रुद्रप्रयाग: जिले का कोल्लू बैंड-स्वांरी ग्वांस मोटर मार्ग जानलेवा बना हुआ है. मोटरमार्ग पर जगह-जगह गड्डे बने हुए हैं. साथ ही डामरीकरण उखड़ने से मार्ग पर कभी भी हादसा हो सकता है. संबंधित विभाग की ओर से मार्ग के रख-रखाव पर प्रति वर्ष लाखों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. बावजूद इसके व्यय होने वाली धनराशि का धरातलीय क्रियान्वयन न होने से विभागीय कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. ग्रामीणों ने कहा कि अगर संबंधित विभाग ने जल्द मोटर मार्ग का सुध नहीं लिया तो उन्हें पीएमजीएसवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
बता दें कि, पीएमजीएसवाई रुद्रप्रयाग के तहत कोल्लू बैंड-स्वांरी ग्वांस मोटर मार्ग निर्माण काल से ही विवादों में रहा है. मार्ग निर्माण के दौरान विभाग द्वारा गुणवत्ता को दरकिनार किया गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने डीएम से निर्माण की जांच की मांग की. तत्कालीन जिलाधिकारी राघव लंगर ने मजिस्ट्रेट जांच तो बिठाई, लेकिन मजिस्ट्रेट जांच किन फाइलों में कैद हुई यह आज तक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
वर्ष 2019 में विभाग ने मोटर मार्ग के अनुरक्षण पर लाखों रुपये व्यय किए. लेकिन दिसंबर माह में व्यय हुए लाखों रुपये का मामला फिर डीएम से लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंचा. डामरीकरण होने के मामले पर जिला प्रशासन ने आनन-फानन में जांच बिठाई, लेकिन वह जांच भी आज तक फाइलों में धूल फांक रहा है. वर्तमान समय की बात करें तो विभागीय अनदेखी के कारण मार्ग के 70 प्रतिशत हिस्से का डामरीकरण उखड़ने से ग्रामीणों को जान-जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है.
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ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय लापरवाही के कारण मोटर मार्ग जानलेवा बना हुआ है और मोटर मार्ग पर बने गड्ढे कभी भी बडे़ हादसे को न्यौता दे सकते हैं. मार्ग पर अधिकांश डामरीकरण उखड़ने से मोटर मार्ग गड्ढों में तब्दील होता जा रहा है. अगर समय रहते विभाग ने मोटर मार्ग की सुध नहीं लिया तो ग्रामीणों को पीएमजीएसवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पडे़गा. जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन व संबंधित विभाग की होगी.
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वहीं पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता वाईएस सजवाण ने कहा कि मोटरमार्ग के मेंटेनेंस के लिए एक करोड़ नौ लाख का स्टीमेट शासन को भेजा गया. जिसपर आज तक धनराशि स्वीकृति नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में शासन स्तर से कोल्लू बैंड-स्वांरी ग्वांस मोटरमार्ग को लोक निर्माण विभाग को हस्तातंरित करने के निर्देश हुए है. मोटरमार्ग को 25 मार्च तक हस्तांतरित किया जाना था, मगर लोनिवि की ओर से इस पर कोई अमल नहीं किया जा रहा है.