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गौरीकुंड से रवाना हुई बाबा केदार की डोली, इस बार नहीं बज रहा बैंड

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Published : Apr 27, 2020, 11:54 AM IST

केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खोले जाएंगे. इस बार कोरोना वायरस की वजह से बाबा की डोली के साथ केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी के अलावा बदरी-केदार मंदिर समिति के 15 अन्य सदस्यों की टीम गई है.

केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम

रुद्रप्रयाग: बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली रविवार शाम को गौरीकुंड पहुंच गई थी. आज डोली ने गैराकुंड से केदारनाथ पैदल प्रस्थान किया है. पैदल यात्रा में डोली का पहला पड़ाव भीमबली में होगा. यहां रात्रि प्रवास के बाद डोली मंगलवार को केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी और 29 अप्रैल को विधि-विधान के साथ सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर धाम के कपाट खोले जाएंगे. इसी बीच केदारनाथ पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का काम भी किया जा रहा है.

केदारनाथ धाम में अभी भी ग्लेशियर काटकर मंदिर के आगे का रास्ता साफ किया जा रहा है. कुछ स्थानों पर 30 से 40 फीट बड़े ग्लेशियर काटकर रास्ता साफ किया गया है. हालांकि कुछ स्थानों पर अभी बर्फ पड़ी हुई है, जहां श्रद्धालुओं को बर्फ के ऊपर से ही जाना होगा. रास्तों के दोनों ओर पांच-पांच फीट तक बर्फ जमी हुई है. इसके अलावा केदारपुरी अभीतक बर्फ की सफेद जादर से ढकी हुई है. हाल ही में हुई बर्फबारी ने बर्फ हटाने वाले कर्मचारियों की मुश्किल और बढ़ा दी थी.

पढ़ें-गंगोत्री धाम में 'नमो-नमो', पीएम मोदी के नाम से हुई पहली पूजा

बता दें कि इस बार बाबा केदार की डोली गौरीकुण्ड तक वाहन से गई थी. यहां से बाबा की डोली पैदल ही केदारनाथ जायेगी. बाबा की डोली के साथ कोई भी वाद्य यंत्र नहीं हैं. वैसे हर साल स्थानीय वाद्य यंत्रों और आर्मी बैंड के साथ बाबा की डोली केदारनाथ जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र नहीं हैं.

बाबा की डोली ऊखीमठ से ही केदारनाथ पैदल जाती थी, मगर लॉकडाउन के कारण इस बार बाबा की डोली वाहन से गौरीकुण्ड तक पहुंचाई गई. बाबा की डोली के साथ केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी के अलावा बदरी-केदार मंदिर समिति के 15 अन्य सदस्यों की टीम है. इसके अलावा कोई भी भक्त बाबा की डोली के साथ नहीं है. जबकि डोली को रवाना करते समय भी बाबा को भक्तों से दूर रखा गया था.

रुद्रप्रयाग: बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली रविवार शाम को गौरीकुंड पहुंच गई थी. आज डोली ने गैराकुंड से केदारनाथ पैदल प्रस्थान किया है. पैदल यात्रा में डोली का पहला पड़ाव भीमबली में होगा. यहां रात्रि प्रवास के बाद डोली मंगलवार को केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी और 29 अप्रैल को विधि-विधान के साथ सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर धाम के कपाट खोले जाएंगे. इसी बीच केदारनाथ पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का काम भी किया जा रहा है.

केदारनाथ धाम में अभी भी ग्लेशियर काटकर मंदिर के आगे का रास्ता साफ किया जा रहा है. कुछ स्थानों पर 30 से 40 फीट बड़े ग्लेशियर काटकर रास्ता साफ किया गया है. हालांकि कुछ स्थानों पर अभी बर्फ पड़ी हुई है, जहां श्रद्धालुओं को बर्फ के ऊपर से ही जाना होगा. रास्तों के दोनों ओर पांच-पांच फीट तक बर्फ जमी हुई है. इसके अलावा केदारपुरी अभीतक बर्फ की सफेद जादर से ढकी हुई है. हाल ही में हुई बर्फबारी ने बर्फ हटाने वाले कर्मचारियों की मुश्किल और बढ़ा दी थी.

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बता दें कि इस बार बाबा केदार की डोली गौरीकुण्ड तक वाहन से गई थी. यहां से बाबा की डोली पैदल ही केदारनाथ जायेगी. बाबा की डोली के साथ कोई भी वाद्य यंत्र नहीं हैं. वैसे हर साल स्थानीय वाद्य यंत्रों और आर्मी बैंड के साथ बाबा की डोली केदारनाथ जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र नहीं हैं.

बाबा की डोली ऊखीमठ से ही केदारनाथ पैदल जाती थी, मगर लॉकडाउन के कारण इस बार बाबा की डोली वाहन से गौरीकुण्ड तक पहुंचाई गई. बाबा की डोली के साथ केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी के अलावा बदरी-केदार मंदिर समिति के 15 अन्य सदस्यों की टीम है. इसके अलावा कोई भी भक्त बाबा की डोली के साथ नहीं है. जबकि डोली को रवाना करते समय भी बाबा को भक्तों से दूर रखा गया था.

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