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नौला गांव में नहीं है सड़क मार्ग, बुजुर्ग महिला को पालकी के जरिये पहुंचाया अस्पताल

बच्छणस्यूं क्षेत्र के अंतर्गत नौला गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है. ऐसे में ग्रामीणों को यहां भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालत तब और भी बदतर हो जाते हैं, जब गांव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है.

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Published : Sep 15, 2022, 10:12 PM IST

रुद्रप्रयाग: जनपद के अंतर्गत आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जो सड़क मार्ग से वंचित हैं. ऐसे में इन ग्रामीण क्षेत्र की जनता को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब सड़क न होने से मरीज को पीठ या फिर चारपाई के जरिये सड़क मार्ग तक पहुंचाया जाता है. ऐसा ही मामला जनपद के बच्छणस्यूं पट्टी के नौला गांव में देखने को मिला. यहां सड़क मार्ग न होन से ग्रामीण एक बुजुर्ग महिला को कुर्सी में बैठाकर तीन किमी दूर सड़क तक लाये, फिर महिला को चिकित्सालय पहुंचाया गया.

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति हर जगह अलग है. जिस कारण क्षेत्र की जनता को समय समय पर कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बता दें कि बच्छणस्यूं क्षेत्र के अंतर्गत नौला गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है. नौला गांव की एक बुजुर्ग महिला सरस्वती देवी बाथरूम जाते समय फिसल गई और उनका पांव टूट गया. जिसके बाद महिला को कुर्सी के जरिये गांव के लोग तीन किमी दूर सड़क मार्ग तक लाये और फिर महिला को 25 से तीस किमी दूर स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाया गया.

पढ़ें- यूपी STF के हत्थे चढ़ा UKSSSC पेपर लीक का मास्टरमाइंड मूसा, योगेश्वर राव भी अरेस्ट

ग्रामीण बृजेंद्र सिंह ने कहा कि सरस्वती देवी को सड़क तक ले जाने के लिये कुर्सी पर दो डण्डे बांधे गये और फिर स्कूली बच्चों की मदद से 3 किलोमीटर तक कन्धों मे उठा कर पैदल लेकर आये. नौला गांव से श्रीनगर बेस अस्पताल की दूरी 35 किलोमीटर है तथा रुद्रप्रयाग की दूरी 30 किलोमीटर है और वाहन की असुविधा है. उन्होंने कहा कि कई बार बार शासन प्रशासन को समस्या से अवगत करा दिया गया है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.

क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि बच्छणस्यूं क्षेत्र में सबसे अधिक समस्या मोटरमार्गों की है. आज भी क्षेत्र के कई गांव में मोटरमार्ग से नहीं जुड़ पाये हैं. जिसके बाद ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र को जोड़ने वाले खांखरा-खेड़ाखाल और खांखरा-बाड़ा मोटरमार्गों की बेहद बदहाल स्थिति है. बरसात में आये मलबे को अभी तक साफ नहीं किया गया है. शासन-प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है. अगर यही स्थिति रही तो क्षेत्रीय जनता को साथ लेकर आंदोलन किया जायेगा.

रुद्रप्रयाग: जनपद के अंतर्गत आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जो सड़क मार्ग से वंचित हैं. ऐसे में इन ग्रामीण क्षेत्र की जनता को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब सड़क न होने से मरीज को पीठ या फिर चारपाई के जरिये सड़क मार्ग तक पहुंचाया जाता है. ऐसा ही मामला जनपद के बच्छणस्यूं पट्टी के नौला गांव में देखने को मिला. यहां सड़क मार्ग न होन से ग्रामीण एक बुजुर्ग महिला को कुर्सी में बैठाकर तीन किमी दूर सड़क तक लाये, फिर महिला को चिकित्सालय पहुंचाया गया.

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति हर जगह अलग है. जिस कारण क्षेत्र की जनता को समय समय पर कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बता दें कि बच्छणस्यूं क्षेत्र के अंतर्गत नौला गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है. नौला गांव की एक बुजुर्ग महिला सरस्वती देवी बाथरूम जाते समय फिसल गई और उनका पांव टूट गया. जिसके बाद महिला को कुर्सी के जरिये गांव के लोग तीन किमी दूर सड़क मार्ग तक लाये और फिर महिला को 25 से तीस किमी दूर स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाया गया.

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ग्रामीण बृजेंद्र सिंह ने कहा कि सरस्वती देवी को सड़क तक ले जाने के लिये कुर्सी पर दो डण्डे बांधे गये और फिर स्कूली बच्चों की मदद से 3 किलोमीटर तक कन्धों मे उठा कर पैदल लेकर आये. नौला गांव से श्रीनगर बेस अस्पताल की दूरी 35 किलोमीटर है तथा रुद्रप्रयाग की दूरी 30 किलोमीटर है और वाहन की असुविधा है. उन्होंने कहा कि कई बार बार शासन प्रशासन को समस्या से अवगत करा दिया गया है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.

क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि बच्छणस्यूं क्षेत्र में सबसे अधिक समस्या मोटरमार्गों की है. आज भी क्षेत्र के कई गांव में मोटरमार्ग से नहीं जुड़ पाये हैं. जिसके बाद ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र को जोड़ने वाले खांखरा-खेड़ाखाल और खांखरा-बाड़ा मोटरमार्गों की बेहद बदहाल स्थिति है. बरसात में आये मलबे को अभी तक साफ नहीं किया गया है. शासन-प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है. अगर यही स्थिति रही तो क्षेत्रीय जनता को साथ लेकर आंदोलन किया जायेगा.

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