ETV Bharat / bharat

150 साल से किसी को नजर नहीं आई ये चिड़िया, दुनिया की सबसे रहस्यमयी पक्षी का उत्तराखंड से है नाता - NATIONAL BIRD DAY 2025

उत्तराखंड की समृद्ध जैव विविधता में हिमालयन क्वेल का गहरा नाता रहा है.अब हिमालयन क्वेल अब उत्तराखंड की वादियों में दिखाई नहीं देते हैं.

Uttarakhand Quail Bird
राष्ट्रीय पक्षी दिवस (Photo-ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 5, 2025, 9:33 AM IST

देहरादून (नवीन उनियाल): पूरी दुनिया के लिए रहस्य बनी हिमालयन क्वेल भले ही 150 साल से किसी को नजर ना आई हो, लेकिन आज भी हर कोई इसके धरती पर होने की उम्मीद लगाए हुए है. बड़ी बात ये है कि दुनिया के लिए पहेली बनी ये बर्ड उत्तराखंड से ताल्लुक रखती है और आखिरी बार इसे यहीं देखा गया था. राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर आज बात पक्षियों की एक ऐसी खास प्रजाति की जो दुनिया के लिए एक मिस्ट्री है और जिससे जुड़े सवालों को तमाम सर्वे और प्रयासों के बाद भी नहीं तलाशा जा सका है.

पक्षियों की 12% प्रजातियां खतरे में: दुनिया भर में पक्षियों की हजारों प्रजातियां हैं. इनमें कई पक्षी आमतौर पर दुनिया के किसी भी हिस्से में सामान्य रूप से बहुतायत संख्या में मिल जाते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें खतरे में माना गया है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार दुनिया में पक्षियों की कुल प्रजातियों में से 12% प्रजातियां रेड लिस्ट यानी खतरे में हैं. हालांकि ऐसी बर्ड्स के संरक्षण को लेकर कंजर्वेशन प्लान पर काम हो रहा है. लेकिन एक पक्षी ऐसा भी है जिसका अस्तित्व रहस्यमयी बना हुआ है.

अब नहीं दिखाई देती हिमालयन क्वेल (Video-ETV Bharat)

हिमालयन क्वेल की मिस्ट्री: हिमालयन क्वेल दुनिया के लिए एक मिस्ट्री है. इस पक्षी को 1876 में आखिरी बार देखा गया था. बड़ी बात यह है कि हिमालयन क्वेल पूरी दुनिया में केवल उत्तराखंड में ही देखी गई है. उत्तराखंड के मसूरी और नैनीताल में इसे करीब 150 साल पहले देखा गया था. इसके बावजूद इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने इसे विलुप्त नहीं माना और हिमालयन क्वेल को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति के पक्षी की सूची में रखा गया. जाहिर है कि दुनिया को इसके धरती पर अब भी मौजूद होने की उम्मीद है और इसी उम्मीद के साथ तमाम पक्षी प्रेमी इसकी तलाश में भी है.

Himalayan Quail Bird
पक्षियों की कई प्रजातियां उत्तराखंड में मौजूद (Photo-ETV Bharat Graphic)

उत्तराखंड में बसता है परिंदों का अद्भुत संसार: दुनिया भर में पक्षियों की करीब 11000 प्रजातियां मौजूद हैं. इनमें से भारत में करीब 1360 प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं, जबकि उत्तराखंड में इनमें से 729 प्रजातियां चिन्हित की गई हैं. यानी देशभर में पाई जाने वाली कुल पक्षियों की प्रजातियों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा उत्तराखंड में मौजूद हैं, जो कि प्रदेश में पक्षियों के लिए बेहतर माहौल को जाहिर करती है. इस लिहाज से देश में उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियां दर्ज की गई हैं.

Uttarakhand Quail Bird
उत्तराखंड में पक्षियों के लिए बेहतर जलवायु (Photo-ETV Bharat Graphic)

हिमालयन क्वेल के नमूने संग्रहालय में सुरक्षित: हिमालयन क्वेल को लेकर अभी तक वैज्ञानिक रूप से जानकारियां अपूर्ण हैं. माना गया है कि ये पक्षी अभी विलुप्त नहीं हुआ है, बल्कि इसकी आबादी बेहद कम होने की संभावना व्यक्त की गई है और इसलिए इस रहस्यमयी पक्षी को गंभीर रूप से संकटग्रस्त का दर्जा दिया गया है. इस पक्षी को तलाशने के लिए कई बार सर्वे किए गए हैं और अध्ययन के जरिए भी इसका पता लगाने की कोशिश की गई है. इसके लिए हिमालयन क्वेल के नमूनों का भी सहयोग लिया गया है. दरअसल दुनिया के पास हिमालयन क्वेल को अनुभव करने के लिए इस पक्षी के कुछ अंश ही मौजूद हैं. जिन्हें संग्रहालयों में सुरक्षित रखा गया है. जबकि इन्हीं नमूनों के आधार पर इस पक्षी की तस्वीरें बना कर कल्पना की गई है.

Himalayan Quail Bird
हिमालयन क्वेल (Painting John Gould)

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही पक्षियों की प्रजातियां: उत्तराखंड में परिंदों की नई प्रजातियों का पता लगाया जा रहा है.साल 2003 में उत्तराखंड में 623 प्रजातियां चिन्हित की गई थी, जो अगले 20 सालों में 729 प्रजातियों तक पहुंच गई है. इसके पीछे का कारण यह है कि प्रदेश में पिछले एक दशक के दौरान बर्ड वाचिंग को लेकर गतिविधियां बढ़ी हैं. यही नहीं पक्षी विज्ञान संबंधी अध्ययनों में भी बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण कई दूसरी प्रजातियां भी रिकॉर्ड में आ रही हैं. उधर पक्षियों की प्रजातियों के विलुप्त होने के खतरे को लेकर वर्ल्ड लाइफ इंटरनेशनल के आंकड़े भी दिलचस्प है. इसके अनुसार दुनिया में विलुप्त होने के खतरे में पड़ी 101 पक्षियों की प्रजातियां भारत में पाई गई है. जिनमें से कई प्रजातियां उत्तराखंड में भी मौजूद है.

Himalayan Quail Bird
हिमालयन क्वेल का उत्तराखंड से है गहरा नाता (Photo-Forest Department)

हिमालयन क्वेल को ढूंढना बेहद मुश्किल: हिमालयन क्वेल को ढूंढना या उसका दिखना बेहद मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पक्षी छिपकर रहना पसंद करता है. ऐसे में इसे सामान्य रूप से देख पाना मुश्किल होता है. इसके अलावा हिमालयन क्वेल की मौजूदगी ऐसी जगह पर रहती है जहां पर बर्ड वाचिंग के लिए पक्षी प्रेमी का पहुंचना मुश्किल होता है. यही नहीं इन जगहों पर सर्वे करना भी आसान काम नहीं है. दरअसल प्रमुख वन संरक्षक हॉफ और देश के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ धनंजय मोहन बताते हैं कि हिमालयन क्वेल का ढंगारी पहाड़ी क्षेत्र में घास या झाड़ियों में निवास स्थल माना जाता है. जिसके कारण इतने कठिन क्षेत्र में सर्वे के लिए पहुंचना बेहद मुश्किल होता है और इसलिए भी हिमालयन क्वेल को ढूंढ पाना आसान नहीं है.

हिमालयन क्वेल के खतरे में होने के पीछे ये कारण संभव: पक्षी विशेषज्ञ वैसे तो उत्तराखंड जैसे परिंदों के लिए बेहतर माहौल में हिमालयन क्वेल के खतरे में आने का कारण सीधे तौर पर समझ नहीं पा रहे हैं. लेकिन फिर भी इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजहों के संभव होने की बात मानी जा रही है. माना जा रहा है कि इसके पीछे एक कारण हिमालयन क्वेल का माइग्रेटरी पक्षी होना भी हो सकता है, जो यहां से पलायन कर गई हो, या इसके ब्रीडिंग क्षेत्र में कोई ऐसी समस्या आई हो जिससे इनकी तादाद घट गई. इसके अलावा एक संभावना इनके शिकार की भी है. क्योंकि उसे दौरान पक्षियों के संरक्षण को लेकर जागरूकता कुछ खास नहीं थी और साथ ही इन पक्षियों के शिकार का भी काफी प्रचलन था. ऐसे में संभावना है कि बड़ी मात्रा में हुए शिकार के कारण भी इनकी संख्या कम हो गई हो.
पढ़ें-

देहरादून (नवीन उनियाल): पूरी दुनिया के लिए रहस्य बनी हिमालयन क्वेल भले ही 150 साल से किसी को नजर ना आई हो, लेकिन आज भी हर कोई इसके धरती पर होने की उम्मीद लगाए हुए है. बड़ी बात ये है कि दुनिया के लिए पहेली बनी ये बर्ड उत्तराखंड से ताल्लुक रखती है और आखिरी बार इसे यहीं देखा गया था. राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर आज बात पक्षियों की एक ऐसी खास प्रजाति की जो दुनिया के लिए एक मिस्ट्री है और जिससे जुड़े सवालों को तमाम सर्वे और प्रयासों के बाद भी नहीं तलाशा जा सका है.

पक्षियों की 12% प्रजातियां खतरे में: दुनिया भर में पक्षियों की हजारों प्रजातियां हैं. इनमें कई पक्षी आमतौर पर दुनिया के किसी भी हिस्से में सामान्य रूप से बहुतायत संख्या में मिल जाते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें खतरे में माना गया है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार दुनिया में पक्षियों की कुल प्रजातियों में से 12% प्रजातियां रेड लिस्ट यानी खतरे में हैं. हालांकि ऐसी बर्ड्स के संरक्षण को लेकर कंजर्वेशन प्लान पर काम हो रहा है. लेकिन एक पक्षी ऐसा भी है जिसका अस्तित्व रहस्यमयी बना हुआ है.

अब नहीं दिखाई देती हिमालयन क्वेल (Video-ETV Bharat)

हिमालयन क्वेल की मिस्ट्री: हिमालयन क्वेल दुनिया के लिए एक मिस्ट्री है. इस पक्षी को 1876 में आखिरी बार देखा गया था. बड़ी बात यह है कि हिमालयन क्वेल पूरी दुनिया में केवल उत्तराखंड में ही देखी गई है. उत्तराखंड के मसूरी और नैनीताल में इसे करीब 150 साल पहले देखा गया था. इसके बावजूद इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने इसे विलुप्त नहीं माना और हिमालयन क्वेल को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति के पक्षी की सूची में रखा गया. जाहिर है कि दुनिया को इसके धरती पर अब भी मौजूद होने की उम्मीद है और इसी उम्मीद के साथ तमाम पक्षी प्रेमी इसकी तलाश में भी है.

Himalayan Quail Bird
पक्षियों की कई प्रजातियां उत्तराखंड में मौजूद (Photo-ETV Bharat Graphic)

उत्तराखंड में बसता है परिंदों का अद्भुत संसार: दुनिया भर में पक्षियों की करीब 11000 प्रजातियां मौजूद हैं. इनमें से भारत में करीब 1360 प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं, जबकि उत्तराखंड में इनमें से 729 प्रजातियां चिन्हित की गई हैं. यानी देशभर में पाई जाने वाली कुल पक्षियों की प्रजातियों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा उत्तराखंड में मौजूद हैं, जो कि प्रदेश में पक्षियों के लिए बेहतर माहौल को जाहिर करती है. इस लिहाज से देश में उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियां दर्ज की गई हैं.

Uttarakhand Quail Bird
उत्तराखंड में पक्षियों के लिए बेहतर जलवायु (Photo-ETV Bharat Graphic)

हिमालयन क्वेल के नमूने संग्रहालय में सुरक्षित: हिमालयन क्वेल को लेकर अभी तक वैज्ञानिक रूप से जानकारियां अपूर्ण हैं. माना गया है कि ये पक्षी अभी विलुप्त नहीं हुआ है, बल्कि इसकी आबादी बेहद कम होने की संभावना व्यक्त की गई है और इसलिए इस रहस्यमयी पक्षी को गंभीर रूप से संकटग्रस्त का दर्जा दिया गया है. इस पक्षी को तलाशने के लिए कई बार सर्वे किए गए हैं और अध्ययन के जरिए भी इसका पता लगाने की कोशिश की गई है. इसके लिए हिमालयन क्वेल के नमूनों का भी सहयोग लिया गया है. दरअसल दुनिया के पास हिमालयन क्वेल को अनुभव करने के लिए इस पक्षी के कुछ अंश ही मौजूद हैं. जिन्हें संग्रहालयों में सुरक्षित रखा गया है. जबकि इन्हीं नमूनों के आधार पर इस पक्षी की तस्वीरें बना कर कल्पना की गई है.

Himalayan Quail Bird
हिमालयन क्वेल (Painting John Gould)

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही पक्षियों की प्रजातियां: उत्तराखंड में परिंदों की नई प्रजातियों का पता लगाया जा रहा है.साल 2003 में उत्तराखंड में 623 प्रजातियां चिन्हित की गई थी, जो अगले 20 सालों में 729 प्रजातियों तक पहुंच गई है. इसके पीछे का कारण यह है कि प्रदेश में पिछले एक दशक के दौरान बर्ड वाचिंग को लेकर गतिविधियां बढ़ी हैं. यही नहीं पक्षी विज्ञान संबंधी अध्ययनों में भी बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण कई दूसरी प्रजातियां भी रिकॉर्ड में आ रही हैं. उधर पक्षियों की प्रजातियों के विलुप्त होने के खतरे को लेकर वर्ल्ड लाइफ इंटरनेशनल के आंकड़े भी दिलचस्प है. इसके अनुसार दुनिया में विलुप्त होने के खतरे में पड़ी 101 पक्षियों की प्रजातियां भारत में पाई गई है. जिनमें से कई प्रजातियां उत्तराखंड में भी मौजूद है.

Himalayan Quail Bird
हिमालयन क्वेल का उत्तराखंड से है गहरा नाता (Photo-Forest Department)

हिमालयन क्वेल को ढूंढना बेहद मुश्किल: हिमालयन क्वेल को ढूंढना या उसका दिखना बेहद मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पक्षी छिपकर रहना पसंद करता है. ऐसे में इसे सामान्य रूप से देख पाना मुश्किल होता है. इसके अलावा हिमालयन क्वेल की मौजूदगी ऐसी जगह पर रहती है जहां पर बर्ड वाचिंग के लिए पक्षी प्रेमी का पहुंचना मुश्किल होता है. यही नहीं इन जगहों पर सर्वे करना भी आसान काम नहीं है. दरअसल प्रमुख वन संरक्षक हॉफ और देश के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ धनंजय मोहन बताते हैं कि हिमालयन क्वेल का ढंगारी पहाड़ी क्षेत्र में घास या झाड़ियों में निवास स्थल माना जाता है. जिसके कारण इतने कठिन क्षेत्र में सर्वे के लिए पहुंचना बेहद मुश्किल होता है और इसलिए भी हिमालयन क्वेल को ढूंढ पाना आसान नहीं है.

हिमालयन क्वेल के खतरे में होने के पीछे ये कारण संभव: पक्षी विशेषज्ञ वैसे तो उत्तराखंड जैसे परिंदों के लिए बेहतर माहौल में हिमालयन क्वेल के खतरे में आने का कारण सीधे तौर पर समझ नहीं पा रहे हैं. लेकिन फिर भी इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजहों के संभव होने की बात मानी जा रही है. माना जा रहा है कि इसके पीछे एक कारण हिमालयन क्वेल का माइग्रेटरी पक्षी होना भी हो सकता है, जो यहां से पलायन कर गई हो, या इसके ब्रीडिंग क्षेत्र में कोई ऐसी समस्या आई हो जिससे इनकी तादाद घट गई. इसके अलावा एक संभावना इनके शिकार की भी है. क्योंकि उसे दौरान पक्षियों के संरक्षण को लेकर जागरूकता कुछ खास नहीं थी और साथ ही इन पक्षियों के शिकार का भी काफी प्रचलन था. ऐसे में संभावना है कि बड़ी मात्रा में हुए शिकार के कारण भी इनकी संख्या कम हो गई हो.
पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.