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रुद्रप्रयाग में गुलदार ने कई भेड़ों को बनाया निवाला, ग्रामीणों को सता रहा अपनी जान का खतरा

रुद्रप्रयाग जिले के धनपुर पट्टी में गुलदार और भालू का आतंक देखने को मिल रहा है. जहां भालू फसलों को बर्बाद कर रहा तो गुलदार मवेशियों को निवाला रहा है. पीड़ा गांव में गुलदार ने कई भेड़ों को निवाला बना लिया. जिसके बाद अब ग्रामीणों को अपनी जान का भी खतरा सताने लगा है.

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रुद्रप्रयाग में गुलदार
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Published : Jul 22, 2022, 10:21 PM IST

रुद्रप्रयागः धनपुर पट्टी के पीड़ा गांव में गुलदार का आतंक बना हुआ है. गुलदार रात होते ही गौशालाओं में घुसकर मवेशियों को अपना निवाला बना रहा है, जिस कारण ग्रामीणों की आजीविका को नुकसान पहुंच रहा है. वन विभाग है कि ग्रामीणों की परेशानियों को समझने तक को तैयार नहीं है. लंब समय से ग्रामीण जनता गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग कर रही है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है. ऐसे में ग्रामीणों को अब अपनी जान का भी डर सता रहा है.

बता दें कि धनपुर पट्टी के पीड़ा गांव में कई सालों से गुलदार का आतंक बना हुआ है. इसके साथ ही भालू के आतंक से भी ग्रामीण खौफजदा हैं. आए दिन भालू ग्रामीणों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है तो गुलदार रात के समय गौशालाओं का दरवाजा तोड़कर मवेशियों को निवाला बनाने में लगा है. बीती रात को गुलदार ने पीड़ा गांव में ग्रामीण हरीश सिंह पुत्र मातबर सिंह की गौशाला का दरवाजा तोड़कर एक दर्जन भेड़-बकरियों को अपना निवाला बना दिया. गुलदार के आतंक से ग्रामीण जनता परेशान हो चुकी है. एक ओर भालू फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है तो गुलदार मवेशियों को निवाला बनाकर उनकी आर्थिकी का जरिया ही खत्म कर रहा है.

ये भी पढ़ेंः गुलदार पकड़ने बष्टा गांव पहुंचे शूटर जॉय हुकिल

ग्राम प्रधान अर्जुन सिंह नेगी एवं सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मोहन ने बताया कि कि लंबे समय से पीड़ा गांव में भालू और गुलदार का आतंक बना हुआ है. जिला प्रशासन और वन विभाग को लिखित एवं मौखिक रूप से सूचना देने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि न ही गुलदार के आतंक से ग्रामीणों को निजात दिलाई जा रहा है और ना ही भालू का खौफ कम किया जा रहा है. ऐसे में ग्रामीण जनता काफी खौफजदा हैं. उन्होंने गुलदार के आतंक के कारण महिलाएं घास काटने को नहीं जा रही है, जबकि स्कूली बच्चे भी स्कूल जाने से कतरा रहे हैं. ग्रामीणों को अपने पाल्यों की चिंता सता रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मोहन ने कहा कि वन विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामीणों के मवेशी सुरक्षित नहीं हैं. ग्रामीण जनता का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के मवेशी गुलदार का शिकार हो रहे हैं और वन विभाग की टीम गांव में पहुंचकर पंचनामा तो कर रही है, लेकिन उसके कई सालों के बाद भी प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में ग्रामीण जनता खासी परेशान है. उन्होंने वन विभाग से तत्काल प्रभावित ग्रामीण को मुआवजा देने के साथ ही क्षेत्रवासियों को गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है.

रुद्रप्रयागः धनपुर पट्टी के पीड़ा गांव में गुलदार का आतंक बना हुआ है. गुलदार रात होते ही गौशालाओं में घुसकर मवेशियों को अपना निवाला बना रहा है, जिस कारण ग्रामीणों की आजीविका को नुकसान पहुंच रहा है. वन विभाग है कि ग्रामीणों की परेशानियों को समझने तक को तैयार नहीं है. लंब समय से ग्रामीण जनता गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग कर रही है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है. ऐसे में ग्रामीणों को अब अपनी जान का भी डर सता रहा है.

बता दें कि धनपुर पट्टी के पीड़ा गांव में कई सालों से गुलदार का आतंक बना हुआ है. इसके साथ ही भालू के आतंक से भी ग्रामीण खौफजदा हैं. आए दिन भालू ग्रामीणों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है तो गुलदार रात के समय गौशालाओं का दरवाजा तोड़कर मवेशियों को निवाला बनाने में लगा है. बीती रात को गुलदार ने पीड़ा गांव में ग्रामीण हरीश सिंह पुत्र मातबर सिंह की गौशाला का दरवाजा तोड़कर एक दर्जन भेड़-बकरियों को अपना निवाला बना दिया. गुलदार के आतंक से ग्रामीण जनता परेशान हो चुकी है. एक ओर भालू फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है तो गुलदार मवेशियों को निवाला बनाकर उनकी आर्थिकी का जरिया ही खत्म कर रहा है.

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ग्राम प्रधान अर्जुन सिंह नेगी एवं सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मोहन ने बताया कि कि लंबे समय से पीड़ा गांव में भालू और गुलदार का आतंक बना हुआ है. जिला प्रशासन और वन विभाग को लिखित एवं मौखिक रूप से सूचना देने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि न ही गुलदार के आतंक से ग्रामीणों को निजात दिलाई जा रहा है और ना ही भालू का खौफ कम किया जा रहा है. ऐसे में ग्रामीण जनता काफी खौफजदा हैं. उन्होंने गुलदार के आतंक के कारण महिलाएं घास काटने को नहीं जा रही है, जबकि स्कूली बच्चे भी स्कूल जाने से कतरा रहे हैं. ग्रामीणों को अपने पाल्यों की चिंता सता रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मोहन ने कहा कि वन विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामीणों के मवेशी सुरक्षित नहीं हैं. ग्रामीण जनता का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के मवेशी गुलदार का शिकार हो रहे हैं और वन विभाग की टीम गांव में पहुंचकर पंचनामा तो कर रही है, लेकिन उसके कई सालों के बाद भी प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में ग्रामीण जनता खासी परेशान है. उन्होंने वन विभाग से तत्काल प्रभावित ग्रामीण को मुआवजा देने के साथ ही क्षेत्रवासियों को गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है.

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