रुद्रप्रयाग: पहाड़ में बड़े पैमाने पर खेती बंजर होती जा रही है. जंगली जानवरों के आतंक से तंग आकर किसान खेती को छोड़ रहे हैं और रोजगार की तलाश में शहरों और महानगरों में बस रहे हैं. लेकिन अपनी मेहनत के बूते किसी भी बाधा से किनारा पाया जा सकता है. जिसका उदाहरण रुद्रप्रयाग जिले के टेमरियां गांव निवासी कपिल शर्मा ने दिया है.
अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के टेमरियां गांव के कपिल शर्मा ने अपने गांव में कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन और डेरी व्यवसाय को आजीविका का जरिया बनाया. साथ ही दो और लोगों को भी रोजगार दिया. बता दें कि इससे पहले कपिल पहाड़ के अन्य युवाओं के तरह की तरह नौकरी की तलाश में चंड़ीगढ़ गया था. एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग की नौकरी मिली, लेकिन परिवार चलाने लायक भी कमाई नहीं हो पाई.
पढ़ें: पौड़ी में तीव्र मोड़ से हटाए जाएंगे होर्डिंग-बैनर, जानिए क्या है वजह ?
इसके बाद एक साल में ही कपिल नौकरी छोड़कर वापिस अपने गांव आ गया. घर का इकलौता लड़का होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी भी कपिल के कंधों पर थी. इसलिए गांव में रहकर ही कुछ करने का मन बनाया. शुरूआत के दिनों में कुछ खेतों में मौसमी सब्जी का उत्पादन शुरू किया. जिसमें पहले ही सीजन में 40 हजार का मुनाफा हुआ. मन में आशा जगी तो ग्रामीणों के बंजर पड़े खेतों को भी उसने लीज पर ले लिया और फिर उनमें चकबंदी कर सब्जियां उगाई. इस कार्य में परिवार का साथ मिला तो कारोबार फलने-फूलने लगा.
सब्जियां उगाने के बाद कपिल पशुपालन विभाग के सम्पर्क में आया और डेरी व्यवसाय का काम भी शुरू कर दिया. पहले एक गाय रखी और मुनाफ अच्छा देख धीरे-धीरे गायों की संख्या में भी इजाफा कर दिया. आज कपिल के पास पूरी 17 दुधारू गाय हैं, जिनसे हर रोज करीब 70 लीटर दूध अगस्त्यमुनि के साथ ही नजदीकी मार्केट में बिकता है. साथ ही सब्जी से भी वह अच्छा मुनाफा कमा रहा है, जबकि अपने साथ दो अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है.