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उत्तराखंडः शीतकाल के लिए मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद

द्वितीय केदार के नाम से विख्यात व सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान भगवान मद्महेश्वर के कपाट गुरुवार सुबह आठ बजे रीति-रिवाजों के साथ शीतकालीन के लिए बंद कर दिए गए.

मदमहेश्वर मंदिर
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Published : Nov 20, 2019, 8:10 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 8:48 AM IST

रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट गुरुवार को सुबह आठ बजे रीति-रिवाजों के साथ शीतकालीन के लिए बंद कर दिए गए. कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर पहली रात्रि प्रवास के लिए सीमांत गांव गौंडार पहुंचेगी.

मंदिर समिति टीम के डोली प्रभारी यदुवीर पुष्वाण भी मद्महेश्वर धाम पहुंच चुके हैं. स्थानीय वाद्य यंत्रों की जोड़ी भी डोली की गौंडार गांव के बनातोली में अगुवाई करने के लिए ऊखीमठ से रवाना हो गई है. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर कूनचट्टी, मैखम्भा, नानौ, खटारा, बनातोली यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए पहली रात्रि को प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.

मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया 22 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी. जहां पर रांसी गांव पर पन्द्रह वर्षों बाद आयोजित पांडव नृत्य में भगवान मद्महेश्वर की डोली व पांडवों का अदभुत मिलन होगा. वहीं, 23 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा, राऊलैंक, बुरूवा, मनसूना यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंडः 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि खरीद और जमीन लीज पर देने से संबंधित अध्यादेश राजभवन से मंजूर

जबकि, 24 नवम्बर को बह्म बेला पर गिरीया गांव में भगवान मद्महेश्वर के निर्वाण दर्शन किये जायेंगे और भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी. जहां पर रावल भीमा शंकर लिंग द्वारा भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सोने छत्र चढ़ाया जायेगा और सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा डोली की अगुवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि दोपहर लगभग 12 बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर भव्य मेले का आयोजन किया जायेगा.

रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट गुरुवार को सुबह आठ बजे रीति-रिवाजों के साथ शीतकालीन के लिए बंद कर दिए गए. कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर पहली रात्रि प्रवास के लिए सीमांत गांव गौंडार पहुंचेगी.

मंदिर समिति टीम के डोली प्रभारी यदुवीर पुष्वाण भी मद्महेश्वर धाम पहुंच चुके हैं. स्थानीय वाद्य यंत्रों की जोड़ी भी डोली की गौंडार गांव के बनातोली में अगुवाई करने के लिए ऊखीमठ से रवाना हो गई है. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर कूनचट्टी, मैखम्भा, नानौ, खटारा, बनातोली यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए पहली रात्रि को प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.

मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया 22 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी. जहां पर रांसी गांव पर पन्द्रह वर्षों बाद आयोजित पांडव नृत्य में भगवान मद्महेश्वर की डोली व पांडवों का अदभुत मिलन होगा. वहीं, 23 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा, राऊलैंक, बुरूवा, मनसूना यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी.

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जबकि, 24 नवम्बर को बह्म बेला पर गिरीया गांव में भगवान मद्महेश्वर के निर्वाण दर्शन किये जायेंगे और भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी. जहां पर रावल भीमा शंकर लिंग द्वारा भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सोने छत्र चढ़ाया जायेगा और सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा डोली की अगुवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि दोपहर लगभग 12 बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर भव्य मेले का आयोजन किया जायेगा.

Intro:बृहस्पतिवार को होंगे द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट बंद
प्रथम रात्रि प्रवास को चल विग्रह डोली पहुंचेगी गौण्डार
रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात व सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान भगवान मदमहेश्वर के कपाट बृहस्पतिवार को प्रातः आठ बजे लग्नानुसार पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के साथ शीतकालीन के लिए बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए मदमहेश्वर यात्रा के अहम पड़ाव व सीमांत गांव गौण्डार पहुंचेगी। Body:मन्दिर समिति टीम के डोली प्रभारी यदुवीर पुष्वाण भी मदमहेश्वर धाम पहुंच चुके हैं, जबकि स्थानीय वाद्य यंत्रों की जोड़ी भी डोली की गौंडार गांव के बनातोली में अगुवाई करने के लिए ऊखीमठ से रवाना हो गई है। जानकारी देते हुए मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि गुरूवार को भगवान मदमहेश्वर के कपाट प्रातः आठ बजे लग्नानुसार शीतकाल के लिए पौराणिक परम्पराओं के साथ बंद कर दिये जायंेगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर कूनचटटी, मैखम्भा, नानौ, खटारा, बनातोली यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि 22 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी, जहां पर रांसी गांव पर पन्द्रह वर्षों बाद आयोजित पाण्डव नृत्य में भगवान मदमहेश्वर की डोली व पाण्डवों का अदभुत मिलन होगा। श्री जमलोकी ने बताया कि 23 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा, राऊलंैक, बुरूवा, मनसूना यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गाँव पहुंचेगी। 24 नवम्बर को बह्म बेला पर गिरीया गांव में भगवान मदमहेश्वर के निर्वाण दर्शन किये जायंेगे और भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी, जहां पर रावल भीमा शंकर लिंग द्वारा भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सोने छत्र चढ़ाया जायेगा तथा सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा डोली की अगुवाई की जायेगी। उन्होंने बताया कि दोपहर लगभग 12 बजे भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचने पर भव्य मेले का आयोजन किया जायेगा।Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 8:48 AM IST
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