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नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को HC से राहत, ई-निविदा की प्रक्रिया पर लगी रोक

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Published : Aug 23, 2021, 1:49 PM IST

नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग के संचालन हेतु ई-निविदा की प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर रोक लगा दी है.

Rudraprayag Nagar Panchayat Agastyamuni
Rudraprayag Nagar Panchayat Agastyamuni

रुद्रप्रयाग: केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत बनी पार्किंग को लेकर पर्यटन विभाग एवं नगर पंचायत अगस्त्यमुनि के बीच हुए विवाद में नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को उच्च न्यायालय नैनीताल से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग के संचालन हेतु ई-निविदा की प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.

बता दें, अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत साल 2017 में ₹7 करोड़ मिले थे. इसमें कार पार्किंग, स्ट्रीट लाइट, रास्ते और प्रतीक्षालय का निर्माण कराया जाना था. निर्माणदाई संस्था पर्यटन विभाग को बनाया गया था. ये सभी निर्माण साल 2019 में पूर्ण हो गये थे. उसके बाद पर्यटन विभाग ने पार्किंग को छोड़कर बाकी सभी निर्माण नगर पंचायत को हस्तगत कर दिए.

पर्यटन विभाग की नजर शायद पार्किंग से होने वाली आय पर थी. इसलिए उसने पार्किंग को नगर पंचायत को सौंपने से साफ इंकार कर दिया. इसी बीच नगर पंचायत ने कई बार पर्यटन विभाग से पार्किंग को हस्तगत करने का प्रयास किया. इस संबंध में पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से भी अनुरोध किया. मगर विभागीय अधिकारियों के अड़ियल रवैये से यह अनुरोध परवान नहीं चढ़ पाया और विभाग ने पार्किंग के संचालन के लिए ई निविदा भी जारी कर दी.

जिसके खिलाफ नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा बेंजवाल ने अधिशासी अधिकारी को माननीय उच्च न्यायालय में निविदा के खिलाफ रिट दायर करने के निर्देश दिए. 18 अगस्त को नगर पंचायत द्वारा अधिकृत अधिवक्ता जयवर्द्धन काण्डपाल ने निविदा प्रक्रिया पर रोक लगाने हेतु याचिका दायर की. दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस के बाद न्यायालय ने निविदा प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए.

पढ़ें- राजस्थान के भरतपुर पहुंची राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मां अन्नपूर्णा प्रसादालय की रखी नींव

इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा बेंजवाल ने बताया कि अगस्त्यमुनि की पार्किंग को पर्यटन विभाग द्वारा भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत निर्माण निगम द्वारा बनाया गया. इसको बनाये हुये लगभग 2 साल पूरे होने जा रहे हैं. अभी तक पार्किंग को नगर पंचायत को हस्तगत नहीं किया गया है. पर्यटन विभाग खुद पार्किंग का संचालन करना चाहता है. इसकी प्रक्रिया पर्यटन विभाग उत्तराखंड द्वारा की गई है. मगर नगर पंचायत किसी भी प्रकार से ऐसा होने नहीं देगी. क्योंकि ऐसा होने से नगर पंचायत को न केवल भूमि से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि उसकी आय व स्थानीयों का रोजगार प्रभावित होगा.

रुद्रप्रयाग: केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत बनी पार्किंग को लेकर पर्यटन विभाग एवं नगर पंचायत अगस्त्यमुनि के बीच हुए विवाद में नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को उच्च न्यायालय नैनीताल से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग के संचालन हेतु ई-निविदा की प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.

बता दें, अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत साल 2017 में ₹7 करोड़ मिले थे. इसमें कार पार्किंग, स्ट्रीट लाइट, रास्ते और प्रतीक्षालय का निर्माण कराया जाना था. निर्माणदाई संस्था पर्यटन विभाग को बनाया गया था. ये सभी निर्माण साल 2019 में पूर्ण हो गये थे. उसके बाद पर्यटन विभाग ने पार्किंग को छोड़कर बाकी सभी निर्माण नगर पंचायत को हस्तगत कर दिए.

पर्यटन विभाग की नजर शायद पार्किंग से होने वाली आय पर थी. इसलिए उसने पार्किंग को नगर पंचायत को सौंपने से साफ इंकार कर दिया. इसी बीच नगर पंचायत ने कई बार पर्यटन विभाग से पार्किंग को हस्तगत करने का प्रयास किया. इस संबंध में पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से भी अनुरोध किया. मगर विभागीय अधिकारियों के अड़ियल रवैये से यह अनुरोध परवान नहीं चढ़ पाया और विभाग ने पार्किंग के संचालन के लिए ई निविदा भी जारी कर दी.

जिसके खिलाफ नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा बेंजवाल ने अधिशासी अधिकारी को माननीय उच्च न्यायालय में निविदा के खिलाफ रिट दायर करने के निर्देश दिए. 18 अगस्त को नगर पंचायत द्वारा अधिकृत अधिवक्ता जयवर्द्धन काण्डपाल ने निविदा प्रक्रिया पर रोक लगाने हेतु याचिका दायर की. दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस के बाद न्यायालय ने निविदा प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए.

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इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष अरुणा बेंजवाल ने बताया कि अगस्त्यमुनि की पार्किंग को पर्यटन विभाग द्वारा भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत निर्माण निगम द्वारा बनाया गया. इसको बनाये हुये लगभग 2 साल पूरे होने जा रहे हैं. अभी तक पार्किंग को नगर पंचायत को हस्तगत नहीं किया गया है. पर्यटन विभाग खुद पार्किंग का संचालन करना चाहता है. इसकी प्रक्रिया पर्यटन विभाग उत्तराखंड द्वारा की गई है. मगर नगर पंचायत किसी भी प्रकार से ऐसा होने नहीं देगी. क्योंकि ऐसा होने से नगर पंचायत को न केवल भूमि से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि उसकी आय व स्थानीयों का रोजगार प्रभावित होगा.

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