रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जिले में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस पावन अवसर पर देवरियाताल में जहां श्रीकृष्ण भगवान की झांकियां निकाली जाती हैं, वहीं हरियाली देवी में भक्त पूजा-अर्चना कर पर्व को मनाते हैं. साथ ही यहां खास पकवान भी बनाये जाते हैं, जिन्हें श्रीकृष्ण भगवान को चढ़ाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप भेंट किया जाता है.
बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले के रानीगढ़ पट्टी स्थित सिद्धपीठ मां हरियाली देवी का विशेष महत्व है. द्वापर युग में जब कंस ने अपनी बहन देवकी के आठों पुत्रों को मारने का संकल्प लिया था, तब देवकी के आठवें पुत्र का जन्म होते ही वासुदेव ने उसे गोकुल में नंद-यशोदा के पास पहुंचा दिया था, वहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आये थे. इसके बाद जैसे ही कंस देवकी के आठवें पुत्र को मारने के लिए धरती पर पटकने लगा, वैसे ही बालिका योगमाया स्वरूप हाथ से छूटकर आकाश मार्ग से होकर हरि नामक पर्वत पर चली गईं. जिसके बाद से हरि पर्वत पर निवास करने वाली योगमाया हरियाली के नाम से विख्यात हो गई.
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जिले के जसोली गांव में मां हरियाली का मंदिर हैं और हर साल सिद्धपीठ हरियाली देवी की यात्रा का आगाज धनतेरस पर्व पर किया जाता है. हरियाली देवी योगमाया का बालस्वरूप है जो कि शुद्ध स्वरूप में वैष्णवी हैं. यात्रा में जसौली गांव की स्थानीय महिलाओं द्वारा मांगलिक गायनों के साथ हरियाली देवी की डोली को हरियाली पर्वत की ओर विदा किया जायेगा. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पूर्व ही भक्त हरियाली मंदिर पहुंचते हैं और पर्व की तैयारियों में जुट जाते हैं. यहां पर देश-विदेशों से भक्त पहुंचते हैं, जो जन्माष्टमी पर्व पर रात्रि भर भजन कीर्तन गाकर श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हैं.
वहीं, दूसरी ओर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ऊखीमठ विकासखण्ड के देवरियाताल में मेले का आयोजन किया जाता है. देवरियाताल में एक विशालकाय झील है, झील में नाग देवता का वास है. मान्यता है कि जन्माष्टमी पर शेषनाग यहां पर भक्तों को दर्शन देते हैं. मेला समिति के अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी मेले को भव्य रूप से मनाया जाएगा. इसके अलावा मेले को राज्य स्तर का दर्जा मिले, इसको लेकर भी समिति स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं.