रुद्रप्रयागः द्वितीय केदारनाथ भगवान मद्महेश्वर यात्रा के आधार शिविर गौंडार में पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा. मद्महेश्वर घाटी के विभिन्न गांव के ग्रामीणों और यात्रियों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया. आंदोलन के कारण मद्महेश्वर धाम समेत विभिन्न यात्रा पड़ावों पर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. जिसके चलते मद्महेश्वर धाम और यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा पसरा रहा. वहीं, मद्महेश्वर धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों को पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है.
प्रधान बीर सिंह पंवार का कहना है कि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेंचुरी वन अधिनियम के कारण मद्महेश्वर धाम से लेकर कल्पनाथ तक के सभी तीर्थ और पर्यटक स्थलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जिससे तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य शिवानंद पंवार ने कहा कि मद्महेश्वर धाम में युगों से अपनी परंपराओं का निर्वहन करने वाले हक हकूकधारियों को केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की ओर से बेदखली के नोटिस थमाकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
वहीं, मद्महेश्वर घाटी विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट ने कहा कि मद्महेश्वर धाम में गौंडार के ग्रामीण युगों से अपनी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन निस्वार्थ भाव से करते आ रहे हैं. ऐसें में विभाग की ओर से हक हकूकधारियों का उत्पीड़न किसी भी प्रकार से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मद्महेश्वर घाटी के आम जनमानस की ओर से अपना समर्थन देकर आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा.
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यूपी के मथुरा से मद्महेश्वर धाम की यात्रा पर पहुंचे सुधीर अग्रवाल ने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में तीर्थाटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र और प्रदेश सरकार को ग्रामीणों की जायज मांगों पर अमल करना चाहिए. पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने कहा कि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेंचुरी वन अधिनियम के कारण मद्महेश्वर धाम समेत गौंडार गांव संचार युग में संचार सुविधा से वंचित है.
वहीं, भरत सिंह पंवार ने कहा कि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने यदि बेदखली के नोटिस वापस नहीं लिए तो ग्रामीणों को उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पडे़गा. जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र, प्रदेश सरकार और केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की होगी. दरअसल, मद्महेश्वर धाम के हक हकूकधारियों का कहना है कि वो लंबे समय से वन अधिनियम 2006 के तहत अधिकार दिए जाने, पैदल मार्ग को सेंचुरी वन अधिनियम से मुक्त करने की मांग कर रहे हैं.
उनका ये भी कहना है कि हक हकूकधारियों के हकों का विस्तार किया जाए. यात्रा पड़ावों पर बनी गौशालाओं को युगों से चली परंपरा के तहत यथावत करने की मांग करते आ रहें हैं, लेकिन उनकी मांगों पर अमल नहीं किया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग समय-समय पर उन्हें नोटिस थमाकर उनका उत्पीड़न कर रहा है. ग्रामीण कई दशकों से मद्महेश्वर यात्रा पड़ाव खटारा, नानौ, मौखंबा और कून चट्टी में प्रवास कर पशुपालन और कृषि का काम करते आ रहें हैं, लेकिन उन्हें परेशान किया जा रहा है.