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तुंगनाथ धाम में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़, मदमहेश्वर यात्रा पड़ाव पर सुविधाओं का अभाव

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Published : May 31, 2023, 5:38 PM IST

तुंगनाथ धाम में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. तुंगनाथ धाम में एक महीने में 19 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. वहीं, इसके उलट द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर धाम के यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जिसके कारण यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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तुंगनाथ धाम में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

रुद्रप्रयाग: हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के धाम में एक माह छ: दिन की अवधि में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा 19 हजार के पार पहुंच गया है. तुंगनाथ धाम में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित कर विश्व समृद्धि की कामना कर रहे हैं. तुंगनाथ धाम में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्रियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है.

मन्दिर समिति प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्वाण ने बताया तुंगनाथ धाम हिमालय के सबसे ऊंचाई पर विराजमान है. तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है. उन्होंने बताया तुंगनाथ धाम हिल स्टेशन चोपता से लगभग चार किमी दूर व चन्द्र शिला की तलहटी में सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसा हुआ है. तुंगनाथ धाम के प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट 26 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोले गये थे. कपाट खुलने से लेकर अभी तक 19,961 तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम पहुंचे हैं.

पढ़ें- विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर धाम पहुंच रहे भक्त, देखते ही बन रही सुंदरता

मदमहेश्वर धाम के यात्रा पड़ावों पर सुविधाओं का अभाव: वहीं, बात अगर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की करें तो धाम सहित यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. जिससे मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. मदमहेश्वर घाटी के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है. प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देने का प्रयास करती है तो मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों का चहुंमुखी विकास होने के साथ मदमहेश्वर घाटी आने वाले तीर्थ - यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही में भारी इजाफा होने से स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें- देवभूमि पहुंचकर भक्ति में डूबे 'मिस्टर खिलाड़ी', देखिये तस्वीरें

मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ाव कूनचटटी, मौखम्बा, नानौ, खटारा यात्रा पड़ावों पर विधुत, संचार, यातायात, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों पर पेयजल आपूर्ति करने वाले मुख्य जल स्रोत के जल स्तर में भारी गिरावट आने से भविष्य में मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर जल संकट गहरा सकता है. गौण्डार गांव के पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने बताया मदमहेश्वर धाम सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने से मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. उन्होंने बताया मदमहेश्वर घाटी पहुंचने वाला तीर्थ यात्री व सैलानी यहां कई रात्रि प्रवास करने के मकसद से पहुंचता है, मगर मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ाव, खटारा, नानौ, मैखम्बा, कूनचटटी व मदमहेश्वर धाम में विधुत व संचार जैसी मूलभूत सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं. जिसके कारण यात्री एक ही दिन में यहां से निकल जाते हैं. बदरी केदार मन्दिर समिति पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने कहा प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में छूट देने का प्रयास करती है तो मदमहेश्वर घाटी का चहुंमुखी विकास हो सकता है.

पढ़ें- धाम में उमड़ा आस्था का 'सैलाब', तैयार भव्य केदार

राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने कहा मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत रांसी - मनणामाई, मदमहेश्वर - पाण्डव सेरा - नन्दीकुण्ड,मदमहेश्वर - बूढा़ मदमहेश्वर, बुरूवा - बिसुणाताल, गडगू - ताली, मनसूना - देवरिया ताल, राऊलैंक - कालीशिला को जोड़ने वाले पैदल ट्रैकों को विकसित करने की पहल करनी चाहिए. इससे पलायन पर रोक लग सकती है.

रुद्रप्रयाग: हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के धाम में एक माह छ: दिन की अवधि में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा 19 हजार के पार पहुंच गया है. तुंगनाथ धाम में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित कर विश्व समृद्धि की कामना कर रहे हैं. तुंगनाथ धाम में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्रियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है.

मन्दिर समिति प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्वाण ने बताया तुंगनाथ धाम हिमालय के सबसे ऊंचाई पर विराजमान है. तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है. उन्होंने बताया तुंगनाथ धाम हिल स्टेशन चोपता से लगभग चार किमी दूर व चन्द्र शिला की तलहटी में सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसा हुआ है. तुंगनाथ धाम के प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट 26 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोले गये थे. कपाट खुलने से लेकर अभी तक 19,961 तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम पहुंचे हैं.

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मदमहेश्वर धाम के यात्रा पड़ावों पर सुविधाओं का अभाव: वहीं, बात अगर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की करें तो धाम सहित यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. जिससे मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. मदमहेश्वर घाटी के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है. प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देने का प्रयास करती है तो मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों का चहुंमुखी विकास होने के साथ मदमहेश्वर घाटी आने वाले तीर्थ - यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही में भारी इजाफा होने से स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ाव कूनचटटी, मौखम्बा, नानौ, खटारा यात्रा पड़ावों पर विधुत, संचार, यातायात, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों पर पेयजल आपूर्ति करने वाले मुख्य जल स्रोत के जल स्तर में भारी गिरावट आने से भविष्य में मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर जल संकट गहरा सकता है. गौण्डार गांव के पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने बताया मदमहेश्वर धाम सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने से मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. उन्होंने बताया मदमहेश्वर घाटी पहुंचने वाला तीर्थ यात्री व सैलानी यहां कई रात्रि प्रवास करने के मकसद से पहुंचता है, मगर मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ाव, खटारा, नानौ, मैखम्बा, कूनचटटी व मदमहेश्वर धाम में विधुत व संचार जैसी मूलभूत सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं. जिसके कारण यात्री एक ही दिन में यहां से निकल जाते हैं. बदरी केदार मन्दिर समिति पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने कहा प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम में छूट देने का प्रयास करती है तो मदमहेश्वर घाटी का चहुंमुखी विकास हो सकता है.

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राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने कहा मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत रांसी - मनणामाई, मदमहेश्वर - पाण्डव सेरा - नन्दीकुण्ड,मदमहेश्वर - बूढा़ मदमहेश्वर, बुरूवा - बिसुणाताल, गडगू - ताली, मनसूना - देवरिया ताल, राऊलैंक - कालीशिला को जोड़ने वाले पैदल ट्रैकों को विकसित करने की पहल करनी चाहिए. इससे पलायन पर रोक लग सकती है.

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