रुद्रप्रयाग: कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश और प्रदेश में बाहरी जिलों से आने वाले व्यक्तियों को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किया जा रहा है. वहीं पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से अधिकारियों को खुली छूट दी जा रही है. जिले में आबकारी अधिकारी और ऊखीमठ थाने में तैनात थानाध्यक्ष देहरादून से एक-दो दिन पहले ही रुद्रप्रयाग जिले में लौटे, जिन्हें क्वारंटाइन में रखने के बजाय सीधे जाने दिया गया.
थानाध्यक्ष ने देहरादून में अपनी माता का स्वास्थ्य खराब होने पर जाने की अनुमति मांगी थी. देहरादून जाने के बाद पुलिस अधिकारी देहरादून से अपने पूरे परिवार को ऊखीमठ लेकर आए, जबकि केवल पुलिस अधिकारी को ही आने की अनुमति थी.
गौर करने वाली बात यह है कि जिलों के बॉर्डर पर सघन चेकिंग अभियान चल रहा है, बावजूद इसके अधिकारी के साथ उनका परिवार कैसे पहुंचा, यह बड़ा सवाल है. यहां तक कि देहरादून जैसे संवेदनशील जिलों से आने के बाद भी यह पुलिस अधिकारी क्वारंटाइन नहीं हैं और जगह जगह गश्त लगा रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों में भय का मौहाल बना हुआ है.
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थानाध्यक्ष का मामला इकलौता नहीं है, लाॅकडाउन शुरू होते ही रुद्रप्रयाग के जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह को पथरी की शिकायत शुरू हो गई. ऐसे में जिला आबकारी अधिकारी इलाज करवाने देहरादून चले गये. इसके लिए उन्होंने बकायदा मेडिकल लीव भी लिया और देहरादून में अपनी पथरी का इलाज भी करवाया.
जिला आबकारी अधिकारी 24 मार्च से 12 अप्रैल तक मेडिकल लीव के दौरान देहरादून के अस्पताल और डाक्टरों के सम्पर्क में भी आए. इसके बाद जिला आबकारी अधिकारी बिना जांच के ही रुद्रप्रयाग पहुंच गए. उन्होंने अपने ऑफिस पहुंचकर बिना किसी रोक-टोक के अपना कार्य शुरू कर दिया.
वहीं, मामले में विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि कुछ अधिकारी देहरादून से आए हैं, जो बिना क्वारंटाइन के ही काम कर रहे हैं, जो कि चिंता का विषय है. भले ही रुद्रप्रयाग जिले में अभी तक एक भी केस पाॅजिटिव नहीं हैं, लेकिन सतर्कता बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से संक्रमण फैलने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है.