रुद्रप्रयाग: भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में फर्जी ताम्रपत्र प्रकरण में ऊखीमठ पंचगाई एवं मंदिर समिति के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई. जिसमें क्षेत्र के करीब डेढ़ सौ से ज्यादा बुद्धिजीवियों सहित जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस दौरान विद्वान आचार्यों ने कहा कि पुरातत्व विभाग को ऊखीमठ बुलाकर मजिस्ट्रेट के सामने ताम्रपत्रों को हटाया जाएगा और मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, एक महीने पहले भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में बीस से ज्यादा ताम्रपत्र मिलने से सनसनी फैल गई थी. जिन जगहों पर ताम्रपत्र मिले थे, वहां पर पहले ताम्रपत्र नहीं थे, जिससे ताम्रपत्रों की जांच की मांग उठने लगी. पहले मंदिर समिति की ओर से जांच की बात कही गई, लेकिन लम्बा समय बीत जाने के बाद भी कोई जांच न होने पर लोगों में आक्रोश बन गया. ऐसे में बुधवार को ऊखीमठ पंचगाई एवं मंदिर समिति के अधिकारियों की बैठक की गई.
पढ़ें: हिमालय क्षेत्र में इंडियन प्लेट से टकरा रही यूरेशियन प्लेट, इस वजह से आ रहे भूकंप के झटके
बैठक में विद्वान आचार्यों ने कहा कि ताम्रपात्रों पर हिन्दी में लेखनी होने से साफ जाहिर है कि यह किसी ने साजिश के तहत किया है. विद्वान आचार्यों ने कहा कि ताम्रपत्र कभी हिंदी में हो ही नहीं सकते और न ही ताम्रपत्र की लिपि को कोई आम इंसान पढ़ने में सक्षम हो सकता है. ताम्रपत्र इस प्रकार से दीवारों और दरवाजों पर लोहे की कील द्वारा नहीं ठोके जाते हैं. इससे साफ है कि ताम्रपत्र पूर्ण रूप से फर्जी और साजिश के तहत ओंकारेश्वर मंदिर में ठोके गए हैं.
वहीं, बैठक में सर्वसम्मति से ताम्र पत्रों को फर्जी साबित करते हुए इसे पूर्ण रूप से साजिश घोषित किया गया. इसके अलावा बैठक में कहा गया कि 31 अगस्त की रात को सीसीटीवी कैमरों के साथ छेड़छाड़ की गई और ताम्रपत्रों को लगाने के कार्य को अंजाम दिया गया. साथ ही कहा कि इसी रात मठ के रजिस्टर में अंकित नामों के आधार पर ताम्रपत्र केस की जांच होनी चाहिए. जल्द ही पुरातत्व विभाग को ऊखीमठ बुलाकर मजिस्ट्रेट के सामने ताम्रपत्रों को हटाया जाएगा और इनकी जांच कर दोषियों का तत्काल प्रभाव से सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा.