रुद्रप्रयाग: बिना अनुमति के महाराष्ट्र के चार लोग केदारनाथ यात्रा पर आने का मामला प्रकाश में आया है. जो गौरीकुंड तक पहुंच गए, ये लोग बिना स्वास्थ्य जांच के यहां तक कैसे पहुंच गए इस पर सवाल उठ रहे हैं. जबकि जगह-जगह बाहर से आने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है. हैरत की बात यह है कि प्रशासन और पुलिस को भी इस बात की जानकारी नहीं है. इसपर गौरीकुंड व्यापारी कुलानंद गोस्वामी ने नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखा है.
गौरीकुंड व्यापारी कुलानंद गोस्वामी ने बिना अनुमति चार लोगों के गौरीकुंड पहुंचने पर विरोध जताया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि बिना अनुमति और स्वास्थ्य जांच के बाहरी लोग ऐसे ही यहां पहुंचते रहे तो कोरोना संक्रमण और भी तेजी से फैलेगा. जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी. गोस्वामी का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए स्थानीय स्तर पर भी लोगों को आवाजाही में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रह है.
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लेकिन 5 जून को केदारनाथ यात्रा के नाम पर महाराष्ट्र से चार लोग गौरीकुंड पहुंच गए. जब उनसे पूछा गया तो पूरे प्रदेश में कहीं पर भी किसी प्रकार की कोई चेकिंग और स्वास्थ्य परीक्षण होने की बात से उन्होंने इंकार किया. ऐसे में शासन-प्रशासन के कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है.
वहीं ऊखीमठ के एसडीएम वरूण अग्रवाल ने बताया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं हैं. बिना आज्ञा और स्वास्थ्य परीक्षण के महाराष्ट्र से चार लोगों का जिले में पहुंचना गंभीर लापरवाही है. इस बारे में सिरोहबगड़ बैरियर में तैनात कर्मियों की जानकारी ली जाएगी. वहीं गौरीकुंड चौकी इंचार्ज प्रवीन कुमार ने बताया कि कानपुर से दो लोग परमिशन लेकर गौरीकुंड आए थे. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र से कोई भी यात्री गौरीकुंड नहीं पहुंचा है.