रुद्रप्रयाग: उसनतोली-कार्तिक स्वामी पैदल मार्ग पर वन विभाग द्वारा वन देवताओं के पौराणिक पाषाण तोडे़ जाने से स्थानीय लोगों में आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि जिन पाषाणों की वो वर्षों से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं, उन्हें तोड़कर वन विभाग ने उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया है. वहीं, इस मामले में रेंज अधिकारी ने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है.
दरअसल, इन दिनों वन विभाग अगस्त मुनि रेंज की ओर से ग्वांस वीट के अंतर्गत लाखों रुपये की लागत से उसनतोली-कार्तिक स्वामी पैदल मार्ग की मरम्मत करवा रहा है. पैदल मार्ग की मरम्मत में खड़पतिया नामक स्थान पर वन देवताओं के प्राचीन शिला को तोड़ दिया गया है. शिला के पत्थरों को पैदल मार्ग के मरम्मत में लगाया जा रहा है. ऐसे में ग्रामीण जनता में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.
प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक ग्वांस, स्वांरी, मालखी, खमोली, खाली, मणिगुह, भटवाडी, जगोठ, कमसाल, धार-तोन्दला, पिल्लू, जहंगी सहित गणेशनगर और अगस्त्य मुनि गांवों के जो भी श्रद्धालु कार्तिक स्वामी तीर्थ जाते हैं, वे खड़पतिया स्थान पर वन देवताओं की पूजा-अर्चना करने के साथ ही उन्हें घास और पुष्प अर्पित करते हैं.
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बता दें कि कुछ दिन पहले वन विभाग ने वन देवताओं की शिला को तोड़कर पत्थरों को पैदल मार्ग की मरम्मत पर लगा दिया है, जिससे स्थानीय श्रद्धालुओं में आक्रोश फैल गया है. ग्रामीणों ने कहा कि वन विभाग में पुराने पैदल मार्ग के पत्थरों को उखाड़कर एक जगह से दूसरी जगह लगाकर लाखों रुपये का वारा न्यारा किया जा रहा है.
वहीं मामले में क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन सिंह नेगी और पूर्व वन पंचायत सरपंच लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि वन विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. वन देवताओं की शिला को तोड़ा गया है, जिससे ग्रामीणों की आस्था को गहरा आघात पहुंचा है. मामले में जिलाधिकारी से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी. वहीं, दूसरी ओर रेंज अधिकारी वाईएस रावत ने बताया कि मामले में शीघ्र जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.