रुद्रप्रयाग: सीएम पुष्कर सिंह धामी के देवस्थानम बोर्ड एक्ट की नियमावली में संशोधन किये जाने के बयान के बाद भी तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है. केदारनाथ थाम के तीर्थ पुरोहित बारिश के बीच केदारनाथ मंदिर परिसर में डटे हैं. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि जबतक बोर्ड को पूर्ण रूप से भंग नहीं किया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
गौर हो, देवस्थानम बोर्ड को भंग करने को लेकर केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन पिछले डेढ़ माह से जारी है. पुरोहितों का कहना है कि बोर्ड का गठन होने से उनके अधिकार प्रभावित हो रहे हैं. जब से बोर्ड का गठन हुआ है, तब से इसका विरोध किया जा रहा है. लेकिन अभी तक सरकार ने बोर्ड को भंग करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है, जिस कारण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है.
केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संजय तिवारी का कहना है कि सरकार और प्रशासन जबरन उनकी निजी भूमि के साथ केदारनाथ धाम में छेड़छाड़ कर रहे हैं. पुरोहितों के घरों को भी बिना तीर्थ पुरोहितों को पूछे ही तोड़ा जा रहा है, जो कि सरासर गलत है.
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नियमावली में संशोधन: उत्तराखंड के चारों धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ में चल रहे देवस्थानम बोर्ड के विरोध के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने गंगा-यमुना के मायके उत्तरकाशी से बोर्ड को लेकर बड़ी घोषणा की थी. बीती 21 जुलाई को उत्तरकाशी पहुंचे धामी ने कहा देवास्थानम बोर्ड नियमावली में संशोधन किया जाएगा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम के पुरोहितों को आश्वासन देने के बाद कहा था कि देवस्थानम बोर्ड में संशोधन के लिए प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है, क्योंकि चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों को लग रहा है कि उनके हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. संशोधन के लिए प्रदेश सरकार एक हाई पावर कमेटी का गठन करेगी, जो चारधाम से जुड़े हितधारकों से सभी पहलुओं पर बात कर विधिक नियामवली की रिपोर्ट तैयार करेगी और उसके आधार पर बोर्ड में संशोधन किया जाएगा.
देवस्थानम बोर्ड: साल 2020 में 15 जून 2020 के गजट नोटिफिकेशन के बाद त्रिवेंद्र सरकार में देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आया था. जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के चारों धामों सहित 51 मंदिरों को लिया गया है. देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित लगातार इसका विरोध कर रहे हैं और बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं.