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रात्रि विश्राम के लिए अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंची भगवान मद्महेश्वर की डोली

रविवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव होली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर में विराजमान होगी, जहां 25 नवंबर से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.

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Published : Nov 23, 2019, 7:15 PM IST

भगवान मदमहेश्वर की डोली

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंची. जहां सैकड़ों की तादात में पहुंचे श्रद्धालुओं ने डोली पर पुष्पवर्षा करके विश्व कल्याण की कामना की.

lord madmaheshwar
भगवान मदमहेश्वर की डोली

पढ़ें- केदारधाम में सहेजकर रखी जाएंगी पुरातात्विक महत्व की शिव प्रतिमाएं, बनेगा ओपन एयर म्यूजियम

शनिवार को सुबह ठीक नौ बजे भगवान मद्महेश्वर की डोली ने रांसी गांव से अपने अगले पड़ाव गिरीया गांव के लिए प्रस्थान किया था. रांसी गांव से प्रस्थान करने से पहले राकेश्वरी के मंदिर प्रधान पुजारी बागेश लिंग डोली और अन्य देवी-देवताओं को विशेष पूजा-अर्चना की थी.

बता दें कि रांसी गांव में 15 साल के बाद इस वर्ष पांडव नृत्य का आयोजन हो रहा है. शुक्रवार को पांडव पश्वाओं ने अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की अगवानी की थी. जबकि, रविवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव होली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर में विराजमान होगी, जहां 25 नवंबर से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंची. जहां सैकड़ों की तादात में पहुंचे श्रद्धालुओं ने डोली पर पुष्पवर्षा करके विश्व कल्याण की कामना की.

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भगवान मदमहेश्वर की डोली

पढ़ें- केदारधाम में सहेजकर रखी जाएंगी पुरातात्विक महत्व की शिव प्रतिमाएं, बनेगा ओपन एयर म्यूजियम

शनिवार को सुबह ठीक नौ बजे भगवान मद्महेश्वर की डोली ने रांसी गांव से अपने अगले पड़ाव गिरीया गांव के लिए प्रस्थान किया था. रांसी गांव से प्रस्थान करने से पहले राकेश्वरी के मंदिर प्रधान पुजारी बागेश लिंग डोली और अन्य देवी-देवताओं को विशेष पूजा-अर्चना की थी.

बता दें कि रांसी गांव में 15 साल के बाद इस वर्ष पांडव नृत्य का आयोजन हो रहा है. शुक्रवार को पांडव पश्वाओं ने अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की अगवानी की थी. जबकि, रविवार को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव होली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर में विराजमान होगी, जहां 25 नवंबर से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.

Intro:रविवार को गद्दीस्थल में विराजेंगे द्वितीय केदार मदमहेश्वर
अंतिम रात्रि प्रवास को डोली पहुंची गिरीया
रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंची। डोली के गिरीया गांव आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर विश्व कल्याण की कामना की। रविवार को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव होली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर में विराजमान होगी और 25 नवम्बर से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी। Body:शनिवार को प्रधान पुजारी बागेश लिंग ने भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में ब्रह्म बेला पर पंचांग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर की डोली व साथ चल रहे अनेक देवी-देवताओं के निशाणों का महा अभिषेक कर आरती उतारी। ठीक नौ बजे भगवान मदमहेश्वर की डोली भगवती राकेश्वरी व पंच देव पाण्डवो से विदा लेकर गिरीया गांव के लिए रवाना हुई। डोली के विदा होते ही पाण्डव पश्वाओं की आंखे छलक गई। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली उनियाणा, राऊलैंक, बुरूवा, मनसूना यात्रा पडावों पर आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंची। रविवार को ब्रह्म बेला पर श्रद्धालुओं गिरीया गांव में भगवान मदमहेश्वर के निर्वाण दर्शन करेंगे और डोली फापंज, सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी, जहां पर राॅवल भीमा शंकर लिंग सहित सैकड़ों श्रद्धालु डोली की अगुवाई करेंगे। दोपहर को भगवान मदमहेश्वर की डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी।Conclusion:
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