रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व ग्राम तरवाड़ी में चल रहे पांडव नृत्य में पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया. पांडव नृत्य में बाणों का कौथिग आकर्षण का केन्द्र रहा. इस अवसर पर दूर-दराज क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों ने भगवान बदरी-विशाल और शंकरनाथ देवता के साथ ही पांडवों का आशीर्वाद लिया. आगामी 18 दिसम्बर को प्रसाद वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा.
एकादशी पर्व पर अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल गंगा स्नान के साथ भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव में पांडव नृत्य का आयोजन शुरु हुआ. शुक्रवार सुबह ग्रामीणों ने भगवान बदरी-विशाल एवं अन्य देवताओं को पूरी, प्रसाद एवं खीर का भोग लगाया. पुजारी कीर्ति प्रसाद डिमरी ने पांडव के अस्त्र-शस्त्रों के साथ देव निशाणों की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती की. जिसके बाद पांडव पश्वों ने नृत्य करने वाले स्थान पांडव चौक के चारों कोने की पूजा-अर्चना की. ढोल सागर की ताल पर देवता अवतरित हुए.
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पुजारी के पांडवों को अस्त्र-शस्त्र देने के बाद ही पांडवों ने ढोल-दमाऊ की थाप पर नृत्य शुरू किया, जो भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा. पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, तरवाड़ी, स्वीली, सेम, डुंग्री, जवाड़ी, मेदनपुर, रौठिया समेत कई दूर-दराज क्षेत्रों से ग्रामीण पहुंचे. बाणों के कौथिग का नृत्य दो घंटे तक चलता रहा. अंत में बदरी- विशाल को लगाए गए भोग को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया. इससे पूर्व भक्तों ने भगवान बदरीनाथ और शंकरनाथ देवता का आशीर्वाद लिया.
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पांडव नृत्य समिति तरवाड़ी के अध्यक्ष भोपाल सिंह पंवार ने बताया कि 16 दिसम्बर को नौगरी का कौथिग, 17 दिसम्बर को गेंडे का कौथिग व सिरोता एवं 18 दिसम्बर को नारायण के फल वितरण के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जाएगा. उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को पांडव नृत्य में पहुंचने की अपील की है.