रुद्रप्रयागः बदरीनाथ हाईवे रुद्रप्रयाग से श्रीनगर के बीच जगह-जगह जानलेवा बन गया है. हाईवे पर सफर करना मानो मौत को दावत देने के बराबर हो गया है. ऑल वेदर रोड निर्माण कार्य के चलते हाईवे पर कई डेंजर जोन बन गए हैं, जो सीधे हादसों को दावत दे रहे हैं. केदारनाथ हाईवे भी जगह-जगह डेंजर जोन में तब्दील हो गया है. स्थानीय लोग निजी कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब बीआरओ अच्छा कार्य रहा था तो निजी कंपनी को हाईवे का कार्य क्यों सौंपा गया?
बता दें कि कभी रुद्रप्रयाग से श्रीनगर के बीच बदरीनाथ हाईवे पर मात्र एक ही डेंजर जोन सिरोबगड़ हुआ करता था, लेकिन जब से ऑल वेदर रोड का कार्य शुरू हुआ है, तब से हाईवे पर कई डेंजर जोन बन गए हैं. खांकरा, नरकोटा, चमधार, फरासू सबसे खतरनाक जोन उभर कर आए हैं. यहां पर आवाजाही करते समय कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.
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फरासु और सिरोबगड़ में तो कई बड़े हादसे भी हो चुके हैं. जब हाईवे की जिम्मेदारी बीआरओ के पास थी तो बरसात में मलबा आते ही कुछ समय बाद आवाजाही शुरू हो जाती थी. अब बरसात हो या धूप हाईवे पर पहाड़ी लगातार दरक रही है और मलबे को साफ करने में घंटों के बजाय दिन लग रहे हैं. ऐसे में बदरीनाथ हाईवे पर रुद्रप्रयाग से श्रीनगर के बीच आवाजाही करते समय कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता.
बदरीनाथ हाईवे पर अब नरकोटा और खांकरा के बीच में भयंकर डेंजर जोन उभर गये हैं. यहां पर वैकल्पिक मार्ग की भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. सिरोबगड़ की समस्या से निजात पाने के लिए नौगांव से पपड़ासू बाईपास का निर्माण हो रहा है. इस बाईपास निर्माण में अलकनंदा नदी पर तीन पुल बनाए जाने हैं. लेकिन तीन साल में अभी एक भी पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. ऐसे में इस बाईपास के निर्माण में अभी कई साल लगने की उम्मीद है.
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हाईवे की वर्तमान स्थिति को देखकर अब नरकोटा और खांकरा के बीच में भी बाईपास निर्माण की आवश्यकता महसूस हो रही है. यहां पर हर दिन घंटों जाम लगना आम बात हो गई है. कुल मिलाकर देखा जाए तो रुद्रप्रयाग से श्रीनगर के बीच का सफर खतरों से भरा है.
करीब 32 किमी के इस सफर में हादसों से इनकार नहीं किया जा सकता है. यदि कार्यदायी संस्थाओं की मनमानी पर रोक न लगी तो आने वाले समय में स्थिति और भी बदहाल होगी. ऊपर से हाईवे पर कार्य कर रही निजी कार्यदायी संस्थाएं मनमानी करने पर लगी हुई हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से ऑल वेदर परियोजना शुरू हुई है, तब से रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के बीच कई डेंजर जोन उभर कर आए हैं. इससे पहले हाईवे की यह बदहाल स्थिति कभी नहीं देखी गई. अब हाईवे पर चलने में डर लग रहा है. अपनी मनमानी से कार्यदायी संस्थाएं कार्य कर रही हैं. बोलने वाला कोई नहीं है. यदि जनता के साथ कुछ दुर्घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
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वहीं, हाईवे के डेंजर जोन वाले स्थानों पर डीडीआरफ की टीमें तैनात की गई हैं, जो मार्ग बंद होने पर खुलवाने की कार्रवाई में जुट जाती हैं. उधर, केदारनाथ हाईवे में भी कई डेंजर जोन उभर आए हैं. हाईवे के गंगतल, सौड़ी, कुंड, फाटा समेत अन्य स्थानों पर खतरा बना रहता है. भारी बारिश के कारण जगह-जगह मलबा आया है, जिसे साफ करने में विभाग की मशीनें जुटी हुई हैं.
ललूड़ी-देवल-महाविद्यालय जखोली मोटरमार्ग बंदः कहने को तो राजकीय महाविद्यालय जखोली को जाने वाला मोटरमार्ग है, लेकिन मोटरमार्ग की स्थिति इतनी बदहाल है कि कोई इस मोटरमार्ग पर वाहन से तो क्या पैदल भी आवाजाही नहीं कर रहा है. मोटरमार्ग पर जगह-जगह मलबा आ रहा है, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है.
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महाविद्यालय जाने वाले मोटरमार्ग पर बीते कई दिनों से आवाजाही बंद है. मोटरमार्ग पर जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है. मोटरमार्ग पर बने गड्ढों में पानी भरा हुआ है. 6 किमी के इस मोटरमार्ग पर कहीं भी नालियों का निर्माण नहीं किया गया है. बरसात का पानी सड़क पर बह रहा है. इस मोटरमार्ग की यह स्थिति आज से नहीं, बल्कि 10 साल पूर्व जब से निर्माण हुआ है तब से है.
आज तक न तो मोटरमार्ग का डामर हो पाया है और न मोटरमार्ग के किनारे नालियों का निर्माण. इस मोटरमार्ग से जखोली महाविद्यालय, देवल, बमननाव, ललूड़ी, कांडई, मयाली समेत अन्य गांवों की हजारों आबादी जुड़ी हुई है, लेकिन लोक निर्माण विभाग की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है. वहीं, लोक निर्माण के अधिशासी अभियंता इंद्रजीत ने बताया कि मोटरमार्ग के डामरीकरण को लेकर स्टीमेंट भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही डामरीकरण किया जाएगा.