रुद्रप्रयाग: गौरीकुंड में हुई घटना में आगरा के रहने वाले जवाहर सिंह और बबूल ने बताया कि इस घटना में उनके भी दो परिजन गायब हैं. उनके परिजन सड़क किनारे ही दुकान लगाकर अपना रोजगार करते थे, लेकिन अभी तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया है. उन्होंने यह भी कहा कि अब उनका जिंदा मिलना मुश्किल है. हमारी यही मांग है कि उनके परिजनों के शव खोजकर उनको दिए जाएं, जिसके बाद वह आगे की कार्रवाई कर सकें.
3 और 4 जुलाई के बीच हुए गौरीकुंड त्रासदी में अपने पजिनों को खो चुके लोग गौरीकुंड पहुंचने लगे हैं. वह भी अपने परिजनों के खोजबीन में जुटे हैं. गौरीकुंड त्रासदी में उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले दो लोग भी लापता चल रहे हैं. लापता दोनों लोग गौरीकुंड-सोनप्रयाग मोटरमार्ग पर ठेली लगाकर अपना रोजगार करते थे. दुर्घटना में ठेली सहित वह भी लापता हो गए हैं. दोनों लापता लोगों के परिजन जवाहर सिंह और बबलू ने बताया कि जिस समय पहाड़ी से बोल्डर गिरे, उस समय वह भी निकट ही मौजूद थे.
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जवाहर और बबलू ने बताया कि बोल्डर गिरने के समय वह बाहर आए और सामने देखा कि बोल्डर की चपेट में आने से तीन दुकानें पूरी तरह जमींदोज हो गई हैं. दुकानों के अंदर जो लोग रह रहे थे, वह भी पलक झपकते ही मलबे के साथ मंदाकिनी नदी में जा गिरे. घटना के समय चीख पुकार मच गई. उन्होंने अपने भाई के नंबर पर फोन किया. काफी देर तक फोन की घंटी बजती रही, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया.
उन्होंने बताया कि हादसा इतना बड़ा था कि दुकानों के अंदर रह रहे लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला. देखते ही देखते सबकुछ तबाह हो गया. मौके पर कुछ देर रेस्क्यू अभियान शुरू हुआ, लेकिन कोई नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि आपदा में लापता चल रहे उनके परिजनों का जिंदा मिलना मुश्किल है. दोनों युवा हैं और शादीशुदा हैं. घर में छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. हमारी यही फरियाद है कि हमारे परिजनों के शव ढूंढकर हमें दिए जाएं, जिससे आगे की कार्रवाई की जा सके.
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