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रुद्रप्रयाग में सादगी से शुरू हुई मां भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा

सोमवार को मनणामाई की लोक जात यात्रा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए थौली पहुंची. मंगलवार को लोक जात यात्रा द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए शीला समुद्र पहुंचेगी. लोक जात यात्रा को संपन्न होने में 5 से 6 दिन लगते हैं.

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मां भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा
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Published : Jul 19, 2021, 4:26 PM IST

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों व भेड़ पालकों की अराध्य देवी भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा सादगी से विधिवत रांसी गांव से शुरू हो गयी है. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार मनणामाई की लोक जात यात्रा में मात्र छह श्रद्धालु शामिल हैं. भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर मनणा धाम पहुंचेगी और वापस रांसी गांव पहुंचने पर मनणामाई लोक जात यात्रा का समापन होगा.

सोमवार को मनणामाई की लोक जात यात्रा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए थौली पहुंची. मंगलवार को लोक जात यात्रा द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए शीला समुद्र पहुंचेगी. लोक जात यात्रा को संपन्न होने में 5 से 6 दिन लगते हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार भगवती मनणामाई का धाम मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर हिमालय के आंचल और मंदाकिनी नदी के किनारे है.

पढ़ें- अब धार्मिक स्थलों और गंगा घाटों पर बनाए रखनी होगी 'मर्यादा', एक्शन में पुलिस

भेड़ पालकों की अराध्य देवी: मनणामाई भेड़ पालकों की अराध्य देवी मानी जाती हैं. पूर्व में जब भेड़ पालक छह माह बुग्यालों के प्रवास से वापस लौटते थे तो भगवती मनणामाई की डोली साथ लेकर अपने गांव वापस आते थे. धीरे-धीरे भेड़ पालन व्यवसाय में गिरावट आने लगी. इसके बाद भगवती मनणामाई की डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी में तपस्यारत रहने लगी. अब रांसी के ग्रामीणों द्वारा प्रति वर्ष सावन माह में भगवती मनणामाई की डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से लगभग 32 किमी दूर मनणामाई धाम पहुंचाकर पूजा-अर्चना की जाती है. पूजा-अर्चना के बाद मनणामाई की डोली को दोबारा राकेश्वरी मन्दिर रांसी गांव में विराजमान किया जाता है.

छह स्थानीय श्रद्धालु ही हुए शामिल: इसी परम्परा के तहत सोमवार को मनणामाई की लोक जात यात्रा विधिवत शुरू से की गई. राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि सुबह ठीक चार बजे बह्मवेला पर पूजा-अर्चना व विधि-विधान से भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा का शुभारंभ राकेश्वरी मन्दिर रांसी गांव से शुरू किया गया. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लोक जात यात्रा में मात्र छह स्थानीय श्रद्धालु शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि मनणामाई की लोक जात यात्रा कितने दिन में सम्पन्न होगी, यह मौसम के मिजाज पर निर्भर करता है. बताया कि भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा में पंडित ईश्वरी प्रसाद भटट्, शिव सिंह रावत, बलवीर पंवार, अभिषेक नेगी, रोहित नेगी और अंकित राणा शामिल हैं. ग्रामीण हरेन्द्र खोयाल ने बताया कि पूर्व में मनणामाई की लोक जात यात्रा में असंख्य भक्त शामिल होते थे. मगर विगत दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा को सादगी से संपन्न किया जा रहा है.

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों व भेड़ पालकों की अराध्य देवी भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा सादगी से विधिवत रांसी गांव से शुरू हो गयी है. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार मनणामाई की लोक जात यात्रा में मात्र छह श्रद्धालु शामिल हैं. भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर मनणा धाम पहुंचेगी और वापस रांसी गांव पहुंचने पर मनणामाई लोक जात यात्रा का समापन होगा.

सोमवार को मनणामाई की लोक जात यात्रा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए थौली पहुंची. मंगलवार को लोक जात यात्रा द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए शीला समुद्र पहुंचेगी. लोक जात यात्रा को संपन्न होने में 5 से 6 दिन लगते हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार भगवती मनणामाई का धाम मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर हिमालय के आंचल और मंदाकिनी नदी के किनारे है.

पढ़ें- अब धार्मिक स्थलों और गंगा घाटों पर बनाए रखनी होगी 'मर्यादा', एक्शन में पुलिस

भेड़ पालकों की अराध्य देवी: मनणामाई भेड़ पालकों की अराध्य देवी मानी जाती हैं. पूर्व में जब भेड़ पालक छह माह बुग्यालों के प्रवास से वापस लौटते थे तो भगवती मनणामाई की डोली साथ लेकर अपने गांव वापस आते थे. धीरे-धीरे भेड़ पालन व्यवसाय में गिरावट आने लगी. इसके बाद भगवती मनणामाई की डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी में तपस्यारत रहने लगी. अब रांसी के ग्रामीणों द्वारा प्रति वर्ष सावन माह में भगवती मनणामाई की डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से लगभग 32 किमी दूर मनणामाई धाम पहुंचाकर पूजा-अर्चना की जाती है. पूजा-अर्चना के बाद मनणामाई की डोली को दोबारा राकेश्वरी मन्दिर रांसी गांव में विराजमान किया जाता है.

छह स्थानीय श्रद्धालु ही हुए शामिल: इसी परम्परा के तहत सोमवार को मनणामाई की लोक जात यात्रा विधिवत शुरू से की गई. राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि सुबह ठीक चार बजे बह्मवेला पर पूजा-अर्चना व विधि-विधान से भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा का शुभारंभ राकेश्वरी मन्दिर रांसी गांव से शुरू किया गया. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लोक जात यात्रा में मात्र छह स्थानीय श्रद्धालु शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि मनणामाई की लोक जात यात्रा कितने दिन में सम्पन्न होगी, यह मौसम के मिजाज पर निर्भर करता है. बताया कि भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा में पंडित ईश्वरी प्रसाद भटट्, शिव सिंह रावत, बलवीर पंवार, अभिषेक नेगी, रोहित नेगी और अंकित राणा शामिल हैं. ग्रामीण हरेन्द्र खोयाल ने बताया कि पूर्व में मनणामाई की लोक जात यात्रा में असंख्य भक्त शामिल होते थे. मगर विगत दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण भगवती मनणामाई की लोक जात यात्रा को सादगी से संपन्न किया जा रहा है.

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