महड़गांव में ही स्थापित है. जहां दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं. पहले कांडई से मंदिर पहुंचने के लिए पैदल मार्ग से लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, जिस कारण कम ही संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते थे. लेकिन अब मंदिर तक सड़क हो जाने से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. मंदिर की मान्यता को सुनते हुए श्रद्धालुओं का यहां आना-जाना लगा रहता है. लेकिन पंचमुखी और मंदिर समूहों का रख-रखाव न होने से श्रद्धालुओं में मायूसी बनी रहती है.

गौर हो कि पंचमुखी मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी, जो मंदिर पंचमुखी शिवलिंग स्थापित करने के बाद अन्य मंदिर भी स्थापित करने जा रहे थे, लेकिन वह मंदिर समूहों का कार्य आधा-अधूरा ही छोड़कर चले गए थे, जिससे आज भी मंदिर समूह के यह मंदिर तिरछे आकार में खड़े हैं. जो देखने में लगता है कि गिरने वाला हैं, लेकिन वर्षो से वैसे ही स्थित है.

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ग्रामीणों का कहना है कि पौराणिक मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के प्रति पुरातत्व विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जबकि मंदिर की महत्ता को देखते हुए जल्द ही इसका जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए था, ताकि यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंच सके. उन्होंने शासन-प्रशासन से जल्द मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की है.

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मंदिर के महंत नीरज गिरि महाराज ने कहा कि मंदिर में दूर-दराज क्षेत्रों से भक्त पहुंचते हैं. सावन मास में तो मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. पंचमुखी मंदिर के साथ ही मंदिर समूहों की हालत जर्जर बनी हुई है. मंदिर की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

रुद्रप्रयाग: जिले की बच्छणस्यूं पट्टी के अंतर्गत महड़गांव स्थित पंचमुखी शिवलिंग महादेव का मंदिर जर्जर हालत में है. दरअसल 5200 साल पहले पांडवों ने पंचमुखी मंदिर का निर्माण किया था. इसके साथ ही पांडव मंदिरों के समूह का भी निर्माण करा रहे थे. लेकिन किसी कारणवश उन्होंने मंदिर के निर्माण कार्य को आधा-अधूरा ही छोड़ दिया. जिसके बाद से मंदिर समूहों के साथ ही पंचमुखी मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व विभाग और प्रशासन ने भी कोई भी कार्रवाई अब तक नहीं की, जिसकी वजह से मंदिर समूह नीचे की ओर झुक गया है. मंदिर के मंहत ने शासन से जल्द से जल्द मंदिर समूहों के जीर्णोद्धार की मांग की है. जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच सकें.

मान्यता है कि नेपाल के बाद पंचमुखी शिवलिंग महड़गांव में ही स्थापित है. जहां दूर-दराज से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं. पहले कांडई से मंदिर पहुंचने के लिए पैदल मार्ग से लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, जिस कारण कम ही संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते थे. लेकिन अब मंदिर तक सड़क हो जाने से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. मंदिर की मान्यता को सुनते हुए श्रद्धालुओं का यहां आना-जाना लगा रहता है. लेकिन पंचमुखी और मंदिर समूहों का रख-रखाव न होने से श्रद्धालुओं में मायूसी बनी रहती है.

गौर हो कि पंचमुखी मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी, जो मंदिर पंचमुखी शिवलिंग स्थापित करने के बाद अन्य मंदिर भी स्थापित करने जा रहे थे, लेकिन वह मंदिर समूहों का कार्य आधा-अधूरा ही छोड़कर चले गए थे, जिससे आज भी मंदिर समूह के यह मंदिर तिरछे आकार में खड़े हैं. जो देखने में लगता है कि गिरने वाला हैं, लेकिन वर्षो से वैसे ही स्थित है.

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ग्रामीणों का कहना है कि पौराणिक मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के प्रति पुरातत्व विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जबकि मंदिर की महत्ता को देखते हुए जल्द ही इसका जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए था, ताकि यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंच सके. उन्होंने शासन-प्रशासन से जल्द मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की है.

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मंदिर के महंत नीरज गिरि महाराज ने कहा कि मंदिर में दूर-दराज क्षेत्रों से भक्त पहुंचते हैं. सावन मास में तो मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. पंचमुखी मंदिर के साथ ही मंदिर समूहों की हालत जर्जर बनी हुई है. मंदिर की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

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