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कोरोना के चलते बेहद सादगी से मनाया गया जाख मेला, लोगों ने लॉकडाउन का किया पालन - Baisakhi 2020

केदारघाटी का प्रसिद्ध पौराणिक जाख मेला प्रशासन के निर्देश पर सादगी के साथ मनाया गया. इस दौरान मेले में चंद लोग ही मौजूद रहे. प्रति वर्ष बैशाखी के पर्व पर लगने वाला ऐतिहासिक एवं पौराणिक जाख मेला इस बार कोरोना वायरस की महामारी के चलते बेहद सादगी से मनाया गया.

Rudraprayag
कोरोना के चलते बेहद सादगी से मनाया गया जाख मेला
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Published : Apr 14, 2020, 8:39 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी का प्रसिद्ध पौराणिक जाख मेला प्रशासन के निर्देश पर सादगी के साथ मनाया गया. इस दौरान मेले में चंद लोग ही मौजूद रहे. प्रति वर्ष बैशाखी के पर्व पर लगने वाला ऐतिहासिक एवं पौराणिक जाख मेला इस बार कोरोना वायरस की महामारी के चलते बेहद सादगी से मनाया गया. हालांकि परंपरागत पूजा, रीति रिवाज और ढोल सागर के मध्य भगवान का यक्ष नृत्य भी हुआ, मगर अपेक्षित भीड़ और दुकाने इस बार नहीं दिखाई दी.

कोरोना के चलते बेहद सादगी से मनाया गया जाख मेला

बता दें, मंगलवार को ठीक 12 बजे भगवान जाख का नर पश्वा ढोल दमाऊ की स्वर लहरी के बीच महज दो भक्तों के साथ अपने पौराणिक पैदल मार्ग से होते हुए देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में पहुंचा. मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमा पूर्ण करने के बाद पुनः जाख की कंडी और जलते दिए के पीछे चलते हुए जाख के मुख्य मंदिर में पहुंचे. जहां पर विश्राम करने के तुरंत बाद भगवान यक्ष ने धधकते अंगारों पर एक बार कूदकर नृत्य किया. स्थानीय पुजारियों की ओर से तांबे की गगरी में भरे पवित्र जल से नर पश्वा को जल स्नान कराया गया. जिसके बाद पुनः पूजा अर्चना पूर्ण कर कुछ लोगों के साथ ही नर पश्वा जाख की कंडी के साथ अपने स्थान की ओर आ गए.

वहीं, ग्राम प्रधान देवशाल निर्मला देवी ने बताया कि प्रशासन के निर्देश पर इस बार बेहद सादगी से जाख मेला संपन्न किया गया है. मेले की भव्यता तथा पौराणिक महत्ता को बरकरार रखते हुए आध्यात्मिक रूप से यह मेला सफल रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र देवशाली ने पुलिस प्रशासन की तारीफ करते हुए जाख मंदिर परिसर में उनकी बेहतर जिम्मेदारियों के लिए सम्मानित भी किया.

भौतिक रूप से मेला रहा अपूर्ण

दरअसल, ऐसा पहली बार हुआ है, जब जाख मेला भारी भरकम भीड़ की मौजूदगी के बिना संपन्न हुआ. सामाजिक कार्यकर्ता विनोद देवशाली ने बताया कि जाख मेले की आध्यात्मिक क्रियाएं तो सभी पूर्ण हुई, मगर भौतिक रूप से मेला अपूर्ण रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के चलते और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लॉकडाउन के कारण इस मेले पर भी असर पड़ा है.

उन्होंने कहा कि गत कई दिनों से ग्रामीणों ने गांव-गांव जाकर लोगों को इसके लिए जागरूक भी किया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि मेले में चंद लोगों ही मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि गत वर्षो की बात करें तो मेले में हजारों की तादाद में भक्त मौजूद रहते थे. साथ ही यहां दुकानें सजी रहती थी, मगर इस बार जाख मेला बेहद सादगी से संपन्न हुआ है.

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी का प्रसिद्ध पौराणिक जाख मेला प्रशासन के निर्देश पर सादगी के साथ मनाया गया. इस दौरान मेले में चंद लोग ही मौजूद रहे. प्रति वर्ष बैशाखी के पर्व पर लगने वाला ऐतिहासिक एवं पौराणिक जाख मेला इस बार कोरोना वायरस की महामारी के चलते बेहद सादगी से मनाया गया. हालांकि परंपरागत पूजा, रीति रिवाज और ढोल सागर के मध्य भगवान का यक्ष नृत्य भी हुआ, मगर अपेक्षित भीड़ और दुकाने इस बार नहीं दिखाई दी.

कोरोना के चलते बेहद सादगी से मनाया गया जाख मेला

बता दें, मंगलवार को ठीक 12 बजे भगवान जाख का नर पश्वा ढोल दमाऊ की स्वर लहरी के बीच महज दो भक्तों के साथ अपने पौराणिक पैदल मार्ग से होते हुए देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में पहुंचा. मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमा पूर्ण करने के बाद पुनः जाख की कंडी और जलते दिए के पीछे चलते हुए जाख के मुख्य मंदिर में पहुंचे. जहां पर विश्राम करने के तुरंत बाद भगवान यक्ष ने धधकते अंगारों पर एक बार कूदकर नृत्य किया. स्थानीय पुजारियों की ओर से तांबे की गगरी में भरे पवित्र जल से नर पश्वा को जल स्नान कराया गया. जिसके बाद पुनः पूजा अर्चना पूर्ण कर कुछ लोगों के साथ ही नर पश्वा जाख की कंडी के साथ अपने स्थान की ओर आ गए.

वहीं, ग्राम प्रधान देवशाल निर्मला देवी ने बताया कि प्रशासन के निर्देश पर इस बार बेहद सादगी से जाख मेला संपन्न किया गया है. मेले की भव्यता तथा पौराणिक महत्ता को बरकरार रखते हुए आध्यात्मिक रूप से यह मेला सफल रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र देवशाली ने पुलिस प्रशासन की तारीफ करते हुए जाख मंदिर परिसर में उनकी बेहतर जिम्मेदारियों के लिए सम्मानित भी किया.

भौतिक रूप से मेला रहा अपूर्ण

दरअसल, ऐसा पहली बार हुआ है, जब जाख मेला भारी भरकम भीड़ की मौजूदगी के बिना संपन्न हुआ. सामाजिक कार्यकर्ता विनोद देवशाली ने बताया कि जाख मेले की आध्यात्मिक क्रियाएं तो सभी पूर्ण हुई, मगर भौतिक रूप से मेला अपूर्ण रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के चलते और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लॉकडाउन के कारण इस मेले पर भी असर पड़ा है.

उन्होंने कहा कि गत कई दिनों से ग्रामीणों ने गांव-गांव जाकर लोगों को इसके लिए जागरूक भी किया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि मेले में चंद लोगों ही मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि गत वर्षो की बात करें तो मेले में हजारों की तादाद में भक्त मौजूद रहते थे. साथ ही यहां दुकानें सजी रहती थी, मगर इस बार जाख मेला बेहद सादगी से संपन्न हुआ है.

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