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पांडवों के विदाई का पल कर गया भावुक, पश्वों के फेंके फलों से मिलता है 'फल'

बीते आठ नवबंर से ग्राम पंचायत दरमोला में शुरू हुए पांडव नृत्य का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया. इस दौरान भगवान बदरी विशाल और शंकरनाथ की विशेष पूजा अर्चना के बाद छाबड़ी का भोग लगाया गया. अंत में पांडवों और देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदाई का दृश्य सभी भक्तों को भावुक कर गया.

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Published : Nov 29, 2019, 11:33 PM IST

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पांडव नृत्य

रुद्रप्रयागः भरदार क्षेत्र के दरमोला गांव में चल रहे पांडव नृत्य का समापन हो गया है. इस दौरान पश्वों के द्वारा फेंके फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. जिसके बाद ग्रामीणों ने पांडवों और देव निशानों को उनके ससुराल स्वीली के लिए नम आंखों से विदाई दी गई. जहां पर बड़ी संख्या में ग्रामीण में देव निशानों को स्वीली गांव तक छोड़ने भी गए. वहीं, अंतिम दिन दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे हैं.

बीते आठ नवबंर से ग्राम पंचायत दरमोला में शुरू हुए पांडव नृत्य का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया. इस दौरान भगवान बदरीविशाल और शंकरनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के बाद छाबड़ी का भोग लगाया गया. साथ ही पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की गई. इससे पहले ढोल दमाऊं की थाप पर पांडवों के साथ स्थानीय लोगों ने नृत्य किया. बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया.

ये भी पढ़ेंः जौनसार में हिरण और हाथी नृत्य के साथ हुआ बूढ़ी दीपावली का समापन

भगवान नारायण के पश्वा समेत सभी पांडवों ने भक्तों के बीच फल फेंके. जिसे भक्तों ने उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ता है, उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. इससे पहते गुरुवार रात को रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला. जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केंद्र रहा. इस दौरान पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया.

फसल कटने के बाद उसका एक हिस्सा बदरीनाथ भगवान को चढ़ाया गया. जबकि, बाकी हिस्से को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया. पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया. वहीं, अंत में पांडवों और देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदाई का दृश्य सभी भक्तों को भावुक कर गया. इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया.

ये भी पढ़ेंः बर्फबारी के बाद औली में बढ़ी रौनक, दुनियाभर से पहुंच रहे स्कीइंग के दीवाने

वहीं, पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, डुंग्री, स्वीली, सेम, जवाड़ी, रौठिया, मेदनपुर से बड़ी संख्या लोग मौजूद रहे. मुख्य अतिथि विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि यह हमारी पौराणिक परंपराएं संस्कृति की धरोहर हैं. जिसे आगे बढ़ाने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है. जिससे भावी पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सके.

रुद्रप्रयागः भरदार क्षेत्र के दरमोला गांव में चल रहे पांडव नृत्य का समापन हो गया है. इस दौरान पश्वों के द्वारा फेंके फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. जिसके बाद ग्रामीणों ने पांडवों और देव निशानों को उनके ससुराल स्वीली के लिए नम आंखों से विदाई दी गई. जहां पर बड़ी संख्या में ग्रामीण में देव निशानों को स्वीली गांव तक छोड़ने भी गए. वहीं, अंतिम दिन दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे हैं.

बीते आठ नवबंर से ग्राम पंचायत दरमोला में शुरू हुए पांडव नृत्य का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया. इस दौरान भगवान बदरीविशाल और शंकरनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के बाद छाबड़ी का भोग लगाया गया. साथ ही पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की गई. इससे पहले ढोल दमाऊं की थाप पर पांडवों के साथ स्थानीय लोगों ने नृत्य किया. बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया.

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भगवान नारायण के पश्वा समेत सभी पांडवों ने भक्तों के बीच फल फेंके. जिसे भक्तों ने उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ता है, उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. इससे पहते गुरुवार रात को रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला. जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केंद्र रहा. इस दौरान पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया.

फसल कटने के बाद उसका एक हिस्सा बदरीनाथ भगवान को चढ़ाया गया. जबकि, बाकी हिस्से को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया. पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया. वहीं, अंत में पांडवों और देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदाई का दृश्य सभी भक्तों को भावुक कर गया. इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया.

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वहीं, पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, डुंग्री, स्वीली, सेम, जवाड़ी, रौठिया, मेदनपुर से बड़ी संख्या लोग मौजूद रहे. मुख्य अतिथि विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि यह हमारी पौराणिक परंपराएं संस्कृति की धरोहर हैं. जिसे आगे बढ़ाने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है. जिससे भावी पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सके.

Intro:पांडवों के अपने ससुराल जाने का क्षण कर गया भावुक
बड़ी संख्या में दरमोला गांव पहुंचे भक्त, फल वितरण के साथ पांडव नृत्य संपंन
रुद्रप्रयाग। भरदार क्षेत्र के दरमोला गांव में चल रहे पांडव नृत्य का फल वितरण के साथ समापन हो गया। पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य करने के बाद भगवान नारायण द्वारा फैंके गए फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। अंत में पांडवों व देव निशानों के अपने ससुराल स्वीली जाने का विदाई का पल हर किसी को भावुक कर गया। ग्रामीण बड़ी संख्या में देव निशानों को स्वीली गांव तक छोड़ने भी गए। अंतिम दिन दूर-दराज क्षेत्रों के साथ बड़ी संख्या में यहां भक्तजन पहुंचे हुए थे। Body:गत् आठ नवम्बर से ग्राम पंचायत दरमोला में शुरू हुए पांडव नृत्य का शुक्रवार को विधिवत समापन हो गया है। भगवान बद्रीविशाल एवं शंकरनाथ की विशेष पूजा अर्चना के बाद छाबडी का भोग लगाया गया। पुजारी कीर्तिराम डिमरी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की गई। पहले तो ढोल दमांऊ की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी खूब नृत्य किया। बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया। पांडवों का नृत्य ने लोगों को खूब आनंदित भी किया। भगवान नारायण के पश्र्व समेत सभी पांडवों ने अंत में भक्तों के बीच फल फैंके, जिसे भक्तों ने उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ा है, उसे मनवांछित फल की फल की प्राप्ति होती है। इससे पूर्व गत गुरूवार रात्रि को रातभर अस्त्र-शस्त्रो के साथ पांडव नृत्य चला, जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा। इस दौरान पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया गया। फसल कटने के बाद उसका एक हिस्सा बद्रीनाथ भगवान को चढ़ाया गया तथा अन्य हिस्से को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया। इस दौरान पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया। अंत में पांडवों एवं देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदाई का दृश्य सभी भक्तों को भावुक कर गया। इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ यहां का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, डुंग्री, स्वीली, सेम, जवाड़ी, रौठिया, मेदनपुर से बड़ी संख्या भक्तजन उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक भरत सिंह चैधरी ने कहा कि यह हमारी पौराणिक परम्पराएं संस्कृति की धरोहर हैं, जिसको आगे बढ़ाने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत है। जिससे भावी पीढी भी इससे रूबरू हो सके। इससे पूर्व उन्होंने भगवान बद्रीनाथ, शंकरनाथ समेत कई देवाताओं का आशीर्वाद भी लिया।

फोटो: भक्तों को प्रसाद वितरित करते पांडव पश्वा Conclusion:
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