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Kedarnath Yatra: जाम और अतिक्रमण की खबरों को लेकर चर्चा में केदारनाथ यात्रा, परेशान यात्री

सोनप्रयाग गौरीकुंड मोटरमार्ग पर इन दिनों घंटो जाम लग रहा है. जिसके कारण यात्री परेशान हो रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर केदारनाथ में स्थानीय लोगों ने ही गढ़वाल मंडल विकास निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

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जाम और अतिक्रमण की खबरों को लेकर चर्चा में केदारनाथ यात्रा
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Published : May 12, 2023, 6:34 PM IST

Updated : May 16, 2023, 1:51 PM IST

जाम और अतिक्रमण की खबरों को लेकर चर्चा में केदारनाथ यात्रा

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा इस बार धार्मिक आस्था से ज्यादा अव्यवस्थाओं और विवादों को लेकर चर्चाओं में हैं. कभी केदारनाथ में भीड़ को लेकर अव्यवस्था, कभी बारिश, बर्फबारी को कारण यात्रा बाधित हो रही है. सोनप्रयाग से गौरीकुंड का पांच किमी का सफर तय करने में यात्रियों को डेढ़ से दो घंटे लग रहे हैं. जिसके कारण यात्री परेशान हो रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर केदारनाथ धाम में स्थानीय लोग ही जीएमवीएन पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. स्थानीय लोगों ने सात दिन में अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी है. ऐसा न करने पर आंदोलन की बात कही जा रही है.

जाम के कारण रेंग- रेंग कर चल रहे वाहन: जब देश के विभिन्न हिस्सों से तीर्थ यात्री केदारनाथ की यात्रा पर आते हैं, तो उन्हें वाहन ले जाने की अनुमति सोनप्रयाग तक ही होती है. सोनप्रयाग से आगे गौरीकुंड तक का सफर तीर्थ यात्रियों को प्रशासन की ओर से मुहैया कराई जा रही शटल सेवा से करना होता है. शटल सेवा का किराया गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक पचास रुपये पर व्यक्ति रखा गया है. इस बार शटल सेवा में दो सौ वाहनों को अनुमति दी गई है, लेकिन सोनप्रयाग-गौरीकुंड मोटरमार्ग बेहद संकरा होने के कारण यहां घंटों तक जाम की स्थिति पैदा हो रही है. जिससे वाहन यहां रेंग-रेंग कर चल रहे हैं.

जाम नहीं खुलवा रहे पुलिसकर्मी: पांच किमी का सफर दस मिनट में तय होना था, उसमें अब डेढ़ से दो घंटे का समय लग रहा है. यातायात व्यवस्था संभाल रहे पुलिस के जवान भी जाम खुलवाते नजर नहीं आ रहे हैं. वाहन चालक और यात्री खुद ही जाम खुलवा रहे हैं और आने-जाने का रास्ता बहाल कर रहे हैं. यहां पर पुलिस प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं होने से तीर्थयात्री खासे परेशान हैं.

तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों ने आंदोलन की दी चेतावनी: वहीं, केदारनगरी में जगह-जगह बनाई जा रही टेंट कॉलोनी का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार करने के लिए वितरित जगह पर भी गढ़वाल मंडल विकास निगम ने कब्जा कर लिया है. ऐसे में स्थानीय बेरोजगार रोजगार करने के लिए न तो टेंट लगा पा रहे हैं और न दुकानें खोल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर सात दिन के भीतर गढ़वाल मंडल विकास निगम ने जगह-जगह किए गए कब्जे को नहीं हटाया तो आंदोलन किया जाएगा.

गढ़वाल मंडल विकास निगम पर कब्जा करने का आरोप: स्थानीय लोगों को लाॅटरी के जरिए दुकानों और टेंट का वितरण किया जाता है. इस बार भी लगभग पांच सौ लोगों को केदारनाथ बेस कैंप, घोड़ा पड़ाव, लिनचैली और छानी कैंप में टेंट और दुकान लगाने की जगह वितरित की गई है, लेकिन तीर्थ पुरोहित समाज, केदारनाथ व्यापार संघ और स्थानीय बेरोजगारों का आरोप है कि स्थानीय लोगों को आवंटित जगह पर भी गढ़वाल मंडल विकास निगम ने कब्जा कर लिया है.

स्थानीय लोग नहीं लगा पा रहे टेंट और दुकान: गढ़वाल मंडल विकास निगम ने धाम से लेकर पूरे पैदल मार्ग पर अपने टेंट लगा दिए हैं. जिससे स्थानीय लोग न तो टेंट लगा पा रहे हैं और न दुकान खोल पा रहे हैं. जिसकी वजह से रोजगार प्रभावित हो गया है. तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी, व्यापार संघ अध्यक्ष केदारनाथ चंडी प्रसाद तिवारी ने कहा कि घोड़ा पड़ाव में सभी के साथ बैठक आयोजित की गई है. सात दिन के भीतर स्थानीय लोगों की जगह खाली करके उन्हें भी रोजगार करने नहीं दिया जाता है तो वह उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.

ये भी पढ़ें: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने देखी The Kerala Story, कहा, ये रील नहीं रियल स्टोरी है

जाम और अतिक्रमण की खबरों को लेकर चर्चा में केदारनाथ यात्रा

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा इस बार धार्मिक आस्था से ज्यादा अव्यवस्थाओं और विवादों को लेकर चर्चाओं में हैं. कभी केदारनाथ में भीड़ को लेकर अव्यवस्था, कभी बारिश, बर्फबारी को कारण यात्रा बाधित हो रही है. सोनप्रयाग से गौरीकुंड का पांच किमी का सफर तय करने में यात्रियों को डेढ़ से दो घंटे लग रहे हैं. जिसके कारण यात्री परेशान हो रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर केदारनाथ धाम में स्थानीय लोग ही जीएमवीएन पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. स्थानीय लोगों ने सात दिन में अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी है. ऐसा न करने पर आंदोलन की बात कही जा रही है.

जाम के कारण रेंग- रेंग कर चल रहे वाहन: जब देश के विभिन्न हिस्सों से तीर्थ यात्री केदारनाथ की यात्रा पर आते हैं, तो उन्हें वाहन ले जाने की अनुमति सोनप्रयाग तक ही होती है. सोनप्रयाग से आगे गौरीकुंड तक का सफर तीर्थ यात्रियों को प्रशासन की ओर से मुहैया कराई जा रही शटल सेवा से करना होता है. शटल सेवा का किराया गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक पचास रुपये पर व्यक्ति रखा गया है. इस बार शटल सेवा में दो सौ वाहनों को अनुमति दी गई है, लेकिन सोनप्रयाग-गौरीकुंड मोटरमार्ग बेहद संकरा होने के कारण यहां घंटों तक जाम की स्थिति पैदा हो रही है. जिससे वाहन यहां रेंग-रेंग कर चल रहे हैं.

जाम नहीं खुलवा रहे पुलिसकर्मी: पांच किमी का सफर दस मिनट में तय होना था, उसमें अब डेढ़ से दो घंटे का समय लग रहा है. यातायात व्यवस्था संभाल रहे पुलिस के जवान भी जाम खुलवाते नजर नहीं आ रहे हैं. वाहन चालक और यात्री खुद ही जाम खुलवा रहे हैं और आने-जाने का रास्ता बहाल कर रहे हैं. यहां पर पुलिस प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं होने से तीर्थयात्री खासे परेशान हैं.

तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों ने आंदोलन की दी चेतावनी: वहीं, केदारनगरी में जगह-जगह बनाई जा रही टेंट कॉलोनी का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार करने के लिए वितरित जगह पर भी गढ़वाल मंडल विकास निगम ने कब्जा कर लिया है. ऐसे में स्थानीय बेरोजगार रोजगार करने के लिए न तो टेंट लगा पा रहे हैं और न दुकानें खोल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर सात दिन के भीतर गढ़वाल मंडल विकास निगम ने जगह-जगह किए गए कब्जे को नहीं हटाया तो आंदोलन किया जाएगा.

गढ़वाल मंडल विकास निगम पर कब्जा करने का आरोप: स्थानीय लोगों को लाॅटरी के जरिए दुकानों और टेंट का वितरण किया जाता है. इस बार भी लगभग पांच सौ लोगों को केदारनाथ बेस कैंप, घोड़ा पड़ाव, लिनचैली और छानी कैंप में टेंट और दुकान लगाने की जगह वितरित की गई है, लेकिन तीर्थ पुरोहित समाज, केदारनाथ व्यापार संघ और स्थानीय बेरोजगारों का आरोप है कि स्थानीय लोगों को आवंटित जगह पर भी गढ़वाल मंडल विकास निगम ने कब्जा कर लिया है.

स्थानीय लोग नहीं लगा पा रहे टेंट और दुकान: गढ़वाल मंडल विकास निगम ने धाम से लेकर पूरे पैदल मार्ग पर अपने टेंट लगा दिए हैं. जिससे स्थानीय लोग न तो टेंट लगा पा रहे हैं और न दुकान खोल पा रहे हैं. जिसकी वजह से रोजगार प्रभावित हो गया है. तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी, व्यापार संघ अध्यक्ष केदारनाथ चंडी प्रसाद तिवारी ने कहा कि घोड़ा पड़ाव में सभी के साथ बैठक आयोजित की गई है. सात दिन के भीतर स्थानीय लोगों की जगह खाली करके उन्हें भी रोजगार करने नहीं दिया जाता है तो वह उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.

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Last Updated : May 16, 2023, 1:51 PM IST
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