रुद्रप्रयागः भरदार क्षेत्र के दरमोला गांव में चल रहे पांडव नृत्य का समापन हो गया है. इस दौरान पश्वों के द्वारा फेंके फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. जिसके बाद ग्रामीणों ने पांडवों और देव निशानों को उनके ससुराल स्वीली के लिए नम आंखों से विदाई दी गई. जहां पर बड़ी संख्या में ग्रामीण में देव निशानों को स्वीली गांव तक छोड़ने भी गए. वहीं, अंतिम दिन दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे हैं.
बीते आठ नवबंर से ग्राम पंचायत दरमोला में शुरू हुए पांडव नृत्य का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया. इस दौरान भगवान बदरीविशाल और शंकरनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के बाद छाबड़ी का भोग लगाया गया. साथ ही पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की गई. इससे पहले ढोल दमाऊं की थाप पर पांडवों के साथ स्थानीय लोगों ने नृत्य किया. बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया.
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भगवान नारायण के पश्वा समेत सभी पांडवों ने भक्तों के बीच फल फेंके. जिसे भक्तों ने उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ता है, उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. इससे पहते गुरुवार रात को रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला. जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केंद्र रहा. इस दौरान पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया.
फसल कटने के बाद उसका एक हिस्सा बदरीनाथ भगवान को चढ़ाया गया. जबकि, बाकी हिस्से को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया. पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया. वहीं, अंत में पांडवों और देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदाई का दृश्य सभी भक्तों को भावुक कर गया. इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया.
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वहीं, पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, डुंग्री, स्वीली, सेम, जवाड़ी, रौठिया, मेदनपुर से बड़ी संख्या लोग मौजूद रहे. मुख्य अतिथि विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि यह हमारी पौराणिक परंपराएं संस्कृति की धरोहर हैं. जिसे आगे बढ़ाने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है. जिससे भावी पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सके.