उत्तरकाशी/रुद्रप्रयाग: देवभूमि में विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज मंगलवार से होगा. मां गंगा की डोली सोमवार दोपहर 12.35 बजे पूरे विधि-विधान के साथ अपने धाम की ओर रवाना हुई. डोली पैदल मार्ग से सोमवार रात भैरो घाटी पहुंचेगी. वहीं मंगलवार अपराह्न 11.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे.
उल्लेखनीय है कि शीतकाल में मां गंगा गंगोत्री धाम से मुखबा स्थित मंदिर जाती हैं. कपाट खुलने से पहले गंगा जी को मुखबा से डोली यात्रा के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना किया गया. जिसकी पूरी व्यवस्था पुरोहितों करते हैं. वहीं गंगा को स्थानीय लोग बेटी की तरह पूजते हैं. इसलिए बेटी की विदाई के लिए पुरोहित परिवार पकवान तैयार कर उन्हें विदाई दी. वहीं इस दौरान आर्मी बैंड ने डोली की अगुवाई की. बता दें कि प्रत्येक वर्ष अन्नकूट के पावन पर्व पर गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद कर मां गंगा की भोग मूर्ति को तीर्थ पुरोहितों के गांव मुखबा स्थित मंदिर में रखा जाता है. जहां गंगा जी की पूजा-अर्चना की जाती है.
बाबा केदारनाथ की डोली भी हुई रवाना
भगवान केदारनाथ की डोली आज पंच केदार गद्दी स्थल ऊखीमठ से धाम के लिए रवाना हो गई है. डोली का प्रथम रात्रि प्रवास फाटा में होगा. वहीं रविवार रात्रि को भैरव बाबा की पूजा- अर्चना की गई. केदारनाथ धाम की सफल यात्रा के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के आराध्य भैरवनाथ की विशेष पूजा- अर्चना का विधान है. केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग ने 6 माह की पूजा-अर्चना के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी केदार लिंग को संकल्प दिलाया.
चारधाम यात्रा का आगाज कल से, आर्मी बैंड के साथ गंगोत्री के लिए रवाना हुई मां गंगा की डोली
गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलने से पहले गंगा जी को मुखबा से डोली यात्रा के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना किया गया. जिसकी पूरी व्यवस्था पुरोहितों करते हैं.
उत्तरकाशी/रुद्रप्रयाग: देवभूमि में विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का आगाज मंगलवार से होगा. मां गंगा की डोली सोमवार दोपहर 12.35 बजे पूरे विधि-विधान के साथ अपने धाम की ओर रवाना हुई. डोली पैदल मार्ग से सोमवार रात भैरो घाटी पहुंचेगी. वहीं मंगलवार अपराह्न 11.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे.
उल्लेखनीय है कि शीतकाल में मां गंगा गंगोत्री धाम से मुखबा स्थित मंदिर जाती हैं. कपाट खुलने से पहले गंगा जी को मुखबा से डोली यात्रा के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना किया गया. जिसकी पूरी व्यवस्था पुरोहितों करते हैं. वहीं गंगा को स्थानीय लोग बेटी की तरह पूजते हैं. इसलिए बेटी की विदाई के लिए पुरोहित परिवार पकवान तैयार कर उन्हें विदाई दी. वहीं इस दौरान आर्मी बैंड ने डोली की अगुवाई की. बता दें कि प्रत्येक वर्ष अन्नकूट के पावन पर्व पर गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद कर मां गंगा की भोग मूर्ति को तीर्थ पुरोहितों के गांव मुखबा स्थित मंदिर में रखा जाता है. जहां गंगा जी की पूजा-अर्चना की जाती है.
बाबा केदारनाथ की डोली भी हुई रवाना
भगवान केदारनाथ की डोली आज पंच केदार गद्दी स्थल ऊखीमठ से धाम के लिए रवाना हो गई है. डोली का प्रथम रात्रि प्रवास फाटा में होगा. वहीं रविवार रात्रि को भैरव बाबा की पूजा- अर्चना की गई. केदारनाथ धाम की सफल यात्रा के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के आराध्य भैरवनाथ की विशेष पूजा- अर्चना का विधान है. केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग ने 6 माह की पूजा-अर्चना के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी केदार लिंग को संकल्प दिलाया.
चारधाम यात्रा का आगाज, बाबा केदारनाथ और मां गंगा की डोली धाम के लिए होगी रवाना
Preparations for Uttarakhand Char Dham Yatra
उत्तरकाशी: गंगा जी की डोली अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा से गंगोत्री धाम के लिए होगी रवाना. मां गंगा की डोली आज दोपहर 12.35 को पूरे विधि-विधान के साथ अपने धाम की ओर रवाना होगी. डोली पैदल मार्ग से आज रात भैरो घाटी पहुचेंगी. मंगलवार अपराह्न 11.30 पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलेंगे.
उल्लेखनीय है कि शीतकाल में मुखबा स्थित मंदिर में गंगा जी के दर्शन और पूजा-अर्चना की जाती है. गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलने से पहले गंगा जी को मुखबा से डोली यात्रा के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना किया जाएगा. जिसकी पूरी व्यवस्था पुरोहितों करते हैं. वहीं मां गंगा को स्थानीय लोग बेटी की तरह पूजते हैं. इसलिए बेटी की विदाई के लिए पुरोहित परिवार पकवान तैयार करते कर उन्हें विदाई देते हैं. बता दें कि प्रत्येक वर्ष अन्नकूट के पावन पर्व पर गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद कर मां गंगा की भोग मूर्ति को तीर्थ पुरोहितों के गांव मुखबा स्थित मंदिर में रखा जाता है. जहां गंगा जी की पूजा-अर्चना की जाती है.
बाबा केदारनाथ की डोली भी होगी रवाना
भगवान केदारनाथ की डोली आज पंच केदार गद्दी स्थल ऊखीमठ से धाम के लिए रवाना होगी. 9 बजकर 30 मिनट पर बाबा केदारनाथ की डोली होगी रवाना. डोली का प्रथम रात्रि प्रवास फाटा में होगा.वहीं रविवार रात्रि को भैरव बाबा की पूजा- अर्चना की गई. केदारनाथ धाम की सफल एवं निर्विघ्न यात्रा के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के आराध्य भैरवनाथ की विशेष पूजा- अर्चना का विधान है. केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग ने 6 माह की पूजा-अर्चना के लिए नियुक्त मुख्य पुजारी केदार लिंग को संकल्प दिलाया.
Conclusion: