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लापरवाही! केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के शवों से फैल रही दुर्गंध - मंदाकिनी नदी में घोड़ा खच्चर के शव

केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी करीब 18 किमी पैदल और खड़ी चढ़ाई भरा है. रामबाड़ा से ऊपर चढ़ते समय तीर्थयात्रियों की सांस फूलनी लगती है. ऐसे में धाम तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों से तीर्थयात्रियों को काफी सहलूयित मिलती है.

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर मरे घोड़े-खच्चरों से फैल रही बदबू
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Published : May 31, 2019, 8:05 PM IST

Updated : May 31, 2019, 8:10 PM IST

रुद्रप्रयागः घोड़े-खच्चरों को केदारनाथ यात्रा की रीढ़ माना जाता है. कई श्रद्धालु केदारधाम तक पहुंचने के लिए इन घोड़े-खच्चरों का सहारा लेते हैं. इनके माध्यम से धाम तक पहुंचते हैं, लेकिन इनदिनों गौरीकुंड-केदारनाथ मार्ग पर घोड़े-खच्चर संचालकों की बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है. यहां पर घोड़े-खच्चरों के बीमार होने पर संचालक उनका इलाज कराने के बजाय उन्हें रास्ते पर मरने के लिए छोड़ रहे हैं. इतना ही नहीं जानवरों के शवों सीधे मंदाकिनी नदी में डाला जा रहा है. जिससे नदी प्रदूषित हो रही है. उधर, रास्ते में मरे हुए इन जानवरों की वजह से तीर्थयात्रियों को बदबू से दो-चार होना पड़ रहा है. वहीं, अब इस मामले में प्रशासन घोड़े-खच्चर संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहा है.

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर मरे घोड़े-खच्चरों से फैल रही बदबू और नदी में फेंका जा रहा शव.


बता दें कि केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी करीब 18 किमी पैदल और खड़ी चढ़ाई भरा है. रामबाड़ा से ऊपर चढ़ते समय तीर्थयात्रियों की सांस फूलनी लगती है. ऐसे में धाम तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों से तीर्थयात्रियों को काफी सहलूयित मिलती है. इस बार केदारधाम के लिए सात हजार घोड़े-खच्चर संचालकों ने पंजीकरण करवाया है. जो सुबह से ही देर शाम तक आवाजाही करते हैं, बर्फवारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग काफी खराब हो गया है. जिस कारण घोड़े-खच्चरों को काफी दिक्कतें हो रही हैं और उनकी लगातार मौतें हो रही है.

ये भी पढ़ेंः हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से ग्रामीण की मौत, विभाग के खिलाफ FIR दर्ज


कई बार बीमारी और चोट लगने की वजह से घोड़े-खच्चर चल नहीं पाते हैं. जिससे वो रास्ते में पड़े रहते हैं. इतना ही नहीं संचालक उनका इलाज कराने के बजाय उन्हें रास्ते में छोड़कर जा रहे हैं. ऐसे में वो वहीं पर ही दम तोड़ रहे हैं. अब तक दो दर्जन घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है. इन दिनों मरे हुए घोड़े-खच्चर पैदल मार्ग पर जहां-तहां पड़े हुए हैं. गौरीकुंड स्थित प्रीपेड काउंटर के पास बीते कई दिनों से एक खच्चर का शव पड़ा हुआ है. जिससे काफी बदबू आ रही है. बदबू से पैदल यात्रा से केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही कुछ संचालक घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद उन्हें मंदाकिनी नदी में भी डाल रहे हैं. जिससे नदी का पानी सीधे प्रदूषित हो रहा है. इन मृत घोड़े-खच्चरों को समय से हटाया नहीं जा रहा है. ऐसे में सफाई व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

वहीं, मामले पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल मार्ग काफी कठिन है. ऐसे में हर साल 70-80 घोड़े-खच्चरों की मौत होती है. कई बार देखने को मिलता है कि पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर संचालक रास्ते में ही छोड़ देते हैं. इसके लिए प्रशासन की ओर से घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर एक प्रोटोकॉल बनाया गया है. घोड़े-खच्चर की मौत होने पर सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ ही सुलभ के कर्मचारियों को मौके पर भेजा जा रहा है. साथ ही उन्हें दफनाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर उन्हें रास्तों में छोड़ने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसी क्रम में एक संचालक की पहचान की गई है, जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है.

रुद्रप्रयागः घोड़े-खच्चरों को केदारनाथ यात्रा की रीढ़ माना जाता है. कई श्रद्धालु केदारधाम तक पहुंचने के लिए इन घोड़े-खच्चरों का सहारा लेते हैं. इनके माध्यम से धाम तक पहुंचते हैं, लेकिन इनदिनों गौरीकुंड-केदारनाथ मार्ग पर घोड़े-खच्चर संचालकों की बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है. यहां पर घोड़े-खच्चरों के बीमार होने पर संचालक उनका इलाज कराने के बजाय उन्हें रास्ते पर मरने के लिए छोड़ रहे हैं. इतना ही नहीं जानवरों के शवों सीधे मंदाकिनी नदी में डाला जा रहा है. जिससे नदी प्रदूषित हो रही है. उधर, रास्ते में मरे हुए इन जानवरों की वजह से तीर्थयात्रियों को बदबू से दो-चार होना पड़ रहा है. वहीं, अब इस मामले में प्रशासन घोड़े-खच्चर संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहा है.

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर मरे घोड़े-खच्चरों से फैल रही बदबू और नदी में फेंका जा रहा शव.


बता दें कि केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी करीब 18 किमी पैदल और खड़ी चढ़ाई भरा है. रामबाड़ा से ऊपर चढ़ते समय तीर्थयात्रियों की सांस फूलनी लगती है. ऐसे में धाम तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों से तीर्थयात्रियों को काफी सहलूयित मिलती है. इस बार केदारधाम के लिए सात हजार घोड़े-खच्चर संचालकों ने पंजीकरण करवाया है. जो सुबह से ही देर शाम तक आवाजाही करते हैं, बर्फवारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग काफी खराब हो गया है. जिस कारण घोड़े-खच्चरों को काफी दिक्कतें हो रही हैं और उनकी लगातार मौतें हो रही है.

ये भी पढ़ेंः हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से ग्रामीण की मौत, विभाग के खिलाफ FIR दर्ज


कई बार बीमारी और चोट लगने की वजह से घोड़े-खच्चर चल नहीं पाते हैं. जिससे वो रास्ते में पड़े रहते हैं. इतना ही नहीं संचालक उनका इलाज कराने के बजाय उन्हें रास्ते में छोड़कर जा रहे हैं. ऐसे में वो वहीं पर ही दम तोड़ रहे हैं. अब तक दो दर्जन घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है. इन दिनों मरे हुए घोड़े-खच्चर पैदल मार्ग पर जहां-तहां पड़े हुए हैं. गौरीकुंड स्थित प्रीपेड काउंटर के पास बीते कई दिनों से एक खच्चर का शव पड़ा हुआ है. जिससे काफी बदबू आ रही है. बदबू से पैदल यात्रा से केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही कुछ संचालक घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद उन्हें मंदाकिनी नदी में भी डाल रहे हैं. जिससे नदी का पानी सीधे प्रदूषित हो रहा है. इन मृत घोड़े-खच्चरों को समय से हटाया नहीं जा रहा है. ऐसे में सफाई व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

वहीं, मामले पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल मार्ग काफी कठिन है. ऐसे में हर साल 70-80 घोड़े-खच्चरों की मौत होती है. कई बार देखने को मिलता है कि पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर संचालक रास्ते में ही छोड़ देते हैं. इसके लिए प्रशासन की ओर से घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर एक प्रोटोकॉल बनाया गया है. घोड़े-खच्चर की मौत होने पर सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ ही सुलभ के कर्मचारियों को मौके पर भेजा जा रहा है. साथ ही उन्हें दफनाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर उन्हें रास्तों में छोड़ने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसी क्रम में एक संचालक की पहचान की गई है, जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है.

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नोट: पैदल मार्ग पर मृत पड़े और मंदाकिनी नदी के बीच मृत घोड़ों के वीडीओ भेजे गये हैं।

बीमार घोड़े-खच्चरों को रास्ते पर मरने के लिए छोड़ रहे संचालक
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर पड़े मृत घोड़े-खच्चरों से फैल रही बदबू
कुछ संचालकों ने मृत घोड़ों को फैंका मंदाकिनी नदी में
मंदाकिनी नदी का जल को भी किया जा रहा दूषि
मृत घोड़े-खच्चर संचालकों के खिलाफ एफआईआर की जा रही दर्ज
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग- मृत घोड़ा-खच्चर
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/31 मई 2019/रुद्रप्रयाग/एवीबी
एंकर - घोड़े-खच्चरों को केदारनाथ यात्रा की रीढ़ माना जाता है। इनके बिना गौरीकुंड से केदारनाथ का सफर तय करना काफी मुश्किल है। हर साल केदारनाथ यात्रा में हजारों की संख्या में घोड़े-खच्चर संचालक पहुंचते हैं और अपने घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण करवाते हैं, लेकिन इनकी तबियत खराब होने पर ईलाज करने के वजाय संचालक इन्हें मंदाकिनी नदी में या फिर रास्ते में ही मरने के लिए छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे में यात्रा में आये तीर्थयात्रियों को मृत घोड़े-खच्चरों की बदबू से दो-चार होना पड़ता है और नाक में रूमाल लगाकर यात्रा करनी पड़ती है। यात्रा पड़ावों में कई दिनों तक मृत घोड़े-खच्चर पड़े रहते हैं। ऐसे में प्रशासन ने इन घोडे-खच्चर संचालकों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही शुरू कर दी है।
वीओ -1- केदारनाथ यात्रा में घोड़ो-खच्चरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। गौरीकुण्ड से केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग खड़ी चढ़ाई भरा है। रामबाड़ा से ऊपर चढ़ते हुए सांस फुलने लगती है। ऐसे में पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन से तीर्थयात्रियों को काफी फायदा मिलता है। इस बार केदारधाम के लिए सात हजार घोड़े-खच्चर संचालकों ने पंजीकरण करवाया है। सुबह से ही दे शाम तक घोड़े-खच्चरों की आवाजाही केदारनाथ पैदल मार्ग होती रहती है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि इनकी तबियत बिगड़ने या फिर घायल होने पर संचालक द्वारा इनका ईलाज नहीं किया जा रहा है। सीधे उन्हें मंदाकिनी नदी में या फिर पैदल मार्ग पर मरने के लिए छोड़ा जा रहा है। बर्फवारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग काफी खराब हो गया है, जिस कारण घोड़े-खच्चरों को काफी दिक्कतें हो रही हैं और उनकी लगातार मौत हो रही है। अब तक दो दर्जन घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है। मृत घोड़े-खच्चर पैदल मार्ग पर जहां-तहां पड़े हैं तो कुछ संचालकों द्वारा घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद उन्हें मंदाकिनी नदी में भी डाला जा रहे हैं। ऐसे में यात्रा मार्ग पर बदबू फैलने से तीर्थयात्री परेशान हैं। इन मृत घोड़े-खच्चरों को समय से हटाया नहीं जा रही है, जिससे सफाई व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। गौरीकुंड स्थित प्रीपेड काउंटर के पास पिछले कई दिनों से एक मृत खच्चर पड़ा है, वहीं दूसरे खच्चर का मृत शरीर पवित्र मंदाकिनी नदी के बीच फंसा है। ऐसे में पैदल यात्रा पर केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्रीयों को इन मरे हुए पशुओं के कारण आ रही दुर्गंध का सामना तो करना ही पड़ रहा है। साथ ही मंदाकिनी नदी भी दूषित हो रही है। मामले में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल मार्ग काफी कठिन है। पैदल मार्ग पर घोडे-खच्चरों की मौत होने पर संचालक रास्ते में ही छोड़कर जा रहे हैं। प्रशासन की ओर से घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर प्रोटोकाॅल बनाया गया है कि घोड़े-खच्चर की मौत होने पर सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ ही सुलभ के कर्मचारियों को भेजा जा रहा है और उनको दफनाने का काम किया जा रहा है। प्रशासन की ओर से घोड़े-खच्चरों की मौत होने पर उन्हें रास्तों में छोड़े जाने वाले संचालकों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। एक घोड़े-खच्चर संचालक की पहचान कर ली गई है, जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
बाइट - मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी



Last Updated : May 31, 2019, 8:10 PM IST
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