ETV Bharat / state

राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर गायन शुरू, अतीत की परंपरा को समेटे लोग

मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी भगवती राकेश्वरी के मंदिर में पौराणिक जागरों का गायन विधिवत शुरू हो गया है. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं.

rudraprayag news
rudraprayag nराकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर गायन शुरूews
author img

By

Published : Jul 18, 2021, 11:06 AM IST

रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड में जागर गायन की परंपरा अतीत से चली आ रही है और जागर गायन से देवताओं की स्तुति की जाती है. वहीं मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी भगवती राकेश्वरी के मंदिर में पौराणिक जागरों का गायन विधिवत शुरू हो गया है. पौराणिक जागरों का गायन प्रतिदिन भगवती राकेश्वरी की सांय कालीन आरती के बाद रात्रि आठ बजे से लेकर दस बजे तक किया जा रहा है. भगवती राकेश्वरी के मंदिर में दो माह तक पौराणिक जागरों का गायन किया जायेगा तथा आश्विन की दो गते को भगवती राकेश्वरी को बह्म कमल अर्पित करने के बाद पौराणिक जागरों का समापन होगा.

सावन मास में राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागरों का गायन विधिवत शुरू हो गया है तथा जागर गायन में पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पौराणिक जागरों का शुभारंभ भगवती राकेश्वरी की सांय कालीन आरती के बाद रात्रि आठ बजे से शुरू किया जा रहा है. पौराणिक जागरों के गायन में पूर्ण सिंह पंवार शिवराज पंवार, मुकन्दी सिंह पंवार, कार्तिक खोयाल, अमर सिंह रावत, राम सिंह पंवार, लाल सिंह रावत, विनोद पंवार तथा जसपाल खोयाल द्वारा अहम योगदान दिया जा रहा है.

राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर गायन शुरू.

पढ़ें-चारों धामों में गर्भगृह से नहीं होगा लाइव प्रसारण, हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगी सरकार

राकेश्वरी मंदिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार एवं बदरी केदार मंदिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि पौराणिक जागरों में अनेक देवी-देवताओं की स्तुति तथा जीवन लीलाओं का व्याख्यान किया जाता है तथा सभी जागर गाने वालों को ब्रह्मचार्य का पालन करना अनिवार्य होता है.

बताया कि पौराणिक जागरों के गायन से भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रांसी गांव का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है.उन्होंने बताया कि यदि प्रदेश सरकार पौराणिक जागरों के संरक्षण व संवर्धन पर ध्यान देती है तो आने वाली पीढ़ी भी पौराणिक जागरों के गायन में रूचि रख सकती है.

रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड में जागर गायन की परंपरा अतीत से चली आ रही है और जागर गायन से देवताओं की स्तुति की जाती है. वहीं मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी भगवती राकेश्वरी के मंदिर में पौराणिक जागरों का गायन विधिवत शुरू हो गया है. पौराणिक जागरों का गायन प्रतिदिन भगवती राकेश्वरी की सांय कालीन आरती के बाद रात्रि आठ बजे से लेकर दस बजे तक किया जा रहा है. भगवती राकेश्वरी के मंदिर में दो माह तक पौराणिक जागरों का गायन किया जायेगा तथा आश्विन की दो गते को भगवती राकेश्वरी को बह्म कमल अर्पित करने के बाद पौराणिक जागरों का समापन होगा.

सावन मास में राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागरों का गायन विधिवत शुरू हो गया है तथा जागर गायन में पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है. पौराणिक जागरों का शुभारंभ भगवती राकेश्वरी की सांय कालीन आरती के बाद रात्रि आठ बजे से शुरू किया जा रहा है. पौराणिक जागरों के गायन में पूर्ण सिंह पंवार शिवराज पंवार, मुकन्दी सिंह पंवार, कार्तिक खोयाल, अमर सिंह रावत, राम सिंह पंवार, लाल सिंह रावत, विनोद पंवार तथा जसपाल खोयाल द्वारा अहम योगदान दिया जा रहा है.

राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर गायन शुरू.

पढ़ें-चारों धामों में गर्भगृह से नहीं होगा लाइव प्रसारण, हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगी सरकार

राकेश्वरी मंदिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार एवं बदरी केदार मंदिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि पौराणिक जागरों में अनेक देवी-देवताओं की स्तुति तथा जीवन लीलाओं का व्याख्यान किया जाता है तथा सभी जागर गाने वालों को ब्रह्मचार्य का पालन करना अनिवार्य होता है.

बताया कि पौराणिक जागरों के गायन से भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रांसी गांव का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है.उन्होंने बताया कि यदि प्रदेश सरकार पौराणिक जागरों के संरक्षण व संवर्धन पर ध्यान देती है तो आने वाली पीढ़ी भी पौराणिक जागरों के गायन में रूचि रख सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.