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युवाओं के लिए रोजगार का साधन बना होम स्टे

रुद्रप्रयाग पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है. बांगर घाटी में कोरोना काल के दौरान अपने गांव थापला लौटे होटेलियर अरविंद सेमवाल ने दो माह पूर्व अपने संसाधनों से बांगर पट्टी में पहला होम स्टे शुरू किया है. जिसके बाद आज कई बेरोजगारोें के लिए वो रोल माॅडल बन चुके हैं. तो कई लोगों को अपने होम स्टे से रोजगार भी दे रहे हैं.

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Published : Jan 7, 2021, 2:52 PM IST

रुद्रप्रयाग: जनपद पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है. मिनी स्विट्जरलैंड चोपता के अलावा यहां बधाणीताल, देवरियाताल, चिरबिटिया सहित कई पर्यटक स्थल हैं. जनपद की बांगर पट्टी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. शीतकाल में यहां की पहाड़ियां बर्फ से ढ़क जाती हैं. लेकिन इसके बावजूद इस पर्यटक स्थल की जानकारी किसी को नहीं है.

लेकिन आपको बता दें कि बांगर घाटी में कोरोना काल के दौरान अपने गांव थापला लौटे होटेलियर अरविंद सेमवाल ने दो माह पूर्व अपने संसाधनों से बांगर पट्टी में पहला होम स्टे शुरू किया है. पहाड़ के पारंपरिक घर में पहाड़ी भोजन पर्यटकों को परोसा और मात्र दो महीनों में 110 पर्यटक उनके होम स्टे में ठहरने पहुंचे. जिसके बाद आज कई बेरोजगारोें के लिए वो रोल माॅडल बन चुके हैं. तो कई लोगों को अपने होम स्टे से रोजगार भी दे रहे हैं.

युवाओं के लिए रोजगार का साधन बना होम स्टे.

बांगर पट्टी में पहले होम स्टे की सफलता को देख अब कई बेरोजगार युवा भी होम स्टे के क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं. इससे अब तक पर्यटकों की नजर से औझल बधाणीताल, वासुदेव मंदिर जैसे पर्यटक स्थलों को भी नई पहचान मिल रही है. वहीं खंडर बन रहे पुराने तिबारी पठाली वाले पहाड़ी घरों की अहमियत भी बढ़ती जा रही है. बेरोजगार युवा अब इस क्षेत्र में स्वरोजगार के प्रयास करने लगे हैं. ऐ

पढ़ें: श्रीनगर: मोबाइल टावर में आग लगने से मची अफरा-तफरी

बता दें कि, बांगर पट्टी में पहला होम स्टे शुरू करने वाले अरविंद सेमवाल ने कहा कि लाॅकडाउन से पहले वे दिल्ली-मुंबई में होटल में नौकरी करता था, लेकिन कोरोना के चलते नौकरी छूट गई और वह गांव वापस लौट आए. जिसके बाद उन्होंने सोचा कि गांव में ही होम स्टे का कारोबार शुरू किया जाए. गांव के पौराणिक घर में होम स्टे शुरू किया और इसका अच्छा परिणाम भी सामने आ गया. दो माह में सौ से अधिक टूरिस्ट होम स्टे में पहुंच चुके हैं. यहां पहुंचने वाले टूरिस्टों को गढ़वाली व्यंजन परोसे जा रहे हैं. जो टूरिस्टों को काफी पसंद भी आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांव और आस-पास के अन्य तीन-चार लड़कों को भी स्वरोजगार पर रखा हुआ है.

रुद्रप्रयाग: जनपद पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है. मिनी स्विट्जरलैंड चोपता के अलावा यहां बधाणीताल, देवरियाताल, चिरबिटिया सहित कई पर्यटक स्थल हैं. जनपद की बांगर पट्टी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. शीतकाल में यहां की पहाड़ियां बर्फ से ढ़क जाती हैं. लेकिन इसके बावजूद इस पर्यटक स्थल की जानकारी किसी को नहीं है.

लेकिन आपको बता दें कि बांगर घाटी में कोरोना काल के दौरान अपने गांव थापला लौटे होटेलियर अरविंद सेमवाल ने दो माह पूर्व अपने संसाधनों से बांगर पट्टी में पहला होम स्टे शुरू किया है. पहाड़ के पारंपरिक घर में पहाड़ी भोजन पर्यटकों को परोसा और मात्र दो महीनों में 110 पर्यटक उनके होम स्टे में ठहरने पहुंचे. जिसके बाद आज कई बेरोजगारोें के लिए वो रोल माॅडल बन चुके हैं. तो कई लोगों को अपने होम स्टे से रोजगार भी दे रहे हैं.

युवाओं के लिए रोजगार का साधन बना होम स्टे.

बांगर पट्टी में पहले होम स्टे की सफलता को देख अब कई बेरोजगार युवा भी होम स्टे के क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं. इससे अब तक पर्यटकों की नजर से औझल बधाणीताल, वासुदेव मंदिर जैसे पर्यटक स्थलों को भी नई पहचान मिल रही है. वहीं खंडर बन रहे पुराने तिबारी पठाली वाले पहाड़ी घरों की अहमियत भी बढ़ती जा रही है. बेरोजगार युवा अब इस क्षेत्र में स्वरोजगार के प्रयास करने लगे हैं. ऐ

पढ़ें: श्रीनगर: मोबाइल टावर में आग लगने से मची अफरा-तफरी

बता दें कि, बांगर पट्टी में पहला होम स्टे शुरू करने वाले अरविंद सेमवाल ने कहा कि लाॅकडाउन से पहले वे दिल्ली-मुंबई में होटल में नौकरी करता था, लेकिन कोरोना के चलते नौकरी छूट गई और वह गांव वापस लौट आए. जिसके बाद उन्होंने सोचा कि गांव में ही होम स्टे का कारोबार शुरू किया जाए. गांव के पौराणिक घर में होम स्टे शुरू किया और इसका अच्छा परिणाम भी सामने आ गया. दो माह में सौ से अधिक टूरिस्ट होम स्टे में पहुंच चुके हैं. यहां पहुंचने वाले टूरिस्टों को गढ़वाली व्यंजन परोसे जा रहे हैं. जो टूरिस्टों को काफी पसंद भी आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांव और आस-पास के अन्य तीन-चार लड़कों को भी स्वरोजगार पर रखा हुआ है.

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