रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़ा-खच्चर संचालक कोविड-19 नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. यह संचालक मास्क भी नहीं पहन रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे है. घोड़ा-खच्चर संचालक यात्रियों के संपर्क में आ रहे हैं, जिस कारण सतर्कता बरतने की काफी आवश्यकता है. लेकिन संचालक ऐसा नहीं कर रहे हैं. उन्हें कोविड के नियमों से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में संक्रमण फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
बता दें कि, केदारनाथ यात्रा में हर दिन भारी संख्या में यात्री पहुंच रहे हैं. अब तक यात्री का आंकड़ा 58 हजार पार कर चुका है. भारी तादाद में तीर्थयात्रियों के पहुंचने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है, लेकिन ये लोग कोविड-19 का पालन नहीं कर रहे हैं. संक्रमण के कारण जहां देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों में डर बना हुआ है. तो वहीं, केदारनाथ यात्रा मार्ग पर व्यवसायी और घोड़े-खच्चर संचालक कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. घोड़ा-खच्चर मजदूर यात्रियों को केदारनाथ लेकर जाते हैं और उन्हें लेकर भी आते हैं. तीर्थयात्रियों को घोड़े-खच्चर में बैठाने और पैदल मार्ग से लेकर धाम पहुंचने और आते समय कहीं पर भी मास्क का उपयोग नहीं हो रहा है, जबकि घोड़-खच्चर संचालक सोशल डिस्टेसिंग का भी पालन नहीं कर रहे हैं. जिससे केदार यात्रा मार्ग पर संक्रमण फैलने की संभावना बनी हुई है.
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मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. रमेश सिंह नितवाल ने कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में केदारनाथ धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमण के फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि धाम में यात्रा के दौरान घोड़ा-खच्चर संचालक ही सबसे अधिक यात्रियों के संपर्क में रहते हैं, इसलिए काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कुछ समय पूर्व विभाग द्वारा 55 घोड़ा-खच्चर संचालकों की कोविड 19 सैंपलिंग की गई थी. जिनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी समय-समय पर जांच की होती रहेगी.