रुद्रप्रयाग: कोविड-19 से आम लोगों की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य कर्मी फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं. इनमें आरती जोशी एक ऐसी स्वास्थ्य कर्मी हैं, जो पथरी से पीड़ित होने के बावजूद भी कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं. आरती अभी जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग में उपचारिका के पद पर कार्यरत हैं.
आरती जोशी आईसीटीसी डिपार्टमेंट की संविदा स्टाफ नर्स होने के बावजूद कर्मचारियों की कमी के चलते जिला अस्पताल की अन्य नियमित उपचारिकाओं की भांति कोविड में अहम सेवाएं दे रही हैं. आरती स्वयं पिछले कई दिनों से अस्वस्थ हैं. उनकी किडनी में पथरी के कारण सूजन है. पिछले महीने 20 अप्रैल को निर्मल हॉस्पिटल ऋषिकेश में ऑपरेशन के माध्यम से उनकी पथरी निकाली जानी थी. जिसके लिए उन्हें कम से कम 10 दिन का अवकाश लेना पड़ता. लेकिन कोविड में ड्यूटी लगने और स्टाफ की कमी को देखते हुए आरती ने फिलहाल ऑपरेशन न कराने का निर्णय लिया.
आरती का कहना है कि इस समय चिकित्सालय को उनकी सेवाओं की आवश्यकता है. ऐसे में इस समय अवकाश लेना सही नहीं है. जब राष्ट्र इतनी पीड़ा से गुजर रहा है तो कुछ दिन पथरी की थोड़ी पीड़ा वह भी सहन कर सकती हैं. आरती की दो बेटियां हैं, जिनकी देखरेख के लिए उनकी मां संगीता भट्ट और पिता दयाराम भट्ट साथ रह रहे हैं. आरती मूल रूप से ऋषिकेश की हैं.
आरती जोशी के पति प्रसिद्ध समाजसेवी एवं लोक संस्कृति कर्मी कमल जोशी ने बताया कि उनकी पत्नी कोविड सैंपलिंग में ड्यूटी दे रही हैं. उनकी सेवा भावना को देखकर हमें भी गर्व होता है. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी के साथ ही अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी दिन-रात सेवा दे रहे हैं. स्वास्थ्य कर्मियों के सामने एक-एक जीवन बचाने की चुनौती है.
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बहरहाल, सीमित संसाधनों के बावजूद उपचारिका आरती जोशी सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा भावना प्रेरणादायी है. ये समय विषम परिस्थितियों में सेवाएं दे रहे स्वास्थ्य कर्मियों की हौसला-अफजाई करने का है.