रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत फापंज बरसाल में 33 वर्षों बाद पांडव नृत्य आयोजन किया गया. आयोजन के 22वें दिन पांडवों ने देवरियाताल में गंगा स्नान किया. गंगा स्नान के बाद पांडव पश्वों ने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया.
उत्तराखंड को पांडवों की धरती भी कहा जाता है. यहां पांडव नृत्य (पंडौ नाच) अत्यंत लोकप्रिय है. मान्यता है कि पांडवों ने यहीं से स्वर्गारोहिणी के लिए प्रस्थान किया था. इसी कारण पहाड़ के गांवों में पांडव पूजन की विशेष परंपरा है. बुधवार को ढोल-दमाऊं वाद्य यंत्रों के साथ पांडव पश्वा, पुजारी, भक्तगण प्रसिद्ध पर्यटक स्थल देवरिया ताल पहुंचे. जहां पर विधि-विधान के साथ पांडवों के अस्त्र शस्त्रों (वाणों) की पूजा अर्चना की गई. पांडव पश्वाओं के देवरिया ताल पहुंचने पर सारी-देवरियाताल ट्रेक के व्यापारियों ने बड़े उत्साह के साथ पांडव पश्वाओं का फूल मालाओं, सामूहिक अर्घ्य, टीका चंदन व अस्त्र-शस्त्रों की भेंट अर्पित कर स्वागत किया. उन्होंने सामूहिक रूप से विभिन्न पकवान बनाकर पांडवों को अर्पित किए.
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स्नान के बाद ढोल-दमाऊं की थाप पर पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ शानदार नृत्य किया. इस मौके पर भक्तगणों ने देवताओं (पांडवों) से अपने परिवार की कुशलता की मनौतियां मांगी. वहीं जागर गायिका रामेश्वरी भट्ट, नर्मदा भट्ट, कुब्जा देवी, माता अमरा देवी, कुंवरी देवी ने मांगल गीत गाकर पांडव देवों से क्षेत्र में खुशहाली की कामना की. ग्राम पंचायत फापंज बरसाल में गत 26 अक्टूबर से शुरू किए गए पांडव नृत्य में अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है. जिसके तहत पांडवों ने देवरिया ताल में स्नान किया. इसके बाद पांडव वापस फापंज बरसाल के लिए प्रस्थान हुए.