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प्रवासियों की वापसी को जन अधिकार मंच की मुहिम, थाली बजाओ, सरकार जगाओ - लॉकडाउन न्यूज

प्रवासियों की घर वापसी के लिए जन अधिकार मंच ने थाली बजाओ, उत्तराखंड सरकार जगाओ मुहिम की शुरुआत की है.

रुद्रप्रयाग
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Published : Apr 29, 2020, 12:53 PM IST

रुद्रप्रयाग: लॉकडाउन में बाहरी प्रदेशों और जिलों में फंसे उत्तराखंड के लोगों की घर वापसी के लिए जन अधिकार मंच ने थाली बजाओ, उत्तराखंड सरकार जगाओ मुहिम की शुरुआत की है. जन अधिकार मंच की इस मुहिम का उद्देश्य बाहरी प्रदेश में फंसे उत्तराखंड के लोगों की घर वापसी है.

मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड के प्रवासी बड़ी संख्या में इस अभियान में शामिल होकर सरकार को जगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जब तक प्रवासियों को वापस नहीं ले आती, यह अभियान जारी रहेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार संवेदनहीन हो गई है. प्रवासी लोगों की सरकार को फिक्र नहीं है. हजारों लोगों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया है. सरकार को जल्द ठोस निर्णय लेकर प्रवासियों को वापस घर पहुंचाना चाहिए.

मोहित डिमरी ने प्रवासियों से अपील की है कि वे रोज शाम को आठ बजे दो मिनट तक थाली बजाकर सरकार को जगाएं और इसका वीडियो जारी करें.

पढ़ें- दूसरे राज्यों में फंसे लोगों के मुद्दे पर कांग्रेस आक्रामक, कहा सरकार को लकवा मार गया

मोहित डिमरी ने कहा कि थाली बजाओ अभियान से सरकार पर दबाव बन रहा है इसलिए इस अभियान को तेज करने की आवश्यकता है.

डिमरी के मुताबिक हजारों प्रवासी अपने गांव लौटना चाहते हैं. जहां वे रह रहे हैं वहां न तो उनके पास खाने के लिए ही कुछ और न ही पैसा. गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र में फंसे प्रवासियों को कोरोना का खतरा भी है. उनकी जान खतरे में है लेकिन सरकार बेसुध है. इसीलिए थाली बजाकर सरकार को जगाना है. सभी फंसे हुए प्रवासी एकजुट होकर थाली बजाओ आंदोलन से जुड़कर सरकार के कान खोलें. गांवों में भी अपने परिजनों को इस आंदोलन से जोड़ते हुए हर रोज शाम को आठ बजे थाली बजाएं.

जन अधिकार मंच ने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों को वापस लाकर क्वांरटाइन कर सकती है. उनका रैपिड टेस्ट भी हो सकता है. रेड जोन से आने वालों को आइसोलेशन में क्वांरटाइन किया जा सकता है. ग्रीन जोन वाले प्रवासियों को होम या सामुदायिक भवनों-स्कूलों या पंचायत भवनों में क्वारंटाइन किया जा सकता है जैसा कि अभी होता रहा है. सरकार जनपदवार फंसे हुए लोगों की सूची तैयार करे, ताकि फंसे हुए लोगों की संख्या की सही जानकारी मिल सके. जिन राज्यों में लोग फंसे हैं, वहां की सरकार से कोऑर्डिनेट करते हुए बसों का प्रबंध किया जाए.

रुद्रप्रयाग: लॉकडाउन में बाहरी प्रदेशों और जिलों में फंसे उत्तराखंड के लोगों की घर वापसी के लिए जन अधिकार मंच ने थाली बजाओ, उत्तराखंड सरकार जगाओ मुहिम की शुरुआत की है. जन अधिकार मंच की इस मुहिम का उद्देश्य बाहरी प्रदेश में फंसे उत्तराखंड के लोगों की घर वापसी है.

मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड के प्रवासी बड़ी संख्या में इस अभियान में शामिल होकर सरकार को जगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जब तक प्रवासियों को वापस नहीं ले आती, यह अभियान जारी रहेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार संवेदनहीन हो गई है. प्रवासी लोगों की सरकार को फिक्र नहीं है. हजारों लोगों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया है. सरकार को जल्द ठोस निर्णय लेकर प्रवासियों को वापस घर पहुंचाना चाहिए.

मोहित डिमरी ने प्रवासियों से अपील की है कि वे रोज शाम को आठ बजे दो मिनट तक थाली बजाकर सरकार को जगाएं और इसका वीडियो जारी करें.

पढ़ें- दूसरे राज्यों में फंसे लोगों के मुद्दे पर कांग्रेस आक्रामक, कहा सरकार को लकवा मार गया

मोहित डिमरी ने कहा कि थाली बजाओ अभियान से सरकार पर दबाव बन रहा है इसलिए इस अभियान को तेज करने की आवश्यकता है.

डिमरी के मुताबिक हजारों प्रवासी अपने गांव लौटना चाहते हैं. जहां वे रह रहे हैं वहां न तो उनके पास खाने के लिए ही कुछ और न ही पैसा. गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र में फंसे प्रवासियों को कोरोना का खतरा भी है. उनकी जान खतरे में है लेकिन सरकार बेसुध है. इसीलिए थाली बजाकर सरकार को जगाना है. सभी फंसे हुए प्रवासी एकजुट होकर थाली बजाओ आंदोलन से जुड़कर सरकार के कान खोलें. गांवों में भी अपने परिजनों को इस आंदोलन से जोड़ते हुए हर रोज शाम को आठ बजे थाली बजाएं.

जन अधिकार मंच ने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों को वापस लाकर क्वांरटाइन कर सकती है. उनका रैपिड टेस्ट भी हो सकता है. रेड जोन से आने वालों को आइसोलेशन में क्वांरटाइन किया जा सकता है. ग्रीन जोन वाले प्रवासियों को होम या सामुदायिक भवनों-स्कूलों या पंचायत भवनों में क्वारंटाइन किया जा सकता है जैसा कि अभी होता रहा है. सरकार जनपदवार फंसे हुए लोगों की सूची तैयार करे, ताकि फंसे हुए लोगों की संख्या की सही जानकारी मिल सके. जिन राज्यों में लोग फंसे हैं, वहां की सरकार से कोऑर्डिनेट करते हुए बसों का प्रबंध किया जाए.

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