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नेपाल के अधिकारी ने फिर भारतीय क्षेत्रों पर जताया दावा, कहा- नेपाली नागरिक कर सकते हैं आवाजाही - nepal intrusion on indian territory

दार्चुला के सहायक जिला प्रमुख टेक सिंह कुंवर ने एक पत्र जारी कर कहा है कि लिम्पियधुरा, कुटी, नाबी, गुंजी, कालापानी और लिपुलेख नेपाल के इलाके हैं. इन इलाकों में नेपाली नागरिक स्वाभाविक रूप से आवाजाही कर सकते हैं.

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नेपाल के अधिकारी ने फिर से भारतीय क्षेत्रों पर जताया दावा
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Published : Aug 2, 2020, 4:03 PM IST

Updated : Aug 3, 2020, 5:46 PM IST

पिथौरागढ़: धारचूला के एसडीएम अनिल शुक्ला ने नेपाल से अवैध घुसपैठ की आशंका जताई है. उन्होंने इस बारे में नेपाल के दार्चुला जिले के जिला प्रमुख को भी पत्र लिखा है. पत्र में साफ कहा गया है कि मीडिया में सुर्खियां बटोरने की नीयत से कुछ नेपाली संगठन कालापानी, लिम्पियाधूरा और लिपुलेख में घुसपैठ कर सकते हैं. मगर इस पर नेपाल की ओर से जो जवाब आया वो चौंकाने वाला है. दार्चुला के सहायक जिला प्रमुख की ओर से भेजे गये पक्ष में कहा गया है कि ये तीनों क्षेत्र 1816 की सुगौली संधि के अनुसार नेपाल के हैं. नेपाल के लोग इन इलाकों में सामान्य रूप से कभी भी आवाजाही कर सकते हैं.

नेपाल के अधिकारी ने फिर से भारतीय क्षेत्रों पर जताया दावा

नेपाल प्रशासन ने सुगौली की संधि का हवाला देते हुए भारतीय क्षेत्रों को अपना बताया है. दार्चुला के सहायक जिला प्रमुख टेक सिंह कुंवर ने एक पत्र जारी कर कहा है कि लिम्पियधुरा, कुटी, नाबी, गुंजी, कालापानी और लिपुलेख नेपाल के इलाके हैं.

इन इलाकों में नेपाली नागरिक स्वाभाविक रूप से आवाजाही कर सकते हैं. वहीं, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने इस पत्र को ट्विटर पर शेयर करते हुए अपने अधिकारी को शाबासी दी है.

पढ़ें- केदारनाथ मास्टर प्लान और देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित, क्रमिक अनशन किया शुरू

दरअसल, भारत-नेपाल विवाद के बाद से ही नेपाल कालापानी, लिम्पियाधूरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बता रहा हैं. जिसे देखते हुए धारचूला के एसडीएम अनिल शुक्ला ने नेपाल से अवैध घुसपैठ की आशंका जताते हुए नेपाल प्रशासन को पत्र भेजा था. जिसके जवाब में नेपाल प्रशासन ने ये पत्र जारी किया है.

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धारचूला के एसडीएम का पत्र.

पढ़ें- मां को आनंद और संतुष्टि महसूस कराता है स्तनपान:'विश्व स्तनपान सप्ताह'

बता दें हाल ही में नेपाल की संसद के निचले सदन ने एकमत से नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को पारित किया था. इस नक़्शे में लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा दिखाया गया था. नेपाल इन इलाक़ों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है. भारत सरकार ने भी इसका जमकर विरोध किया था. इससे पहले भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क का उद्घाटन किया गया था. लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया था.

पिथौरागढ़: धारचूला के एसडीएम अनिल शुक्ला ने नेपाल से अवैध घुसपैठ की आशंका जताई है. उन्होंने इस बारे में नेपाल के दार्चुला जिले के जिला प्रमुख को भी पत्र लिखा है. पत्र में साफ कहा गया है कि मीडिया में सुर्खियां बटोरने की नीयत से कुछ नेपाली संगठन कालापानी, लिम्पियाधूरा और लिपुलेख में घुसपैठ कर सकते हैं. मगर इस पर नेपाल की ओर से जो जवाब आया वो चौंकाने वाला है. दार्चुला के सहायक जिला प्रमुख की ओर से भेजे गये पक्ष में कहा गया है कि ये तीनों क्षेत्र 1816 की सुगौली संधि के अनुसार नेपाल के हैं. नेपाल के लोग इन इलाकों में सामान्य रूप से कभी भी आवाजाही कर सकते हैं.

नेपाल के अधिकारी ने फिर से भारतीय क्षेत्रों पर जताया दावा

नेपाल प्रशासन ने सुगौली की संधि का हवाला देते हुए भारतीय क्षेत्रों को अपना बताया है. दार्चुला के सहायक जिला प्रमुख टेक सिंह कुंवर ने एक पत्र जारी कर कहा है कि लिम्पियधुरा, कुटी, नाबी, गुंजी, कालापानी और लिपुलेख नेपाल के इलाके हैं.

इन इलाकों में नेपाली नागरिक स्वाभाविक रूप से आवाजाही कर सकते हैं. वहीं, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने इस पत्र को ट्विटर पर शेयर करते हुए अपने अधिकारी को शाबासी दी है.

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दरअसल, भारत-नेपाल विवाद के बाद से ही नेपाल कालापानी, लिम्पियाधूरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बता रहा हैं. जिसे देखते हुए धारचूला के एसडीएम अनिल शुक्ला ने नेपाल से अवैध घुसपैठ की आशंका जताते हुए नेपाल प्रशासन को पत्र भेजा था. जिसके जवाब में नेपाल प्रशासन ने ये पत्र जारी किया है.

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धारचूला के एसडीएम का पत्र.

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बता दें हाल ही में नेपाल की संसद के निचले सदन ने एकमत से नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को पारित किया था. इस नक़्शे में लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा दिखाया गया था. नेपाल इन इलाक़ों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है. भारत सरकार ने भी इसका जमकर विरोध किया था. इससे पहले भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क का उद्घाटन किया गया था. लिपुलेख से होकर ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया था.

Last Updated : Aug 3, 2020, 5:46 PM IST
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