रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड का नैसर्गिक सौन्दर्य बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. जिसे देखने हर साल देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं. वहीं रुद्रप्रयाग जनपद में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जिनका दीदार हर कोई करना चाहता है. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण मिनी लाॅकडाउन लगने से केदारघाटी क्षेत्र के प्रकृति प्रेमी हिमालय के आंचल में बसे सुरम्य मखमली बुग्यालों, तीर्थ स्थलों, प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर स्थलों से रूबरू हो रहे हैं. जो क्षेत्र पर्यटन के लिए लिहाज से काफी अहम हैं.
खूबसूरत है मदमहेश्वर घाटी
केदार घाटी के लोग त्रियुगीनारायण-पंवालीकांठा, चैमासी-मनणामाई-केदारनाथ, रांसी-मनणामाई, मदमहेश्वर-पाण्डवसेरा-नन्दीकुण्ड, बुरूवा-विसुणीताल का भ्रमण कर रहे हैं. मदमहेश्वर घाटी के उनियाणा व गैड़ गांवों का आठ सदस्यीय दल मनणामाई तीर्थ की यात्रा कर लौटा है.
मनणामाई तीर्थ नैसर्गिक सौन्दर्य से परिपूर्ण
मनणामाई तीर्थ मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान है. मनणामाई को भेड़ पालकों की अराध्य देवी माना जाता है. सावन मास में रांसी गांव से भगवती मनणामाई की डोली अपने धाम के लिए जाती है और पूजा-अर्चना के बाद डोली रांसी गांव को वापस लौटती है.
मनणामाई तीर्थ की यात्रा कर लौटे गैड़ निवासी शंकर सिंह पंवार ने बताया कि मनणामाई तीर्थ की यात्रा काफी कठिन है और तीर्थ में आने से भक्त की हर मनोकामनां पूर्ण होती हैं.
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बुग्यालों की भरमार
उनियाणा निवासी मुकेश पंवार ने बताया कि थौली से लेकर मनणामाई तीर्थ तक सुरम्य मखमली बुग्यालों की भरमार है तथा इन दिनों सुरम्य मखमली बुग्याल अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने से वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगे हैं. गैड़ निवासी विमला देवी ने बताया कि पटूडी से मनणामाई तीर्थ तक हर पड़ाव पर भेड़ पालक निवासरत हैं और छह माह बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों का जीवन बड़ा कष्टकारी होता है.
इन रास्तों से होकर शुरू होता सफर
दल में शामिल उनियाणा निवासी राजेन्द्र पंवार ने बताया कि कालीमठ घाटी के चैमासी गांव से खाम होते हुए भी मनणामाई धाम पहुंचा जा सकता है. बताया कि मनणामाई धाम पहुंचने के लिए मंदाकिनी नदी को पार करने में बहुत कठिनाई होती है. क्योंकि मंदाकिनी नदी में पुल न होने के कारण एक दूसरे को सहारा देकर मंदाकिनी नदी को पार करना पड़ता है.
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दल में शामिल लक्ष्मण सिंह पंवार, कुवर सिंह पंवार ने बताया कि मनणामाई तीर्थ की यात्रा करने के लिए सभी संसाधन साथ ले जाने पड़ते हैं तथा कई जगह गुफाओं पर रात्रि गुजारने पड़ती है. उन्होंने बताया कि मनणामाई तीर्थ यात्रा के संपन्न होने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका भेड़ पालकों की होती है.