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रुद्रप्रयाग: शीतलहर की चपेट में केदारघाटी, बर्फबारी ने तोड़े बीस साल के रिकॉर्ड - snowfall in high Himalayan regions

केदारघाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश से काश्तकारों की धान की फसल खासी प्रभावित हो रही है. जिसके चलते काश्तकार घरों में कैद रहने को विवश हैं. इस साल ठंड ने लगभग बीस सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी ने तोड़े बीस सालों के रिकार्ड.
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Published : Sep 30, 2019, 7:48 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तीन दिनों से हो रही बर्फबारी के चलते घाटी शीतलहर की चपेट में है. वहीं निचले क्षेत्रों में हो रही बारिश से काश्तकारों की धान की फसल खासी प्रभावित हो रही है. साथ ही काश्तकार खेती-बाड़ी छोड़ घरों में कैद रहने के लिए विवश हैं. इस साल सितंबर में शुरू हुई ठंड ने लगभग बीस वर्षों के रिकार्ड तोड़ दिए हैं.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी ने तोड़े बीस सालों के रिकार्ड.

बता दें कि बर्फबारी के चलते सितंबर माह में ही केदारघाटी के ऊंचाई वाले इलाकों के तापमान में भारी गिरावट आ गई है. जिसके चलते केदारनाथ, मदमहेश्वर और तुंगनाथ धामों की यात्रा व्यवस्थाओं में तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों और व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. साथ ही केदारघाटी में कोहरा छाने से हवाई सेवाओं पर भी असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़े: ऋषिकेश: शिवपुरी के जंगल में फ्री में दी जा रही बिजली और विभाग को नहीं जानकारी

वहीं निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश होने से रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड और गुप्तकाशी-चैमासी मोटरमार्ग अधिकांश स्थानों पर कीचड़ में तब्दील हो गया है. जिसके चलते राहगीर जान हथेली पर रख कर आवाजाही करने को मजबूर हैं.

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तीन दिनों से हो रही बर्फबारी के चलते घाटी शीतलहर की चपेट में है. वहीं निचले क्षेत्रों में हो रही बारिश से काश्तकारों की धान की फसल खासी प्रभावित हो रही है. साथ ही काश्तकार खेती-बाड़ी छोड़ घरों में कैद रहने के लिए विवश हैं. इस साल सितंबर में शुरू हुई ठंड ने लगभग बीस वर्षों के रिकार्ड तोड़ दिए हैं.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी ने तोड़े बीस सालों के रिकार्ड.

बता दें कि बर्फबारी के चलते सितंबर माह में ही केदारघाटी के ऊंचाई वाले इलाकों के तापमान में भारी गिरावट आ गई है. जिसके चलते केदारनाथ, मदमहेश्वर और तुंगनाथ धामों की यात्रा व्यवस्थाओं में तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों और व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. साथ ही केदारघाटी में कोहरा छाने से हवाई सेवाओं पर भी असर पड़ रहा है.

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वहीं निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश होने से रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड और गुप्तकाशी-चैमासी मोटरमार्ग अधिकांश स्थानों पर कीचड़ में तब्दील हो गया है. जिसके चलते राहगीर जान हथेली पर रख कर आवाजाही करने को मजबूर हैं.

Intro:केदारघाटी में शीतलहर से टूटा बीस साल का रिकार्ड
यात्रा व्यवस्थाओं में जुटे अधिकारी-कर्मचारियों की बढ़ी मुश्किलें
तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से जनजीवन प्रभावित
रुद्रप्रयाग। केदारघाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में विगत तीन दिनों से बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में रूक-रूक कर हो रही बारिश से सम्पूर्ण केदारघाटी शीतलहर की चपेट में आ गई है। निचले क्षेत्रों में हो रही बारिश से काश्तकारों की धान की फसल खासी प्रभावित हो रही है। सितम्बर माह के जाते-जाते ठंड महसूस होने से लगभग बीस बर्षो का रिकर्ड टूट गया है। विगत तीन दिनों से हो रही बारिश से काश्तकार खेती-बाड़ी से विमुख होकर घरों में कैद रहने के लिए विवश हो गये हैं। Body:ऊंचाई वाले इलाकों के तापमान में भारी गिरावट आने से केदारनाथ, मदमहेश्वर व तंुगनाथ धामों की यात्रा व्यवस्थाओं में तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों व व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। केदारघाटी में कोहरा छाने से केदारनाथ के लिए हवाई सेवाओं को उड़ाने भरने में दिक्कतें हो रही हैं। ऊंचाई वाले इलाकों के तापमान में भारी गिरावट आने से भेड़ पालकों ने भी गांवो की ओर रूख कर दिया है। बता दें कि केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश विगत तीन दिनों से जारी है। हिमालयी क्षेत्रों में मौसम की दूसरी बर्फबारी होने से सम्पूर्ण केदारघाटी शीतलहर की चपेट में आ गई है। निचले क्षेत्रों में रूक-रूककर हो रही बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बेमौसमी बारिश होने से काश्तकारों की धान की लंवाई व मंडाई खासी प्रभावित हो गयी है। शरादीय नवरात्रांे से काश्तकार गेहूँ की बुवाई की तैयारी शुरू करता था, मगर बारिश के कारण काश्तकार गेहूँ की बुवाई का शुभारंभ नहीं कर सके। स्थानीय जानकारों की माने तो लगभग बीस वर्षों बाद अक्टूबर माह के शुभारंभ पर सर्दी महसूस हो रही है, जिससे आम जनमानस गर्म कपड़े पहनने को विवश हो गया है। हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हो रही बर्फबारी से केदारनाथ, मदमहेश्वर व तुगनाथ धामों के तापमान में भारी गिरावट आने से वहां यात्रा व्यवस्थाओं में तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों, तीर्थ पुरोहितों व व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। केदारघाटी में अधिकांश समय कोहरा छाने से केदारनाथ के लिए हवाई उड़ाने बार-बार बाधित हो रही हैं। निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश होने से रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड तथा गुप्तकाशी-चैमासी मोटरमार्ग अधिकांश स्थानों पर कीचड़ में तब्दील होने से राहगीरों को जान हथेली पर रख कर आवाजाही करनी पड रही है।
Conclusion:
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